भारत में इंजन इकाई लगाने पर विचार कर रही सैफ्रन | अनीश फडणीस / मुंबई December 25, 2019 | | | | |
फ्रांस का सैफ्रन गु्रप अपने एयरलाइन ग्राहकों की तेजी से बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत में विमान इंजनों के लिए मैंटेनेंस रिपेयर ऐंड ओवरहॉल (एमआरओ) इकाई पर 15 करोड़ डॉलर के निवेश पर विचार कर रहा है। अमेरिका स्थित सीएफएम इंटरनैशनल में सैफ्रन और जीई एविएशन की 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। सीएफएम द्वारा निर्मित इंजनों का इस्तेमाल एयरबस ए320 और बोइंग 737 जैसे विमानों में किया जाता है।
मौजूदा समय में, भारत में लगभग 220 एयरबस और बोइंग विमानों में ये इंजन लगे हुए हैं। इसके अलावा कंपनी को इंडिगो, स्पाइसजेट और विस्तारा के 485 विमानों में सीएफएम इंजन लगाने का ऑर्डर मिला है। ये इंजन अगले पांच साल में सौंपे जाएंगे। इसका मतलब होगा कि आने वाले वर्षों में भारत में लगभग 1,000 नए इंजन परिचालन में होंगे।
सीएफएम इंटरनैशनल इंजन निर्माता प्रैट ऐंड व्हिटनी के साथ प्रतिस्पर्धा करती है और उसने इंडिगो से जून में 280 एयरबस ए320 नियो के लिए इंजन आपूर्ति का 20 अरब डॉलर का अनुबंध हासिल किया। इस बड़े अनुबंध को मिलने के बाद कंपनी ने भारत में एमआरओ स्थापित करने की योजना पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत में एमआरओ संयंत्र की स्थापना की योजना के बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सैफ्रन ने कहा, 'भारतीय एयरोस्पेस उद्योग के दीर्घावधि भागीदार के तौर पर सैफ्रन यहां वृद्घि में योगदान देने के लिए प्रतिबद्घ है। एशिया और खासकर भारत में सीएफएम इंजनों के तेज विस्तार को देखते हुए हम एमआरओ की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत में नई इकाई तैयार करने की संभावना तलाश रहे हैं। यह नया संयंत्र 15 करोड़ डॉलर से ज्यादा के निवेश से जुड़ा होगा।'
मौजूदा समय में, सिर्फ एयर इंडिया के पास विमान इंजनों के घरेलू तौर पर मैंटेनेंस के लिए सुविधाएं मौजूद हैं जबकि अन्य सभी एयरलाइन मरम्मत के लिए अपने इंजन देश से बाहर भेजती हैं। घरेलू एमआरओ से भारतीय एयरलाइनों को विदेशी मुद्रा से संबंधित खर्च घटाने में मदद मिलेगी और साथ ही इससे इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
सैफ्रन के अधिकारियों की एक टीम ने कुछ महीने पहले मुंबई में एयर इंडिया की एमआरओ इकाइयों का दौरा किया था और इस एयरलाइन की क्षमताओं का आकलन किया था। एयर इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में श्रम लागत यूरोप या अमेरिका के मुकाबले आधी है और इससे अन्य एयरलाइनों के लिए मैंटेनेंस इकाई बेहद उपयोगी साबित होगी।
सैफ्रन गु्रप अपनी एमआरओ के लिए कर एवं नियामकीय ढांचे से संबंधित मामलों पर नागरिक उड्डïयन मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है। भारत में, विमानों की मरम्मत से जुड़े कार्य पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू है और हवाई अड्डïा ऑपरेटर भी एमआरओ व्यवसाय पर ऊंचे शुल्क वसूलते हैं।
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