'एनबीएफसी को बैंक बनने के लिए करें प्रोत्साहित' | बीएस बातचीत | | शुभायन चक्रवर्ती और इंदिवजल धस्माना / December 22, 2019 | | | | |
एसोचैम के नए अध्यक्ष और रियल एस्टेट कारोबारी निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों के कर की दरों में कटौती होनी चाहिए जिससे खपत को बढ़ावा मिले और निवेश बहाल हो। उन्होंने शुभायन चक्रवर्ती और इंदिवजल धस्माना से बातचीत में कहा कि 17 प्रतिशत की दर से कम कॉर्पोरेशन कर का विस्तार सभी कंपनियों तक किया जाना चाहिए, न कि सिर्फ नई विनिर्माण कंपनियों तक। बातचीत के अंश..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एसोचैम की एजीएम में कंपनियों को निवेश करने का सुझाव दिया। मोदी सरकार सुधारों की पहल कर रही है, अर्थव्यवस्था क्यों नहीं गति पकड़ रही है?
प्रधानमंत्री को साफ है कि वह क्या हासिल करना चाहते हैं। दूसरी बाद ध्यान देने की क्षमता और यह देखना है कि चीजें किस तरह चल रही हैं। क्या नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर, रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण अधिनियम (रेरा) और ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता अच्छा विचार नहीं है? अब आपके पास तमाम बेहतर विचार हैं। लेकिन अगर आप उनका एकसाथ घालमेल कर देंगे और इन बेहतर विचारों के नतीजों पर ध्यान नहीं देंगे तब वही तमाम समस्याएं आएंगी, जिनसे हम जूझ रहे हैं। नोटबंदी के दौरान समस्या यह थी कि हाशिये पर खड़े लोगों के पास पर्याप्त नकदी नहीं थी, जबकि रियल एस्टेट क्षेत्र में रेरा के बावजूद परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध नहीं हुआ। फैसलों का शुरुआती लाभ नहीं हुआ।
अभी क्या किए जाने की जरूरत है?
देश को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आर्थिक वृद्धि दर 10-12 प्रतिशत सालाना पर पहुंचाने की जरूरत है, न कि मौजूदा 4-5 प्रतिशत रखने की। इसके लिए हमें नकदी में सुधार और बाजार में मांग पैदा करने की जरूरत है। नोटबंदी के बाद से पूरा पैसा बैंकों और म्युचुअल फंडों में जमा हो गया। लेकिन बैंक सीधे धन देने में सक्षम नहींं थे, इसलिए उन्होंने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को धन दिया। म्युचुअल फंडों ने भी शेयर बाजार में पैसे लगाए। एनबीएफसी ने ज्यादातर कारोबारियों को पैसे दिए। लेकिन आईएलऐंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी क्षेत्र में नकदी कम हो गई और उन्होंने उधार देना बंद कर दिया क्योंकि वे खुद बीमार थे। अब बैंकिंग व्यवस्था और एनबीएफसी दोनों में नकदी कम होने की वजह से, जो ढांचागत समस्या है, हम समस्या का सामना कर रहे हैं। इसलिए हमने सुझाव दिया है कि एनबीएफसी में तेजी से सुधार लाया जाना चाहिए और उन्हें बैंक बनने की अनुमति दी जानी चाहिए तथा और ज्यादा निजी बैंक बनाए जाने चाहिए।
लघु वित्त बैंकों की संभावना के लिए क्या लाइसेंस नहीं दिए गए?
मैं चाहता हूं कि 50 नए बैंक बनें। एनबीएफसी को बैंक बनने के लिए प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है।
लेकिन मांग कैसे पैदा करेंगे?
अभी आत्मविश्वास की बहुत कमी है। इसके लिए मैंने जीएसटी दरों में कटौती करने और अगले 6 महीने में अर्थव्यवस्था में 1.2 लाख करोड़ रुपये डालने का सुझाव दिया है। इसका नकारात्मक पहलू यह है कि राजकोषीय घाटा बढ़ेगा और जीएसटी में कमी की वजह से राज्यों को और ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। लेकिन यह जोखिम लेना फायदेमंद है क्योंकि इन कदमों से आखिर में मांग बढ़ेगी। आपूर्ति के हिसाब से देखें तो सरकार ने पहले ही कॉर्पोरेशन कर घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। लेकिन व्यक्तिगत लोगों और साझेदारी फर्मों व अन्य तरह के कारोबार पर पर लगने वाले कर में कटौती करने की जरूरत है, जो अभी भी ज्यादा कर का भुगतान करते हैं।
क्या राजकोषीय घाटा बढऩे से महंगाई दर नहीं बढ़ेगी?
आज अर्थव्यवस्था को बचाने का यही एकमात्र रास्ता है।
कॉर्पोरेशन कर दरों में कटौती के बावजूद निवेश क्यों नहीं बढ़ रहा है?
यहां एक अहम मसला है। सरकार ने नई कंपनियों का कार्पोरेशन कर घटाकर 17 प्रतिशत किया है, जो त्रुटिपूर्ण फैसला है। मैं 35 साल से कंपनी चला रहा हूं और अब हमें 17 प्रतिशत कर का लाभ उठाने के लिए नई कंपनी बनानी पड़ेगी, मुझे लगता है कि यह गलत है।
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