चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से कच्चे तेल का आयात घटकर महज 17 लाख टन रह गया है। ईरान ने 2018-19 में 239 लाख टन कच्चा तेल भारत भेजा था और वह भारत का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। मई के पहले सप्ताह से इस पश्चिम एशियाई देश से भारत ने कच्चे तेल का आयात रोक दिया था। बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक अगर अमेरिका 2020 की शुरुआत में ईरान से प्रतिबंध हटा नहींं लेता है तो यह पिछले 12 साल में यह ईरान से कच्चे तेल का सबसे कम आयात होगा। ईरान से तेल की कम आवक की भरपाई अमेरिका से आयात के माध्यम से हो रहा है। भारत ने अमेरिका से 2017-18 में 19 लाख टन आयात किया था, जो 2018-19 में बढ़कर 62 लाख टन हो गया। दिलचस्प है कि भारत ने चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में अमेरिका से 54 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया है, जबकि अमेरिका से आयात अभी हाल में 2017-18 से ही शुरू हुआ है। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पूर्व चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा, 'यह ऐतिहासिक निचला स्तर है, लेकिन पहले की स्थिति के विपरीत यह भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है। हमने अपने बास्केट का विविधीकरण किया है। इससे पश्चिम एशिया पर हमारी निर्भरता कम हुई है। इराक और नाइजीरिया जैसे देशों से भी आयात बढ़ा है।' इस साल सितंबर तक इराक भारत में सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था और उसने 260 लाख टन आपूर्ति की थी। 207 लाख टन आपूर्ति कर सऊदी अरब दूसरे स्थान पर रहा। एक सरकारी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत की कंपनियों ने 4 मई से ईरान से आयात पूरी तरह रोक दिया है और वह ज्यादा विविधीकृत बास्केट पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, 'ये आंकड़े वित्त वर्ष के पहले 2 महीने पर लागू होंगे।' 2019-20 में भारत के कच्चे तेल बास्केट में हिस्सेदारी वाले अन्य देशों में नाइजीरिया (99 लाख टन), संयुक्त अरब अमीरात (89 लाख टन), कुवैत (57 लाख टन) और मेक्सिको (41 लाख टन) शामिल हैं। अगर मौजूदा 649 लाख टन के आंकड़ोंं को देखेंं तो इस साल भारत की पश्चिम एशिया पर निर्भरता कम हो सकती है। भारत ने इसके पहले वित्त वर्ष में 2265 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया, जो 2017-18 के 2204 लाख टन की तुलना में 2.7 प्रतिशत ज्यादा है। देश के कच्चे आयात का बिल इस अवधि के दौरान 2017-28 के 87.8 अरब से बढ़कर 111.9 अरब डॉलर हो गया। दिलचस्प है कि इस साल अप्रैल से नवंबर के दौरान कच्चे तेल का कुल आयात 0.7 प्रतिशत घटकर 1499 लाख टन रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1510 लाख टन था। इस अवधि के दौरान आयात बिल 11.7 प्रतिशत कम होकर 69.5 अरब डॉलर हो गया, जो 2018-19 के अप्रैल-नवंबर अवधि के दौरान 78.6 अरब डॉलर था। इसके बावजूद कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीने में बढ़कर 84.7 प्रतिशत रही, जो 2018-19 की समान अवधि में 83.3 प्रतिशत थी। ईरान से आने वाले कच्चे तेल का ज्यादा हिस्सा 2018-19 तक इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), मंगलूर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) और एस्सार ऑयल लिमिटेड (ईओएल) करती थीं। भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने 23 दिसंबर को ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से मुलाकात की थी, लेकिन उसमें बातचीत का अहम मसला चाबहार बंदरगाह था।
