सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए अपने विनिवेश लक्ष्य 1.05 लाख करोड़ रुपये से काफी पीछे रह सकती है। इसकी वजह यह है कि भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) और एयर इंडिया में रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया मार्च अंत तक पूरी होती नहीं दिख रही है। इस सूरत में सरकार विनिवेश लक्ष्य से 65,000 करोड़ रुपये से अधिक के अंतर से पीछे रह सकती है।
इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'सरकार को संभावित बोलीदाताओं की शर्तों पर ध्यान देना होगा। कभी-कभी वे सौदा करने से पहले पूरी तरह सोच-विचार करना चाहते हैं।' यह आशंका ऐसे समय में उभरी है जब सरकार के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बजट अनुमान का 115 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अगर राजस्व संग्रह में तेज वृद्धि नहीं हुई या चालू वित्त वर्ष के आखिरी महीनों में विनिवेश योजनाएं पटरी पर नहीं लौटीं तो राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सरकार के हाथ से फिसल सकता है।
वित्त वर्ष 2019-20 में अब तक सरकार विनिवेश से 17,364 करोड़ रुपये जुटाने में ही सफल रही है और विनिवेश लक्ष्य का 84 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करना अभी शेष है। सरकार बीपीसीएल में अपना 53.3 प्रतिशत हिस्सा एक रणनीतिक निवेशक को बेचना चाहती है। इससे गुरु वार के भाव के अनुसार सरकार को 56,480 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। इस बीच, गुरुवार के ही भाव के आधार पर कॉनकॉप में सरकार की 31 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य 10,724 करोड़ रुपये आंका गया है। इन दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से सरकार को 67,204 करोड़ रुपये या इससे भी अधिक रकम प्राप्त हो सकती है। इनमें अगर एयर इंडिया में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री भी शामिल कर ली जाए तो कुल रकम 80,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। क्रेडिट सुइसे के अनुसार बहुत अच्छी स्थिति में एयर इंडिया की बिक्री से सरकार को 18,000 करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं। हालांकि निवेश बैंकरों का कहना है कि विमनन कंपनी की बिक्री से हासिल रकम इस बात पर निर्भर करेगी कि इस पूरे सौदे का ढांचा इसकी शर्तें क्या होती हैं।
वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी को 8,556 करोड़ रुपये (अस्थायी अनुमान) नुकसान हुआ था। एयर इंडिया पर करीब 30,000 करोड़ रुपये कर्ज है। इस वर्ष अब तक सरकार अपनी हिस्सदेारी बेचने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेट फंडों पर खासी निर्भर रही है। सरकार को चालू वित्त वर्ष में सीपीएसई ईटीएफ के फॉलो-ऑन ऑफर से 10,000 करोड़ रुपये और भारत 22 ईटीएफ के दूसरे फॉलो-ऑन-ऑफर से 4,368 करोड़ रुपये मिले हैं। पिछले वर्ष नवंबर में सरकार ने कॉनकॉर में 31 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के साथ बीपीसीएल और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) में रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दी थी। एससीआई में सरकार की 64 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री का मूल्य गुरुवार को बंद बाजार भाव के आधार पर 1,772 करोड़ रुपये आंका गया है।
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