बैंकों द्वारा ऋण वितरण में कमी किए जाने से पैदा हुए नकदी संकट से हीरा तराशी और कटाई-छटाई से जुड़े व्यवसायियों ने खरीदारी में कटौती की जिससे भारत में 2019 में अब तक अपरिष्कृत हीरे के शुद्घ आयात में भारी गिरावट दर्ज की गई है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवद्र्घन परिषद से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से नवंबर 2019 के बीच अपरिष्कृत हीरे का सकल आयात अप्रैल-नवंबर 2018 के 10.34 अरब डॉलर के मुकाबले 17.24 प्रतिशत घटकर 8.55 अरब डॉलर रह गया। यह पिछले एक दशक में भारत में हीरे के आयात में सबसे बड़ी गिरावट में से एक है। बेन ऐंड कंसल्टिंग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, शुद्घ आयात में 32 प्रतिशत तक की कमी आई है।
दूसरी तरफ, कटे और तराशे हुए हीरे (सीपीडी) का निर्यात अप्रैल से नवंबर 2019 के बीच 18.96 प्रतिशत तक घटकर 13.41 अरब डॉलर रह गया, जो अप्रैल से नवंबर 2018 के दौरान 16.55 अरब डॉलर था। अकेले नवंबर 2019 में, भारत से सीपीडी निर्यात 25.18 प्रतिशत तक घटकर 1.66 अरब डॉलर पर रहा जो नवंबर 2018 में 1.56 अरब डॉलर था। वैश्विक हीरा उद्योग पर बेन ऐंड कंसल्टिंग की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में कमजोर स्थानीय मुद्रा, बैंकों द्वारा ऋण वितरण में कमी किए जाने से पैदा हुए नकदी संकट, और नोटबंदी के प्रभाव से भारत में आगामी माल के भंडारण को बढ़ावा मिला।
रिपोर्ट में कहा गया है, '2017 तथा 2018 में तराशे हुए हीरे की कमजोर बिक्री और अत्यधिक इन्वेंट्री के समावेश के साथ 2018 और 2019 में शुद्घ आयात में 3 और 30 प्रतिशत तक की कमी आई। भारत ने इस संदर्भ में भारी गिरावट दर्ज की।'
पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले चीन द्वारा अपरिष्कृत हीरे के शुद्घ आयात में अनुमानित 5 प्रतिशत गिरावट के विपरीत, भारत में इसके शुद्घ आयात में 2018 में 3 प्रतिशत और 2019 के पहले 8 महीनों में 42 प्रतिशत की कमी आई। फिर भी, चीन के 5 प्रतिशत और शेष दुनिया के 5 प्रतिशत योगदान की तुलना में वैश्विक रूप से अपरिष्कृत हीरे के 90 प्रतिशत आयात के साथ भारत का हीरे की कटाई एवं तराशी के उद्योग में दबदबा बना हुआ है।
इसके विपरीत, भारत का शुद्घ अपरिष्कृत हीरा आयात 2016-17 में उससे पहले के वर्ष की तुलना में 11 प्रतिशत तक घटा। इस गिरावट के लिए भारतीय बैंकों द्वारा अपनाया गया सतर्क रुख भी काफी हद तक जिम्मेदार है। भारतीय वित्त क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन और चुनौतियों के बाद बैंकों ने ऋण वितरण को लेकर काफी हद तक सतर्क रुख अपनाया है। इस वजह से देश में हीरे की तराशी और कटाई में लगे व्यवसायियों ने पुराना माल निकालने और अपना नकदी प्रवाह सुधारने के लिए अपरिष्कृत हीरे की खरीदारी में लगभग 30 प्रतिशत तक की कमी की।
भारत में उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक रूप से मांग के अभाव की वजह से खनिकों और छटाई कारोबारियों ने अपरिष्कृत हीरे की अपनी बिक्री और खरीद को तर्कसंगत बनाया है। कटाई और तराशी से जुड़ा 94 प्रतिशत आयातित अपरिष्कृत हीरा भारत से निर्यात किया जाता है, जिससे कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था से मांग में गिरावट आई है और इसलिए भारत में इस धातु की कटाई और तराशी में लगे व्यवसायियों के लिए भी मार्जिन प्रभावित हुआ है।
भविष्य में, अल्पावधि चुनौतियों के बावजूद हीरा बाजार के लिए दीर्घावधि परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। परिष्कृत हीरे के लिए मांग में सुधार आने की संभावना है और यह वर्ष 2030 तक या तो सपाट रहेगी या इसमें सालाना 3 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया जाएगा।
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