भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट 2019 में कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के दबाव की जांच से पता चलता है कि करीब 8.6 फीसदी वैयक्तिक एनबीएफसी न्यूनतम 15 फीसदी पूंजी की नियामकीय अनिवार्यता का अनुपालन नहीं कर पाएंगी। करीब 14.2 फीसदी कंपनियां न्यूनतम नियामकीय सीआरएआर नियमों का अनुपालन नहीं कर पाएंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतम क्षमता वाली एनबीएफसी की नाकामी से बैंकिंग व्यवस्था का नुकसान कुल टियर-1 पूंजी का 2.5 फीसदी होगा। अधिकतम क्षमता वाली हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों की नाकामी से बैंकिंग व्यवस्था का नुकसान उसके कुल टियर-1 पूंजी का 4.6 फीसदी होगा। दोनों में से कोई भी स्थिति हो यानी एनबीएफसी या एचएफसी नाकाम होगी तो कोई भी अतिरिक्त बैंक नाकाम नहीं होगा।पिछले छह महीने में इस तरह का सुधार देखने को मिला है क्योंकि जून में आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा गया था कि एचएफसी की नाकामी से बैंकिंग व्यवस्था की कुल टियर-1 पूंजी का 5.8 फीसदी नुकसान होगा और एक बैंक नाकाम होगा। एनबीएफसी की नाकामी से कुल टियर-1 पूंजी का 2.7 फीसदी नुकसान होगा और एक बैंक नाकाम होगा।एनबीएफसी क्षेत्र का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2019 के आखिर के 6.1 फीसदी से बढ़कर सितंबर 2019 के आखिर में 6.3 फीसदी पर पहुंच गया। शुद्ध एनपीए अनुपात हालांकि मार्च 2019 और सितंबर 2019 के बीच 3.4 फीसदी पर स्थिर रहा। सितंबर 2019 के आखिर में एनबीएफसी क्षेत्र का सीआरएआर 19.5 फीसदी था, जो मार्च 2019 के आखिर में 20 फीसदी रहा था। एनबीएफसी में वित्तीय क्षेत्र के निवेश पर टिप्पणी करते हुए आरबीआई ने कहा है कि वित्तीय व्यवस्था से फंडों की शुद्ध देनदार एनबीएफसी रही है और सकल भुगतानयोग्य रकम 8,29,468 करोड़ रुपये रहा है जबकि सकल प्राप्तियां करीब 66,635 करोड़ रुपये और ये आंकड़े सितंबर 2019 के आखिर के हैं। सकल भुगतानयोग्य रकम पर नजर डालने से संकेत मिलता है कि 48.4 फीसदी फंड एससीबी से हासिल किए गए जबकि 26 फीसदी एएमसी-एमएफ से और 21.3 फीसदी बीमा कंपनियों से। वित्त वर्ष 2018-19 में एससीबी की हिस्सेदारी बढ़ी थी, लेकिन 2019-20 की पहली छमाही में इसमें मामूली गिरावट आई है। एएमसी-एमएफ की हिस्सेदारी पिछली कुछ तिमाहियों से घट रही है।एनबीएफसी के बाद एचएफसी वित्तीय व्यवस्था से कर्ज लेने वाला दूसरा देनदार है और सितंबर 2019 के आखिर में सकल भुगतानयोग्य रकम 5,90,039 करोड़ रुपये थी जबकि सकल प्राप्तियां 33,110 करोड़ रुपये। एचएफसी को रकम मुहैया कराने में एएमसी-एमएफ की हिस्सेदारी पिछले साल तेजी से घटी और सिर्फ वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में इसमें मामूली बढ़ोतरी दर्ज हुई है। इसकी तुलना में एससीबी की सापेक्षिक हिस्सेदारी में बढ़ोतरी नजर आई है, लेकिन सितंबर 2019 में यह घटकर 40.9 फीसदी रह गई।
