मझोले आकार के निजी बैंकों आरबीएल बैंक, फेडरल बैंक, सिटी यूनियन बैंक (सीयूबी), डीसीबी बैंक और करूर वैश्य बैंक (केवीबी) में कम से दो बातें समान दिख रही हैं। पहली बात तो यह कि वे खास ग्राहकों के साथ कारोबार को अधिकत वज्जो दे रहे हैं और दूसरा अहम पहलू यह है कि लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) को ऋण मुहैया कराना उनके कारोबार की खूबी रही है। एसएमई एक ऐसा खंड है जो अर्थव्यवस्था की चाल पर खासा निर्भर रहता है। जब अर्थव्यवस्था की गति सुस्त रहती है तो एसएमई पर सबसे पहले असर पड़ता है और इसे पटरी पर आने में भी सबसे अधिक समय लगता है।
इसका संकेत भी मिलने लगा है क्योंकि एसएमई को आवंटित बैंक ऋणों के भुगतान में देरी की घटनाएं बढ़ रही हैं। वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही में सालाना आधार पर सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में 30-120 आधार अंक की तेजी आई है। बैंकों के ऋण खातों में एसएमई ऋण की हिस्सेदारी 10 से 30 प्रतिशत होती है, जिससे यह स्पष्टï हो जाता है कि आरबीएल, केवीबी, डीसीबी बैंक, फेडरल बैंक के शेयरों में इस साल अब तक इतनी गिरावट क्यों आई है। इनके शेयरों का प्रदर्शन सीएनएक्स निफ्टी और निफ्टी प्राइवेट बैंक सूचकांकों के मुकाबले कमजोर रहा है।
हाल में प्रकाशित मूडीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएमई खंड में परेशानी जारी है और इसके मद्दनेजर निवेशकों को अधिक मुश्किलों के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि बैंकों का कहना है कि यह असर पिछली बार की तरह नुकसानदायक साबित नहीं होगा। इस बारे में एक बैंकर ने कहा, 'हम कुछ तिमाही पहले ही एमएसई ऋण को लेकर सतर्क हो गए थे, इसलिए हमें नहीं लगता कि ऐसे ऋणों पर बहुत अधिक दबाव पड़ा है।'
मझोले आकार के बैंक एसएमई कारोबार में किसी तरह की मंदी की भरपाई के लिए अपने कारोबार में तेजी ला रहे हैं। मिसाल के तौर पर फेडरल बैंक का खुदरा पोर्टफोलियो सितंबर तिमाही में 25 प्रतिशत बढ़ा है, जिसमें आवास एवं स्वर्ण ऋणों (गोल्ड लोन) की अधिक भूमिका रही है। बैंक अपना असुरक्षित एवं वाणिज्यिक वाहन ऋण कारोबार भी बढ़ा रहा है। जेफरीज के विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 2020 के अपने अनुमानों में 2.0 से 2.5 प्रतिशत कमी की है, लेकिन वे फेडरल बैंक के ऋण वृद्धि एवं शुद्ध ब्याज मार्जिन की वृद्धि को लेकर आशावान है। जेफरीज ने इनमें क्रमश: 20 प्रतिशत और 3.2 प्रतिशत तेजी आने का अनुमान व्यक्त जताया है।
आरबीएल बैंक ने फंसे ऋण का आंकड़ा 1,800 करोड़ रुपये रहने का अनुमान व्यक्त किया है। हालांकि यह क्रेडिट कार्ड और सूक्ष्म वित्त ऋणों से कारोबार वृद्धि की उम्मीद कर रहा है। बैंक को उच्च-वृद्धि-उच्च मार्जिन देने वाला बैंक माना जाता है, इसलिए इसके शेयर को लेकर एमके ग्लोबल का रुख सकारात्मक है। इस ब्रोकरेज कंपनी ने वित्त वर्ष 2020 और 2021 के लिए आय का अनुमान 13 प्रतिशत कम कर दिया है, लेकिन उन्हें लगता है कि बैंक का रिटर्न प्रोफाइल वित्त वर्ष 2021 की जून तिमाही तक सामान्य हो जाएगा।
एक दूसरे बैंक सीयूबी की हालत थोड़ी अलग है। एसएसमई ऋणों में इसका हिस्सा 33 प्रतिशत है और वृद्धि कमजोर पड़ रही है। दूसरी तिमाही की ऋण वृद्धि दर सालाना आधार पर 12 प्रतिशत रही, जो पहली तिमाही में 14 प्रतिशत दर्ज हुई थी। एमके ग्लोबल के विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 2020 के लिए आय अनुमान 1.2 प्रतिशत कम कर दिया है, लेकिन सीयूबी अपने पास उपलब्ध पूंजी और आय अर्जित करने के मजबूत रिकॉर्ड की बदौलत नुकसान सहने के लिहाज से मजबूत स्थिति में है। जहां तक निवेशकों की बात है तो शेयर द्वारा दर्ज लाभ के मद्देनजर वे कुछ मुनाफावसूली कर सकते हैं। जो लोग शेयर में निवेश करना चाहते हैं वे थोड़ा इंतजार कर सकते हैं।
फेडरल बैंक, सीयूबी और आरबीएल बैंक संभावित एसएसमई संकट से निपटने की बेहतर स्थिति में नजर आते हैं, वहीं केवीबी और डीसीबी बैंक के लिए मुश्किलें, खासकर वृद्धि के मोर्चे पर अधिक हो सकती हैं। पिछले दस वर्षों के दौरान डीसीबी बैंक अपने बहीखाते में सालाना 22 प्रतिशत सालाना दर से इजाफा कर रहा है, लेकिन अगले दो से तीन वर्षों में यह कम होकर 17-18 प्रतिशत रह सकता है। जेएम फाइनैंशियल ने वित्त वर्ष 2020 में बैंक के लिए अनुमान 8 प्रतिशत तक कम कर दिया है। हालांकि विश्लेषकों को परिसंपत्ति गुणवत्ता में और गिरावट की उम्मीद नहीं है, लेकिन सुस्ती अधिक समय तक रहने से स्थितियां बदल सकती हैं।
केवीबी की परिसंपत्ति गुणवत्ता और वृद्धि दर पर नुकसान का खतरा सबसे अधिक मंडरा रहा है। 8 प्रतिशत सकल एनपीए के साथ इसकी परिसंपत्ति गुणवत्ता सबसे कमजोर है। बैंक खुदरा खंड पर अधिक जोर दे रहा है और हिसाब से ऋण खाते मेंं बदलाव कर रहा है। यही वजह है कि दूसरी तिमाही में खुदरा ऋण खंड 33 प्रतिशत बढऩे के बाद भी समग्र ऋण खाते में केवल 1 प्रतिशत तेजी आई। वित्त वर्ष 2020 के शेष हिस्से में भी यही हालात रह सकते हैं, इसलिए इसकी वित्तीय स्थिति में सुधार वित्त वर्ष 2022 में जाकर दिख सकता है। निवेशकों के लिए इससे फिलहाल दूर रहना ही बेहतर है।
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