निवेश संरक्षण पर ईयू चिंतित | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली January 02, 2020 | | | | |
यूरोपीय संघ (ईयू) से आयात होने वाली शराब और वाहनों पर शुल्कों में कटौती करने की भारत की मंशा के बावजूद समूह इस बात को लेकर अड़ा हुआ है कि भविष्य के द्विपक्षीय समझौतों में निवेश संरक्षण को लेकर उसकी चिंताओं का समाधान किए जाने की जरूरत है।
प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) से नहीं जुडऩे का फैसला लेने के बाद भारत ने ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड ऐंड इनवेस्टमेंट एग्रीमेंट (बीटीआईए) पर स्थगित चर्चा को फिर से शुरू करने के लिए ईयू से संपर्क साधा है। लेकिन ईयू के व्यापार नीति निर्माता तब तक इस समझौते पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं जब तक कि भारत भी निवेश संरक्षण पर चर्चा शुरू नहीं करता है। ईयू के एक वरिष्ठï राजनयिक ने इसे भारत में यूरोपीय कंपनियों के लिए एक प्रमुख चिंता करार दिया है।
बीटीआईए पर पहली बार 2007 में चर्चा शुरू होने के बाद से 2013 तक 16 दौर की बैठकें हो चुकी थी। राजनयिक ने कहा कि लेकिन यह मामला पूरी तरह से तब ठंडा पड़ गया जब भारत ने 2016 में 23 यूरोपीय देशों के साथ मौजूदा द्विपक्षीय निवेश निवेश समझौतों (बीआईटी) को रद्ïद करने का निर्णय ले लिया। तब ईयू ने भारत को चेताया था कि उसके इस कदम से ईयू के सदस्य देशों से यहां पर होने वाल निवेश रुक जाएगा और भारत को नए समझौते पर हस्ताक्षर होने तक इन व्यक्तिगत समझौतों को जारी रखने के लिए कहा था।
हालांकि सरकार इस बात पर कायम है कि भविष्य में होने वाले सभी निवेश समझौतों पर चर्चा सरकार द्वारा 2015 में जारी किए गए मॉडल बीआईटी के ढांचे के तहत होगी। इसे दूसरे देशों के साथ व्यक्तिगत व्यापार समझौतों पर चर्चा का आधार बनाने हेतु लाया गया था।
हालांकि, 2016 में एकतरफा कदम उठाते हुए निवेश समझौतों को रद्द करने के बाद के चार वर्ष में बांग्लादेश, बेलारूस, कोलंबिया और ताइवान के साथ कुल मिलाकर केवल चार बीआईटी ही पूरे हुए हैं। आर्थिक मामलों के विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि बातचीत को समयबद्घ नहीं किया गया है अत: उसे पूरा करने की कोई समयसीमा नहीं है। फिलहाल 11 अन्य देशों के साथ वार्ता चल रही है।
ईयू राराष्ट्रों में नीदरलैंड भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए चौथा सबसे बड़ा देश है। नीदरलैंड ने वर्ष 2000 से 29 अरब डॉलर का निवेश किया है। दूसरी तरफ जर्मनी, साइप्रस और फ्रांस एफडीआई निवेश करने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं। इनमें ब्रग्जिट का सामना कर रहे यूनाइटेड किंगडम भी शामिल है।
दिल्ली के एक वरिष्ठ व्यापार विशेषज्ञ ने कहा, 'बीआईटी को लकर ईयू की प्रमुख चिंता उस उपनियम को लेकर जिसमें कहा गया है कि निवेशक और सरकार के बीच कोई विवाद होने की स्थिति में विदेशी निवेशक अंतरराष्ट्रीय पंचाट में जाने का विकल्प केवल तभी अपना सकता है जब सभी घरेलू कानूनी रास्ते बंद हो चुके हों। भारत को यह कदम मुकदमेबाजी को नियंत्रित रखने के लिए और अंतरराष्ट्रीय पंचाटों से अत्यधिक जुर्माने की गुंजाइश को सीमित रखने के लिए जरूरी लगता है तो वहीं ईयू ने भारत की न्याय प्रणाली को धीमा और भ्रष्टï करार दिया है।'
|