मुकेश अंबानी का पारिवारिक मामला : आयकर विभाग ने सात देशों से मांगी जानकारी
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली December 27, 2019
आयकर विभाग ने मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्यों के खिलाफ काला धन अधिनियम 2015 के तहत जारी एक मामले में सात देशों से विस्तृत जानकारी मांगी है। इस मामले में अंबानी परिवार के सदस्यों पर विदेशी आय एवं परिसंपत्तियों का खुलासा न करने का आरोप लगाया गया है। इन सात देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, सैंट लुइस, मॉरिशस, लग्जमबर्ग और बेल्जियम शामिल हैं।
पिछले महीने इन देशों से मांगी गई जानकारी मुख्य तौर पर कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट से संबंधित हैं। आयकर विभाग का कहना है कि इसका इस्तेमाल अंबानी परिवार के स्वामित्व वाली दो भारतीय कंपनियों- रिलायंस यूटिलिटीज ऐंड पावर (आरयूपीएल) और रिलायंस पोर्ट ऐंड टर्मिनल (आरपीटीएल) को वैश्विक डिपॉजिटरी रिसीट (डीजीआर) सहित 40 करोड़ डॉलर मूल्य के विदेशी फंड के हस्तांतरण के लिए किया गया।
आयकर विभाग ने इन देशों से कर संधि के तहत सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए निर्धारित प्रारूप में जानकारी मांगी है। इसके लिए एक पत्र प्रधान आयुक्त (आयकर), मुंबई-3 के कार्यालय से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के संयुक्त सचिव (विदेशी कर एवं कर अनुसंधान) को भेजा गया। सीबीडीटी के इस विभाग से कर संधियों के तहत सात देशों को जानकारी के लिए पत्र भेजे गए हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा ई-मेल के जरिये भेजी गई एक प्रश्नावली के जवाब में कहा, 'हम एक बार फिर इस आरोप का पुरजोर खंडन करते हैं कि मुकेश अंबानी के परिवार के किसी भी सदस्य के पास ऐसी कोई विदेशी आय अथवा परिसंपत्ति नहीं है जिसका खुलासा न किया गया हो। हमारे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं और वे केवल दुर्भावना के उद्देश्य से भेजे गए हैं। हमारे पास कानून के अनुसार कार्रवाई करने का अधिकार है।'
इसी साल 29 मार्च को मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी और उनके तीन बच्चों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था। आयकर विभाग ने अपने विदेशी समकक्षों को भेजे गए पत्र में कहा है कि इस करदाता ने कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट की जानकारियों का खुलासा नहीं किया जिसका संबंध केमैन आईलैंड की कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड (आईसीएल) है। इसके अलावा उन्होंने कंपनी की परिसंपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया जहां विभिन्न घरेलू एवं विदेशी उपक्रमों के जरिये लाभार्थी मालिक थे।
विभाग ने अमेरिका को भेजे गए अपने अनुरोध पत्र में कहा है, 'इस ट्रस्ट के लाभार्थी मालिक होने के नाते उनके बिना खुलासे वाली परिसंपत्तियों और विदेशी आय के लिए उन पर काला धन अधिनियम के प्रावधानों के तहत कर देनदारी बनती है। वर्ष 2002 में जारी जीडीआर से लेकर अब तक कर चोरी की वास्तविक रकम का आकलन करने के लिए पूरे लेनदेन में शामिल सभी कंपनियों की जानकारी हासिल करना जरूरी है।'
आयकर विभाग के अनुसार, अंबानी परिवार ने कारण बताओ नोटिस में लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है और उसने 7 जून को जीडीआर पेशकश दस्तावेज के साथ अन्य दस्तावेजों की प्रति भी जमा कराई है। करदाता की ओर से दी गई जानकारी के सत्यापन के लिए विभाग ने संबंधित देशों से विस्तृत जानकारी मांगी है।
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