वर्ष 2019 में देश का स्वर्ण आयात पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत गिरकर तीन साल के निचले स्तर पर आ गया है। दूसरी छमाही में स्थानीय दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद खुदरा खरीद कम होने की वजह से ऐसा हुआ है। आज एक सरकारी सूत्र ने यह जानकारी दी।
इस कीमती धातु के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता देश द्वारा कम खरीद के कारण वैश्विक दामों पर असर पड़ सकता है जो वर्ष 2019 में 18 प्रतिशत तक उछल चुके हैं। हालांकि इससे सरकार को व्यापार घाटा कम करने और रुपये को सहारा देने में मदद मिलेगी। भारत सोने की अपनी तकरीबन सारी मांग आयात के जरिये पूरा करता है। सूत्र ने कहा कि वर्ष 2019 में 831 टन सोने का आयात किया गया है, जबकि एक साल पहले 944 टन स्वर्ण आयात किया गया था। इस तरह इसमें गिरावट आई है।
सूत्र ने बताया कि मूल्य के हिसाब से वर्ष 2019 में आयात करीब दो प्रतिशत गिरकर 31.22 अरब डॉलर रह गया। पिछले साल के मुकाबले दिसंबर में स्वर्ण आयात 18 प्रतिशत लुढ़ककर 60 टन रह गया। इस अवधि में मूल्य के हिसाब से स्वर्ण आयात 4.3 प्रतिशत घटकर 2.46 अरब डॉलर रहा। एक निजी बैंक में सराफा अनुभाग के प्रमुख ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि 2019 की मांग और आयात 2018 से आगे निकल जाएगा।
लेकिन जून के बाद से जब दामों में तेजी आने लगी, तो खुदरा मांग कमजोर हो गई।' सितंबर के दौरान भारत में सोने का वायदा भाव प्रति 10 ग्राम 39,885 रुपये के रिकॉर्ड शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 की पहली छमाही में देश ने 564 टन सोने का आयात किया था, जबकि दूसरी छमाही में आयात 267 टन रहा।
आम तौर पर दूसरी छमाही के दौरान आयात में शादी-विवाह के सीजन के साथ-साथ दशहरे और दीवाली जैसे त्योहारों के कारण उछाल आती है। तब सोने की खरीद को शुभ माना जाता है। सराफा आयात करने वाले मुंबई के एक व्यापारी ने कहा कि अगर सराफा के दाम अधिक रहते हैं, तो जनवरी में स्वर्ण आयात गिरकर 40 टन से कम रह सकता है।