उड़द के भाव पिछले दो महीने के दौरान 20 फीसदी बढ़े हैं। दरअसल मॉनसून सीजन में भारी बारिश और बाढ़ से खरीफ सत्र की उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा था। सरकार के स्वामित्व वाले एगमार्कनेट पोर्टल के आंकड़ों से पता चलता है कि बेंचमार्क महाराष्ट्र की लातूर मंडी में उड़द के भाव बढ़कर 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए हैं, जबकि अक्टूबर की शुरुआत में कीमतें 58 रुपये प्रति किलोग्राम थीं।
उड़द का यह भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी अधिक है। उड़द की दाल खुदरा बाजार में 100 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। इसके महंगे होने से अरहर, चना और मसूर जैसी अन्य सभी दालें महंगी हो गई हैं, जिसका असर मध्य वर्गीय उपभोक्ता पर पड़ रहा है।
दलहन कारोबारी और आयातक पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक बिमल कोठारी ने कहा, 'प्रमुख उड़द उत्पादक क्षेत्रों में फसल को नुकसान के कारण पिछले दो महीनों में इसकी कीमतें बढ़ी हैं। मॉनसून के दौरान भारी बाढ़ से खरीफ की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा था।' हालांकि कोठारी का अनुमान है कि उड़द और अन्य दालों की कीमतें आगामी महीनों में घटेंगी। इसकी वजह यह है कि इस बार मॉनसून सीजन लंबा रहने से खेतों की मिट्टी में पर्याप्त नमी है, इसलिए इस साल रबी सीजन में दलहन का भारी उत्पादन होने की संभावना है। इस बीच चालू वर्ष में उड़द का रकबा मामूली गिरावट के साथ 38.8 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल 39.6 लाख हेक्टेयर था।
हालांकि कारोबारी सूत्रों का अनुमान है कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और अन्य प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बाढ़ के कारण करीब 20 फीसदी उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा है। सरकार ने कीमतों का दबाव कम करने के लिए 18 दिसंबर, 2019 तक की एक साल की अवधि में चार लाख टन उड़द के आयात को मंजूरी दी है। इसके अलावा सरकार ने अतिरिक्त 2.5 लाख टन उड़द के आयात को मंजूरी दी है। यह आयात 31 मार्च, 2020 तक करना होगा। हालांकि कारोबारी सूत्रों का कहना है कि निर्धारित अवधि में उड़द की पूरी स्वीकृत मात्रा का आयात करना संभव नहीं होगा। भारत उड़द का आयात मुख्य रूप से म्यांमार से करता है। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'म्यांमार से भारतीय बंदरगाहों तक माल को पहुंचने में कम से कम 20 दिन लगते हैं, इसलिए 31 मार्च 2020 तक पूरी मात्रा का आयात करना नामुमकिन होगा। ऐसे में सरकार को उड़द की पूरी मात्रा का आयात करने के लिए समयसीमा कम से कम एक महीने बढ़ानी चाहिए।' सरकार ने आयात के अलावा अपने बफर स्टॉक से 8.5 लाख टन विभिन्न दालें खुले बाजार में बेचने की घोषणा की है। इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन जीतू भेदा ने कहा, 'सरकार को अपने बफर स्टॉक से केवल उड़द की बिक्री करनी चाहिए, जो एमएसपी से ऊपर बिक रही है। अन्य सभी दालों के दाम एमएसपी से नीचे हैं और इसलिए उनके बफर स्टॉक की बिक्री नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा सरकार को उड़द के आयात के नियमों को नरम बनाने के बारे में पूरी सक्रियता से विचार करना चाहिए।'
हालांकि बफर स्टॉक से दलहन की बिक्री निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। कोठारी का भी मानना है कि बफर स्टॉक की बिक्री से कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पडऩे के आसार हैं। भारत में दलहन उत्पादन करीब 250 लाख टन है, इसलिए भारत दलहन में आत्मनिर्भर है, लेकिन कई बार कमी पूरी करने के लिए आयात करता है।
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