सरकार द्वारा संचालित नैशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नालको) अंतरराष्ट्रीय बाजार में एल्युमिना बिक्री को लेकर अपनी रणनीति फिर से मजबूत करने की योजना बना रही है। नालको अपना सारा अतिरिक्त एल्युमिना हाजिर बाजार को देती रही है जो प्रमुख खरीदारों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध मजबूत करने की उसकी पिछली रणनीति से अलग स्थिति रही है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस नवरत्न कंपनी ने अपना 95 प्रतिशत से अधिक निर्यात योग्य एल्युमिना अंतरराष्ट्रीय हाजिर बाजार में बेचा था क्योंकि दाम बढ़कर प्रति टन 600 डॉलर से अधिक हो गए थे जिससे एल्युमीनियम विनिर्माताओं को अप्रत्याशित लाभ मिला। उत्साहजनक दामों की वजह से नालको को एल्युमिना बिक्री से अपनी सर्वाधिक 700 डॉलर प्रति टन से ज्यादा आमदनी हुई थी। हालांकि अमेरिका द्वारा यूसी रसल पर प्रतिबंध और ब्राजील में नोस्र्क हाइड्रो की एल्युनोर्टे रिफाइनरी पर लगाम लगाए जाने के कारण एल्युमिना की आपूर्ति में कमी शुरू होने से बाजार में डर पैदा हो गया था। लेकिन यूसी रसल और दुनिया के सबसे बड़े एकल एल्युमिना रिफाइनिंग केंद्र एल्युनोर्टे से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भी इस मध्यवर्ती उत्पाद की कीमतों में नरमी आई। एक साल में अब तक एल्युमिना के अंतरराष्ट्रीय दाम लुढ़कते हुए आधे होकर तकरीबन 300 डॉलर के आस-पास हो चुके हैं जिससे नालको के मार्जिन में कमी आई है।नालको ने दूसरी तिमाही के दौरान 28 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है क्योंकि सुस्त दामों ने इसका लाभ कम कर दिया। पिछले कुछ सालों के दौरान एल्युमिना निर्यात से नालको के लाभ को बढ़ावा मिला है, हालांकि यह सीपीएसई (केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम) बिजली और अन्य कच्चे माल की बढ़ती लागत की वजह से अपने एल्युमीनियम कारोबार से लाभ उठाने के लिए अब भी जूझ रहा है। एल्युमीनियम और एल्युमिना दोनों के ही दाम कम होने के कारण नालको प्रमुख वैश्विक कंपनियों के साथ एल्युमिना के दीर्घकालिक अनुबंध पर फिर से जोर देने पर विचार कर रही है। नालको के एक सूत्र ने कहा कि वित्त वर्ष 19 के दौरान हमारे अतिरिक्त एल्युमिना की बामुश्किल तीन लाख टन की ही द्विपक्षीय संधि के जरिये बिक्री की गई है। हमने हाजिर बाजार में भारी मात्रा में एल्युमिना बेचने को प्राथमिकता दी है क्योंकि दाम तेज थे। लेकिन एल्युमिना के दामों में नरमी का रुख देखते हुए हम अपनी रणनीति पर फिर से विचार कर सकते हैं और दीर्घकालिक बिक्री के लिए एल्युमिना की अधिक मात्रा ला सकते हैं।सामान्य रूप से वैश्विक बाजारों में एल्युमिना का भाव एल्युमीनियम के हाजिर दामों के 14 से 15 प्रतिशत के स्तर पर रहता है। हालांकि कैलेंडर वर्ष 2018 में यूसी रसेल पर प्रतिबंध लगाने से पैदा हुई आपूर्ति बाधा ने बाजारों को डरा दिया था जिससे एल्युमिना के दाम बढ़कर एल्युमीनियम के हाजिर दामों के 30 प्रतिशत के स्तर तक पहुंच गए थे। लेकिन कैलेंडर वर्ष 2019 के दौरान दामों में लगातार गिरावट के कारण एल्युमिना के दाम फिर से घटने लगे और एल्युमीनियम के हाजिर दामों के 16 प्रतिशत के स्तर पर आ गए। एकीकृत कंपनी होने के बावजूद नालको पर एल्युमिना के कमजोर दामों का नकारात्मक असर पड़ा था। वित्त वर्ष 20 की दूसरी तिमाही में इस नवरत्न कंपनी ने 28 करोड़ रुपये का तिमाही घाटा दर्ज किया था क्योंकि एल्युमिना निर्यात से कम प्राप्ति और बिजली की अधिक लागत ने मार्जिन कम कर दिया था। नालको हर साल अपने विदेशी ग्राहकों को 10 लाख टन अतिरिक्त एल्युमिना का निर्यात करती है।
