44 सूचीबद्ध कंपनियों के सीएसआर में गाय भी शामिल | |
सचिन मामबटा / 12 19, 2019 | | | | |
बॉम्बे पंजरापोल और उसके नीले रंग के ऊंचे प्रवेशद्वार तक जाने वाली संकरी गलियां इसके भीतर दो एकड़ में फैली गौशाला से बिल्कुल विपरीत हैं। देश की वित्तीय राजधानी के बीचोंबीच स्थित इस गौशाला में 350 गाय हैं। ऐसे शहर, जिसमें वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 500 वर्ग फुट का अपार्टमेंट खरीदना भी बड़ा मुश्किल है, वहां ऐसी गौशालाओं की संख्या बढ़ रही है। इसका श्रेय भारतीय कंपनियों की तरफ से दिए जाने वाले धन को जाता है, जिसमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय कंपनियों का गौशालाओं को दान देने में रुझान बढ़ रहा है।
मुंबई में फ्लोर स्पेस इंडेक्स 1.83 है, इसलिए दो एकड़ के भूखंड में 500-500 वर्ग फुट के कम से कम 320 अपार्टमेंट बन सकते हैं। कॉरपोरेट ट्रैकर एनएसईइन्फोबेस डॉट कॉम के आंकड़े दर्शाते हैं कि कम से कम 21 सूचीबद्ध कंपनियों ने 2018-19 में अनिवार्य कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) खर्च के तहत गाय एïवं संबंधित पहलों के लिए धन मुहैया कराया है। सीएसआर खर्च शुरू होने के बाद ऐसे ऐसे दान देने वाली सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या बढ़कर 44 हो गई है। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सीएसआर को अनिवार्य बनाए हुए पांच साल हो गए हैं।
उन परियोजनाओं पर कुल सालाना खर्च बढ़कर 12.6 करोड़ रुपये हो गया है, जिनमें गायों से संबंधित गतिविधियां भी शामिल हैं। यह धनराशि वित्त वर्ष 2018 में 9.11 करोड़ रुपये थी। इसमें वित्त वर्ष 2019 के दौरान 38.7 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। यह राशि एक साल में 50,000 स्कूली बच्चों को मध्याह्न भोजन मुहैया कराने के लिए आवश्यक राशि के बराबर है। सरकार की मध्याह्न भोजन योजना के आंकड़ों के अनुमानों के मुताबिक प्रत्येक भोजन की लागत 7 रुपये से कम है। प्राइम की एनएसईइन्फोबेस डॉट कॉम के आंकड़े दर्शाते हैं कि गाय से संबंधित कार्यों पर खर्च इस साल सबसे अधिक रहा है। हालांकि अलग से आंकड़ों के अभाव में यह पता लगाना मुश्किल है कि केवल गाय से संबंधित परियोजनाओं पर कितना पैसा खर्च हुआ है।
कॉरपोरेट ट्रैकर प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, 'मौजूदा सरकार की इस विषय में रुचि को देखते हुए गौशालाओं को कंपनियों द्वारा धन दिया जाना कोई अचंभा नहीं है। हालांकि कुल सीएसआर खर्च में गौशाला परियोजनाओं पर खर्च होने वाली धनराशि का हिस्सा छोटा है।' उदाहरण के लिए कुछ खर्च मिश्रित परियोजनाओं के जरिये किए गए हैं। इन मिश्रित परियोजनाओं में गौशालाओं के अलावा कृषि बुनियादी ढांचे का सृजन, जल संसाधन प्रबंधन एवं अन्य पहल आदि शामिल हैं। कुछ अन्य इन मदों पर खर्च होने वाली राशि को सीधे 'गौशाला' और 'गौशालाओं के लिए भुगतान' में दिखाते हैं।
कंपनियों ने ग्रामीण विकास और पशुपालन के लिए विभिन्न प्रावधानों के तहत आवंटन किया है। सीएसआर के तहत शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर लैंगिक समानता जैसे कार्यों के लिए धन दिया जाता है। इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा कि कुछ मामलों में खर्च का कंपनी के परिचालन से भी संबंध हो सकता है। उन्होंने कहा, 'जब इसका कंपनी के कारोबार से संबंध होता है तो इसे भागीदारों के बीच ज्यादा स्वीकार्यता मिलती है।'
पराग मिल्क फूड्स ने पशु शेल्टर के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक राशि दान दी है, जिसमें पशुओं की देखभाल की जाती है। कंपनी इस शेल्टर के लिए लगातार दो साल से योगदान दे रही है। कंपनी को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि इस तरह का तालमेल सभी कंपनियों में स्पष्ट नजर नहीं आता है। फेविकोल ब्रांड की मालिक पिडिलाइट इंडस्ट्रीज गौशाला समेत कई परियोजनाओं पर 9.3 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जेनस पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भी गाय संरक्षण एवं पशु कल्याण गतिविधि कार्यक्रमों और पक्षियों एवं गायों को चारा एवं छांव मुहैया कराने के लिए 20 लाख रुपये से अधिक का दान दिया है।
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