नकदी में सुधार से मिडकैप और स्मॉलकैप को होगा ज्यादा फायदा | बीएस बातचीत | | ऐश्ली कुटिन्हो / December 27, 2019 | | | | |
एडलवाइस ग्लोबल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के डिप्टी सीईओ शिव सहगल ने कहा है कि नकदी के परिदृश्य में हो रहा सुधार बाजार के लिए सकारात्मक है। को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि बाजार पूंजीकरण-जीडीपी के लिहाज से भारत 77 फीसदी पर कारोबार कर रहा है, जो उसका लंबी अवधि का औसत है और महंगा नहीं है। बातचीत के मुख्य अंश...
साल 2020 के लिए बाजार को लेकर आपका क्या नजरिया है?
आर्थिक सुस्ती के बीच इस साल निफ्टी करीब 12 फीसदी चढ़ा है, जो साल 2018 के आखिर में की गई उम्मीद के मुकाबले ज्यादा चढ़ा। साल 2018 में बाजार की तेजी व्यापक रही थी। पिछले साल फेडरल रिजर्व की ब्याज दर बढ़ोतरी व मात्रात्मक सख्ती की वजह से उभरते बाजारों से नकदी की निकासी हुई, जिससे कमजोर बढ़त व परिसंपत्ति बाजार के प्रदर्शन पर असर पड़ा। हालांकि साल 2019 में फेड ने अपना रुख बदल लिया, ब्याज दरें तीन बार घटाई और बैलेंस शीट में विस्तार किया। इन वजहों से नकदी परिदृश्य में सुधार हो रहा है, जो साल 2020 को लेकर हमें आशावादी बना रहा है। मुख्य मूल्यांकन एक साल आगे की आय के 18 गुने पर ऊंचा नजर आ रहा है। हालांकि इंडेक्स के भीतर ध्रुवीकरण को ढक देता है। बाजार पूंजीकरण-जीडीपी के लिहाज से भारत 77 गुने पर कारोबार कर रहा है, जो उसकी लंबी अवधि का औसत है पर महंगा नहीं है।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को लेकर आपका क्या नजरिया है?
मुझे लगता है कि नकदी के परिदृश्य में सुधार का सबसे ज्यादा फायदा मिडकैप व स्मॉलकैप शेयरों को होगा। ये शेयर जिस भाव पर कारोबार कर रहे हैं उसके मूल्यांकन में भारी छूट को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह सिर्फ समय की बात है जब वे लार्जकैप के पास पहुंच जाएंगे।
आप किन क्षेत्रों पर दांव लगा रहे हैं?
वैश्विक बाजारों पर केंद्रित क्षेत्रों का प्रदर्शन साल 2020 में अच्छा रहेगा और उस सीमा तक धातु, एक्सपोर्ट ऑटो और एक्सपोर्ट इंडस्ट्रियल्स का परिदृश्य शानदार नजर आ रहा है। हालांकि इनमें से कुछ ने असर दिखाया है, लेकिन हमें लगता है कि अभी कुछ और तेजी की गुंजाइश है। पिछले दो साल में बाजारों में दिखा ध्रुवीकरण पलट गया है और निवेशकों को हर क्षेत्र में पिछडऩे वाले शेयर पर नजर डालना चाहिए। इंडस्ट्रियल्स, एनबीएफसी और कॉरपोरेट बैंकों के मूल्यांकन पर दबाव है और साल 2020 में इसमें बदलाव होगा। कुल मिलाकर मूल्यांकन वाला शेयर साल 2020 में गुणवत्ता वाले शेयरों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगा।
उपभोक्ताओं का खर्च घटा है। इस स्थिति को आप कैसे देखते हैं?
उपभोक्ता खर्च में आई मौजूदा नरमी कुछ समय से बनी हुई है। हमारा निवेश व निर्यात चक्र साल 2012 में सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था और तब से हमने मंदी का लंबा वक्त देखा है। यही क्षेत्र रोजगार मुहैया कराता है। हालांकि साल 2018 तक उपभोग का स्तर ठीक-ठाक था क्योंकि आम परिवारों की नकदी बढ़ी थी और नकदी सहज थी। पिछले एक साल में नकदी का उपभोग पर असर पड़ा है। हालांकि नकदी में सहता के बाद मुझे लगता है कि उपभोग और कुल आर्थिक रफ्तार जल्द स्थिर होगी।
सितंबर के बाद से आई तेजी को देखते हुए क्या हम तेज गिरावट को लेकर अतिसंवेदनशील बन गए हैं?
बाजार मूल रूप से आगे की राह देखता है और वास्तविक अर्थव्यवस्था के बजाय नकदी पर त्वरित प्रतिक्रिया जताता है। मुझे लगता है कि नकदी की स्थिति ठीक बनी रहेगी और आर्थिक रफ्तार स्थिर होगी। ऐसे में उस सीमा तक मुझे बाजार की तेजी को लेकर कम चिंता होगी। ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि सितंबर से आ रही तेजी ज्यादा व्यापक है, न कि महज 10 अग्रणी शेयरों तक सीमित है।
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