भारत में बढ़ती रोबोटिक सर्जरी पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नजर
सोहिनी दास / मुंबई December 23, 2019
भारत में रोबोटिक सर्जरी तेजी से जगह बना रही है, जिसे देखते हुए बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी नई तकनीक यहां लाने की योजना बना रही हैं। इस क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि यह बाजार 2016 मे 12.99 करोड़ डॉलर का था और 2025 में इसका बाजार 37.25 करोड़ डॉलर (करीब 2,600 करोड़ रुपये) का हो जाएगा और इस क्षेत्र की चक्रवृद्धि वृद्धि दर 19.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। भारत में मेडिकल उपकरण की वृद्धि दर सालाना 28 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो 2025 तक बढ़कर 50 अरब डॉलर (3.6 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
उद्योग का दावा है कि करीब 39 भारतीय हेल्थकेयर सुविधाओं में उच्च श्रेणी की रोबोटिक सर्जरी हो रही है। इनमें राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, सर गंगाराम हॉस्पिटल, फोर्टिस हेल्थकेयर, मेदांता, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, अपोलो हॉस्पिटल्स, मैक्स हॉस्पिटल्स, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, और जसलोक हॉस्पिटल शामिल हैं।
जॉनसन ऐंड जॉनसन मेडिकल डिवाइस कंपनीज (जेजेएमडीसी) का कहना है कि उसका प्लेटफॉर्म इस समय भारत में मौजूद नहीं है, लेकिन वह वैश्विक नवोन्मेश यहां लाने के लिए काम कर रही है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, 'इसका एक उदाहरण को क्रियेटेड डिजिटल इको सिस्टम है, जिसका नेतृत्व डीपुई सिंथेस (जेजेएमडीसी की एक इकाई) कर रही है, जो मरीजों के लिए समग्र नी ऑर्थोप्लास्टी की सुविधा मुहैया कराती है।'
अक्टूबर में ब्रिटेन की सीएमआर सर्जिकल्स ने अपना पहला वर्सियस रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम पुणे के एक अस्पताल को बेचा। इसका प्राथमिक रूप से इस्तेमाल लैप्रोस्कोपिक या मिनिमली इनवेसिव सर्जरी में होता है। यह फर्म सर्जिकल रोबोटिक व्यवस्था के लिए दुनिया की पहली क्लीनिकल रजिस्ट्रीय पेश करने जा रही है।
अमेरिका की इंट्यूटिव सर्जिकल इंक भारत में तेजी से बढ़ती रोबोटिक सर्जरी सिस्टम कंपनी है। कंपनी के जनरल मैनेजर मंदीप सिंह कुमार कहते हैं, 'भारत में रोबोटिक सर्जिकल मार्केट शुरुआती चरण में है, जिसे अभी परिपक्व होना बाकी है। दीर्घावधि के हिसाब से भारत अहम बाजार है।'
कुमार ने कहा, 'भारत में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए हमने प्रशिक्षण केंद्रों पर निवेश किया है, कर्मचारी रखे हैं, जिसमेंं वह टीम शामिल है, जो सर्जन के साथ काम करती है। साथ ही हम दीर्घावधि के हिसाब से अस्पतालों को मदद कर रहे हैं। हमने हाल में अतिरिक्त प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। हमारा लक्ष्य सर्जनों को इस तकनीक का प्रशिक्षण और इस सिलसिले में समर्थन देना है।'
अस्पतालों का कहना है कि एक बार जब बीमा कंपनियां रोबोटिक सर्जरी को कवर करना शुरू कर देंगी, मांग बहुत तेजी से बढ़ सकती है। मणिपाल एजुकेशन ऐंड मेडिकल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पई ने कहा, 'भारत में रोबोटिक सर्जरी की उम्र अभी 5-7 साल हुई है। हम इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति देख रहे हैं, खासकर ऑकोलॉजी, यूरोलॉजी,गाइनेकोलॉजी और थोरासिक सर्जरी में इसका इस्तेमाल हो रहा है।'
बहरहाल इस तरह की सेवाएं देने वाले केंद्र अभी सीमित हैं। उन्होंने कहा, 'इसके उपकरण महंगे हैं, ऐसे में मरीजों पर सर्जरी का बोझ ज्यादा पड़ता है। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में रोबोटिक प्रक्रिया का कवर नहीं मिलता है। ऐसे में मरीज यह विकल्प कम इस्तेमाल करते हैं। साथ ही बड़ी संख्या में रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल करके इसकी लागत घटाई जा सकती है और इसे ज्यादा वहनीय व पहुंच योग्य बनाया जा सकता है।'
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