मैकलॉयड के लिए एनसीएलटी का रास्ता कितना व्यावहारिक!
अभिषेक रक्षित और ईशिता आयान दत्त / कोलकाता December 25, 2019
तीन वित्तीय कर्जदाता कंपनियों येस बैंक, टेक्नो इलेक्टिक ऐंड इंजीनियरिंग और आईएलऐंडएफएस इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड ने बी एम खेतान ग्रुप तथा मैकलॉयड रसेल कंपनी के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में याचिका दायर की है। वित्तीय कर्जदाताओं ने दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) की धारा 7 के तहत न्यायाधिकरण में शिकायत दर्ज कराई है। धारा 7 कर्जदाता कंपनियों को कर्ज लेने वाले कारोबारी द्वारा डिफॉल्ट करने की स्थिति में कारोबारी के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति देती है।
मैकलॉयड अभी तक एनसीएलटी में नहीं पहुंची और इस मामले पर अगले महीने सुनवाई होनी है। इस बात की भी संभावना है कि एक समाधान भी प्रस्तुत किया जाए या वित्तीय कर्जदाताओं के साथ कर्ज पुनर्गठन योजना पर चर्चा की जाए। हालांकि अगर इस मामले को स्वीकृति मिल जाती है और आईबीसी के तहत कंपनी के शीर्ष स्तर में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की जाती है तो इसके आकार के चलते बहुत अधिक खरीदार मिलने की संभावना नहीं है।
भारत की सबसे बड़ी चाय कंपनी मैकलॉयड द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही और वित्त वर्ष 2018-19 के दौैरान 21 चाय बागान बेचने के बाद भी कंपनी के पास भारत में 5.5-5.8 करोड़ किलोग्राम मात्रा उपलब्ध है। विदेशी कारोबार से इसमें 2.6 करोड़ किलोग्राम मात्रा और जुड़ जाती है जिसके चलते कंपनी का कुल उत्पादन करीब 8.1-8.4 करोड़ किलोग्राम हो जाता है।
कानून क्षेत्र से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि अगर एनसीएलटी मैकलॉयड के खिलाफ दायर दिवाला समाधान याचिका को स्वीकार कर लेती है तो भी इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर की सहायक इकाइयों पर असर नहीं पड़ेगा। उद्योग क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि कोई भी स्थापित कंपनी सभी चाय बागानों की बोली नहीं लगाएगी। कुछ ने पहले ही मैकलॉयड से चाय बागान खरीद लिए हैं। एक चाय उद्यमी ने कहा कि उद्योग की हालिया स्थिति बाजार में टिके रहने के हिसाब के कठिन है। चाय कंपनी ने पिछले एक साल में 7-8 बागान बेचे हैं। मैकलॉयड के बाद टाटा ग्लोबल बेवरिजेस की अमलगमेटेड प्लांटेशन देश की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी है। यह पूछे जाने पर कि क्या टाटा ग्लोबल बेवरेजेस अपने चाय बागानों के कारोबार के विस्तार पर विचार करेंगे, एक प्रवक्ता ने कहा, 'फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।'
टाटा ग्लोबल बेवरिजेस अपनी दो सहायक कंपनियों अमलगमेटेड प्लांटेशन (असम तथा पश्चिम बंगाल) और कन्नन दीवान हिल्स प्लांटेशन कंपनी (दक्षिण भारत) की मदद से चाय बागान क्षेत्र में कारोबार करती है।
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