हम भारतीय बाजार पर सकारात्मक बने हुए हैं | बीएस बातचीत | | टीई नरसिम्हन / January 01, 2020 | | | | |
वर्ष 2019 में मांग पर दबाव के बावजूद निर्माण उपकरण निर्माता जेसीबी इंडिया ने 650 करोड़ रुपये की नई इकाई पर काम करने का निर्णय लिया है। अगस्त 2019 में जेसीबी इंडिया के एमडी एवं सीईओ की जिम्मेदारी संभालने वाले सुबीर कुमार चौधरी ने टीई नरसिम्हन को बताया कि भारतीय बाजार का दीर्घावधि परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। बातचीत के मुख्य अंश:
आप मंदी का किस तरह से मुकाबला करने की योजना बना रहे हैं?
जेसीबी ने भारत में नवाचार-केंद्रित परिचालन के चार दशक पूरे किए हैं। पिछले 14-15 वर्षों में हमने कई मंदी के चक्र महसूस किया, लेकिन हर बार बाजार ने मजबूती के साथ वापसी की। हम स्वदेशीकरण, निर्माण, कौशल एवं नवाचार पर लगातार ध्यान केंद्रित करेंगे। हम स्वयं को ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए तैयार करेंगे जो वैल्यू, नई डिजिटल प्रौद्योगिकी और श्रेष्ठ गुणवत्ता के समावेश की पेशकश करते हैं।
क्या इससे जेसीबी की निवेश योजनाएं प्रभावित होंगी?
गुजरात में 650 करोड़ रुपये की नई इकाई अगले साल तक तैयार हो जाएगी और यह वैश्विक उत्पादन इकाइयों के लिए कलपुर्जे तैयार करेगी। यह सालाना 85,000 टन इस्पात का संवद्र्घन कर सकेगी और भारत में जेसीबी की 5वीं फैक्टरी होगी। नई इकाई दुनियाभर में मौजूद जेसीबी की फैक्टरियों के लिए कलपुर्जे बनाएगी। यह निर्यात-केंद्रित इकाई होगी। भारत में निर्मित उत्पादों का मौजूदा समय में 100 से ज्यादा देशों में निर्यात किया जाता है।
अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों में मंदी का जेसीबी के परिचालन पर कितना असर पड़ रहा है?
पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, खासकर सड़कों और राजमार्गों के विकास पर जोर दिए जाने की वजह से वर्ष 2018 इस उद्योग और जेसीबी इंडिया के लिए शानदार वर्ष था। इससे इस बात का संकेत मिला कि निर्माण उपकरण उद्योग में आने वाले वर्षों में हमें किस तरह अवसर मिल सकते हैं। 2018 की तुलना में, 2019 में मांग पर दबाव देखा गया। 2017 की तुलना में उपकरण बिक्री के संदर्भ में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्घि के साथ 2018 जेसीबी इंडिया के लिए मजबूत वर्ष था। वहीं 2019 में कुछ गिरावट देखी गई। लेकिन हमारा मानना है कि इस साल के मध्य तक हालात में सुधार आएगा। मंदी और बाजार की जरूरत को देखते हुए हमने अपने व्यवसाय में बदलाव किया है।
हालांकि भारतीय बाजार के संदर्भ में हमारा दीर्घावधि नजरिया सकारात्मक बना हुआ है। खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचा विकास को लेकर सरकार की प्रतिबद्घता से निकट भविष्य में वृद्घि के अवसर मौजूद होंगे। बुनियादी ढांचा गतिविधियों में मंदी आई है जिससे हमारा व्यवसाय प्रभावित हुआ है। हालांकि भारत के वर्ष 2024 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में तब्दील होने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास जरूरी है और हमें उम्मीद है कि हालात में सुधार आएगा। हम सकारात्मक बदलाव के कुछ संकेत देख रहे हैं। बुनियादी ढांचा विकास के लिए सरकार द्वारा निर्धारित निवेश को देखते हुए हमें इस उद्योग में संभावनाएं बरकरार रहने का अनुमान है।
क्या नकदी संकट या आईएलऐंडएफएस ऋण संकट का बाजार पर गंभीर असर देखा गया है?
नकदी चक्र के साथ साथ एनबीएफसी क्षेत्र में दबाव देखा गया है जिससे हमारे लिए मंदी गहरा रही है। आईएलऐंडएफएस इस सेगमेंट में प्रमुख है। इससे यह स्वाभाविक है कि क्षेत्र की संपूर्ण धारणा पर इसका प्रभाव पड़ेगा। व्यापक प्रभाव और नकदी की किल्लत की वजह से बाजार में दबाव देखा गया है। सरकार आर्थिक वृद्घि में सुधार लाने, नकदी समस्याएं सुलझाने और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक धारणा फिर से लौटाने के लिए कई जरूरी कदम उठा रही है। हमारा मानना है कि अब हालात में सुधार आएगा। ठोस प्रयासों के साथ आगामी वर्षों में निर्माण उपकरण उद्योग के लिए परिदृश्य सकारात्मक दिख रहा है।
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