चीन की बढ़ती मांग से इस्पात कंपनियों को मिलेगी मदद | उज्ज्वल जौहरी / December 29, 2019 | | | | |
पिछले कुछ समय से टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) जैसी घरेलू इस्पात कंपनियों के शेयर स्टॉक एक्सचेंजों पर चढ़ रहे हैं क्योंकि फंडामेंटल में सुधार के चलते ब्रोकरेज कंपनियों ने इन शेयरों को अपग्रेड किया है। ये शेयर अपने अक्टूबर के निचले स्तरों की तुलना में करीब 24 से 63 फीसदी चढ़ चुके हैं और यह तेजी आगे भी जारी रह सकती है।
चीन में इस्पात की बढ़ती मांग के चलते बाजार का इन शेयरों में भरोसा बढ़ रहा है। चीन में मांग बढऩे से इस्पात की वैश्विक कीमतों को ऐसे समय सहारा मिल रहा है, जब अमेरिका और चीन के बीच शुल्क को लेकर बातचीत सफल होती नजर आ रही है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन में वर्ष 2019 में मांग पहले के अनुमानों से अधिक रही है। हालांकि दुनिया के शेष बाजारों में मांग कमजोर बनी हुई है। हालांकि चीन में इस्पात का स्टॉक कम है और उसके ज्यादातर उत्पादन की खपत देश के भीतर ही होगी। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्दियों में उत्पादन में कटौती का मतलब है कि चीन का निर्यात कम रहेगा।
यह भारतीय इस्पात उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि इससे घरेलू कीमतों को सुधरने में मदद मिल रही है। भारत में हॉट रोल्ड कॉइल की कीमतें अक्टूबर में 34 महीने के निचले स्तर करीब 34,250 रुपये प्रति टन पर आ गई थीं, जो 2017-18 और 2018-19 में अधिसूचित डंपिंग रोधी शुल्क के स्तरों से नीचें थीं। हालांकि यह गिरावट एक सीमित अवधि के लिए थी। हालांकि स्टॉक को खाली करने का दौर खत्म होने लगा तो घरेलू कीमतें नवंबर और दिसंबर में बढ़ गईं। वैश्विक कीमतों में तेजी से भी घरेलू कीमतों को सहारा मिल रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि इन दोनों कारकों की वजह से घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी के लिए काफी गुंजाइश है क्योंकि इससे दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसे अहम देशों से आयात करना आकर्षक नहीं रह जाता है।
इस्पात की कीमतों में सुधार का मतलब है कि लाभ मार्जिन में भी सुधार आएगा। लाभ मार्जिन 2019-20 की जुलाई-सितंबर अवधि में निचले स्तरों पर पहुंच गया था। हालांकि मांग में सुधार पर बाजार की नजर रहेगी क्योंकि इसका बिक्री मात्रा और मार्जिन पर सीधा असर पड़ेगा।
देश में इस्पात की मांग चालू वित्त वर्ष में अब तक सपाट या मामूली कम रहने के आसार हैं। हालांकि विश्लेषकों का रुख मांग में सुधार को लेकर सकारात्मक है। सिटी रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि भारत की मांग निचले स्तरों से बढ़ेगी। इस तरह वे इस्पात कीमतों में आगे बढ़ोतरी के आसार देख रहे हैं। सिटी का अनुमान है कि चीन से कम निर्यात और बाकी दुनिया में मांग बढऩे से वैश्विक कीमतों में तेजी आएगी, इसलिए उसने टाटा स्टील को अपग्रेड कर टॉप पिक बनाया है। इसके अलावा जेएसडब्ल्यू को बिक्री की जगह खरीद श्रेणी में डाला गया है। सिटी का सेल को लेकर रुख 'तटस्थ' है। ज्यादातर विश्लेषकों की इस्पात क्षेत्र में पहली पसंद टाटा स्टील है क्योंकि कंपनी घरेलू बाजार पर नए सिरे से ध्यान दिया है और परिचालन में तालमेल कायम किया है।
जेएसडब्ल्यू स्टील की आमदनी में नरमी के कारण उसके मुनाफे पर दबाव रहा है। लेकिन अब कीमतों और मांग में सुधार से कंपनी को न केवल लाभ होने होने का अनुमान है बल्कि कच्चे माल की नरम कीमतें विशेष रूप से कोकिंग कोल की कीमतें सकारात्मक साबित होंगी।
जेएसडब्ल्यू अपनी कोयले और लौह अयस्क की जरूरत के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर है। एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों के मुताबिक कंपनी के लिए मिश्रित कोकिंग कोयले की लागत वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में 10 डॉलर प्रति टन कम हुई है और इसमें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 25 से 30 डॉलर प्रति टन की और कमी आने के आसार हैं। जेएसडब्ल्यू को अपनी सालाना 50 लाख टन क्षमता की डोल्वी विस्तार परियोजना से उत्पादन मात्रा बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे भी कंपनी के लाभ में इजाफा होगा।
सेल को भी अपने उत्पादों की अधिक कीमत मिलने का फायदा मिलेगा। लेकिन कंपनी के मार्जिन में सुधार के लिए लागत को नियंत्रित करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके स्टॉक को लेकर विश्लेषकों का रुझान सुधर रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि जेएसपीएल को क्षमता विस्तार और परिचालन कुशलता का फायदा मिलेगा।
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