भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर आज अपना अध्ययन जारी किया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्मों को स्वनियमन के कदम उठाने चाहिए, जिसमें सर्च रैंकिंग के स्पष्ट मानक, उनके द्वारा संग्रहीत आंकड़ों को लेकर पारदर्शी नीति बनाना जैसे नियम शामिल है। अध्ययन के परिणामों और अपने पर्यवेक्षण को जारी करते हुए सीसीआई ने कहा कि छूट को लेकर मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म को स्पष्ट नीति लानी चाहिए। इसमें विभिन्न उत्पादों के लिए प्लेटफॉर्म या आपूर्तिकर्ताओं द्वारा वित्तपोषित छूट का आधार और छूट योजनाओं में शामिल होने या न होने के असर को शामिल किया जाना चाहिए। आयोग ने बड़े ऑनलाइन खुदरा कारोबारियोंं की ओर से वस्तुओं और सेवाओं खासकर मोबाइल फोन और बिजली उपकरणों पर दी जाने वाली भारी छूट को लेकर चिंता जताई है। आयोग ने कहा है, 'छूट देना सामानन्य कारोबारी गतिविधि है, लेकिन जहां छूट योजना की डिजाइन तार्किक कारोबारी गतिविधियों से तालमेल नहीं खाती है तो इस तरह के छूट की प्रतिस्पर्धी रणनीति सवालों के घेरे में आ जाती है।' आयोग ने कहा है, 'विशेष परिस्थितियों में कुछ मसले प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के प्रावधानों के विपरीत हो सकते हैं, जिसका निर्धारण अलग अलग मामलों के आधार पर आयोग द्वारा किया जा सकता है।' सीसीआई ने यह भी सुझाव दिया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को सर्च रैंकिंग के मुख्य मानक तय करना चाहिए। सिरिल अमरचंद मंगलदास में प्रतिस्पर्धा कानून की प्रमुख और साझेदार अवंतिका कक्कड़ ने कहा, 'इस अध्ययन में विभिन्न साझेदारों के प्राकथन को शामिल किया गया है और डेटा, बाजार की ताकत और प्रतिस्पर्धा कानून के मुताबिक आयोग के प्रवर्तन और प्राथमिकताओं का ब्योरा दिया गया है।' उद्योग संवर्धन और आंतरिक कारोबार विभाग की ओर से जारी मसौदा ई-कॉमर्स नीति की तर्ज पर आयोग ने यूजर रिव्यू और रेटिंग की व्यवस्था को लेकर पारदर्शिता की वकालत की है, जिससे सूचना की एकरूपता सुनिश्चित हो सके, जो उचित प्रतिस्पर्धा की पूर्व शर्त है। सीसीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'यूजर रिव्यू और बिजनेस यूजर के साथ रेटिंग प्रकाशित करने व उसे साझा करने में पर्याप्त पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। सिर्फ पुष्ट खरीदारों की समीक्षा ही प्रकाशित की जानी चाङिए और धोखाधड़ी वाली समीक्षा व रेटिंग से दूरी बनाई जानी चाहिए।' आयोग ने यह भी कहा है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को किसी भी प्रस्तावित बदलाव पर कारोबारी ग्राहकों को नियम एवं शर्तों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, 'नोटिस अवधि खत्म होने के पहले प्रस्तावित बदलाव को लागू नहीं किया जाना चाहिए।' सीसीआई ने पाया है कि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्मों और उनके कारोबारी ग्राहकों के बीच सूचनाओं की विषमता व मोलभाव की क्षमता को लेकर असंतुलन है, जो तमाम मसलों के केंद्र में है। कक्कड़ ने कहा, 'आयोग की दिलचस्प सिफारिश यह है कि कारोबारी कॉन्ट्रैक्ट की सेवा व शर्तों में बदलाव के लिए नोटिस की अवधि उचित होनी चाहिए और उसके बाद बदलाव किया जाना चाहिए।'
