अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र से पावर एक्सचेंज लिमिटेड में लौटी जान | श्रेया जय / नई दिल्ली December 29, 2019 | | | | |
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की बिजली कारोबार करने वाली कंपनी पावर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (पीएक्सआईएल) अपना परिचालन दोबारा शुरू करने के बाद अक्षय ऊर्जा पर अपना जोर लगा रही है। उसकी नजर नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्रों (आरईसी) के बाजार को ऊपर उठाने पर होगी जिसमें बाजार की रुचि उत्साहहीन बनी हुई है। साल 2017 में जब पीएक्सआईएल के शुद्घ मुनाफे में गिरावट आई तो कंपनी को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था और उसके प्रमोटरों एनएसई और एनसीडीईएक्स इसे बंद कर देना चाहती थी। यह बात एनएसई की प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से पहले की है।
पीएक्सआईएल के प्रबंध निदेशक प्रभजीत कुमार सरकार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'प्रमोटर इस बात को लेकर बेचैन थे कि वे भिन्न मार्केट प्लेस तैयार कर रहे हैं। शुद्घ संपत्ति में आई गिरावट विषम परिस्थिति में फंसने वाली बात थी और बाहर से पैसा जुटाना मुश्किल हो गया था। लेकिन वित्त वर्ष 2018 से पीएक्सआईएल मुनाफा दर्ज कर रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि हमने अपने मजबूत क्षेत्रों पर ध्यान लगाया।'
सरकार ने कहा पीएक्सआईएल का जोर पिछले दो वर्षों में मुख्य तौर पर एक अवधि के लिए खरीदी जाने वाली बिजली बाजार (टीएएम) और आरईसी पर रहा है। उन्होंने कहा, 'और अब हमारे पास बड़े पैमाने पर एक दिन पहले के लिए खरीदी जाने वाली बिजली के हाजिर बाजार के लिए भी प्रयाप्त नकदी है।'
भारत में बिजली व्यापार बाजार के लिए दो प्लेटफॉर्म है- पीएक्सआईएल और इंडिया एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स)। एक दिन पहले बिजली खरीद के हाजिर बाजार के 95 फीसदी हिस्से पर आईईएक्स का कब्जा है। पीएक्सआईएल के पास आरईसी और टीएएम में 40 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है।
कंपनियों और राज्य सरकारों की ओर से नवीकरणीय बिजली संयंत्र स्थापित किए बिना ही अक्षय ऊर्जा की खरीद के लिए आरईसी की शुरुआत 2010 में हुई थी। परियोजना डेवलपर उत्पादित ऊर्जा को आरईसी के रूप में बेच सकते हैं। एक आरईसी का मतलब नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से 1 मेगावॉट घंटा उत्पादित बिजली है और इसका व्यापार बिजली एक्सचेंजो पर किया जाता है। इसे सौर आरईसी और गैर-सौर आरईसी में बांटा गया है।
हालांकि, सरकार इस बात से सहमत हैं कि आरईसी अभी भी एक कठिन क्षेत्र बना हुआ है। बाजार की रुचि में कमी और 2017 में 1 करोड़ से अधिक आरईसी अनबिके रह जाने के कारण इसका बाजार धराशायी हो गया था। सरकार ने कहा कि तब से व्यापार प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए उपलब्ध आरईसी की संख्या कम हो गई है लेकिन उसने बाजार के आकार को कम कर दिया है।
चालू वित्त वर्ष में 2,21,000 सौर आरईसी और 13.5 लाख गैर-सौर आरईसी का व्यापार किया गया है। सौर आरईसी के लिए पिछला बंद भाव 2,400 रुपये प्रति आरईसी (उत्पादित बिजली का 2.4 रुपये प्रति किलोवाट घंटा) और गैर-सौर के लिए यह 1,850 प्रति आरईसी (1.85 रुपये प्रति किलोवॉट घंटा) था। यह भाव ग्रिड से जुड़े सौर और पवन बिजली परियोजनाओं की मौजूदा कीमत से कम है।
सरकार ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों से उपलब्ध आरईसी की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। लेकिन खरीदारों की संख्या में इजाफा हुआ है। ये सभी ऐसे राज्य हैं जो अपनी अक्षय ऊर्जा खरीद बाध्यता (आरपीओ) पूरी करना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि आरईसी उपभोक्ताओं के एक ऐसे खास वर्ग के लिए फायदेमंद है जो अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित नहीं कर सकते लेकिन उन्हें हरित ऊर्जा की बाध्यता पूरी करनी है। ये औद्योगिक संकुल और वाणिज्यिक केंद्र आदि हैं।
उन्होंने कहा कि आरईसी तंत्र केवल तभी काम करता है जब परियोजना डेवलपर सौर बिजली परियोजनाओं की दीर्घावधि कीमत से कम कीमत पर बिक्री करते हैं। सरकार ने कहा, 'बहुत कम डेवलपर आरईसी के रास्ते आ रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कंपनी केंद्रीय बिजली नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत के लिए एक स्वेत पत्र तैयार कर रही है जिसमें मांग की जाएगी कि अक्षय ऊर्जा बाजार में आरईसी के अलावा विभिन्न तरह के ठेकों और उत्पादों को अनुमति दी जानी चाहिए।
एनएसई और एनसीडीईएक्स के अलावा पीएक्सआईएल बोर्ड में शामिल अन्य कंपनियां जीएमआर एनर्जी, टाटा पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी, सरकारी क्षेत्र की पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन, गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) और वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी हैं।
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