लगभग चार महीने पहले अमेरिकी दवा नियामक ने कहा था कि उसे कुछ दवाओं में कैंसर पैदा करने वाले तत्व होने की जानकारी मिली है। इन दवाओं में एसीडिटी के उपचार की प्रमुख दवा रैनिटिडीन भी शामिल है। इससे भारतीय दवा उद्योग को बड़ा झटका लगा, क्योंकि यहां बड़ी तादाद में कंपनियां इस दवा के वर्सन की बिक्री करती हैं। भारत दुनियाभर में रैनिटिडीन के एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रिडिएंट (एपीआई) का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है। देश में इस दवा की मासिक उत्पादन क्षमता 5,000 टन की है। दवा और फॉर्मूलेशन कंपनियों, दोनों ने अपनी निर्माण प्रक्रियाओं में बदलाव किया है। फॉर्मूलेशन के लिए घरेलू बाजार का आकार चूंकि कम से कम 20 प्रतिशत तक घटा है। उदाहरण के लिए, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा (जीएसके) जैसी प्रमुख कंपनी ने अपने चर्चित ब्रांड जिनटेक को बंद किया है। भारतीय कंपनियों का वैश्विक व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी ने संदिग्ध इंग्रिडिएंट नाइट्रोसोडीमिथइलेमाइन (एनडीएमए) ने निर्धारित सीमाओं के संदर्भ में कड़े मानक लागू किए हैं। अब इस इंग्रिडिएंट को कैंसरकारक माना गया है। रणनीति में बदलावलोकप्रिय ब्रांड रैनटेक की निर्माता जेबी केमिकल्स ऐंड फार्मास्युटिकल्स के अध्यक्ष प्रणभ मोदी का कहना है कि उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। उन्होंने एपीआई आपूर्तिकर्ताओं के साथ शुरुआत की। दो प्रमुख रैनीटाइडिन एपीआई निर्माताओं (हैदराबाद की एसएमएस लाइफसाइंसेज और सराका लैबोरेटरीज) ने कहा है कि उनकी दवाओं में एनडीएमए तय सीमा के दायरे में है। मोदी ने कहा, 'हमें पता चला है कि अधिक तापमान एनडीएमए के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। हमने निर्माण प्रक्रिया में तापमान में कमी की है।' रैनटेक भारत में कंपनी के लिए एक प्रमुख उत्पाद है, क्योंकि उसके 700 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार में लगभग 190 करोड़ रुपये का योगदान रैनटेक का है। मोदी ने कहा, 'हमने औसत मासिक बिक्री में 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की है।' अब कंपनी गुणवत्ता प्रमाणपत्र के साथ डॉक्टरों के साथ संपर्क कर रही है और उन उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता फैलाना चाहती है जो इस दवा को खरीदने से परहेज कर रहे हैं।इस महीने के शुरू में डॉक्टरों के एक समूह ने दवा की सुरक्षा और गुणों के बारे में बताने के लिए मुंबई में पत्रकारों के साथ मलाकात की थी। आगे की राहहालांकि एपीआई निर्माताओं का कहना है कि अगले तीन से चार महीने में हालात में सुधार आने लगेगा। राजकोट की कंपनी ऑर्चेक फार्मा मासिक तौर पर अपने पूरे 50 टन उत्पादन की यूरोप को आपूर्ति कर रही थी। इसके प्रबंध निदेशक वसंत भालोदिया ने कहा कि दवा में एनडीएमए की उपस्थिति की जांच के लिए कंपनी ने सितंबर में दो महीने के लिए एपीआई का उत्पादन बंद कर दिया। उन्होंने कहा, 'हमने उत्पादन प्रक्रिया में जरूरी बदलाव किए हैं और उसके बाद अब हमारे रैनीटाइडिन एपीआई की क्षमता हर महीने 35-40 टन की है। हम भारतीय दवा कंपनियों को आपूर्ति किए जाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। हम दक्षिण एशियाई बाजार से भी अच्छी मांग देख रहे हैं और वहां निर्यात किए जाने की संभावना तलाश रहे हैं।'भालोदिया का दावा है कि उनके रैनीटाइडिन एपीआई में एनडीएमए का स्तर 0.05 पीपीएम है जो एफडीए द्वारा निर्धारित सीमा (0.32 पीपीएम) और यूरोपीय नियामक (0.16 पीपीएम) के दायरे में है।
