उद्यमियों ने वित्त मंत्री से मांगी कारोबार की आजादी | अरूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली December 19, 2019 | | | | |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी बजट टीम ने आज उद्योग जगत के प्रतिनिधियों व उद्योग संगठन से जुड़े पदाधिकारियों के साथ बजट पूर्व मशविरा लिया। उद्योगपतियों ने केंद्र से कहा कि कारोबार की राह आसान करने के लिए और कदम उठाए जाने की जरूरत है। वहीं श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम वेतन बढ़ाने, आयकर सीमा बढ़ाने व पेंशन तय किए जाने की मांग की। उद्योग के प्रतिनिधियों में भारती इंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल, सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर और एसोचैम के अध्यक्ष बालकृष्ण गोयनका शामिल रहे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उद्योग जगत को प्रदर्शन के लिए आजादी दी जानी चाहिए।
कॉर्पोरेट दिग्गजों ने कुछ अहम मसले उठाए, जिनमें कुछ आयकर व्यवधान शामिल हैं जो विलय एवं अधिग्रहण या कारोबारी मंदी की वजह से राह में आए थे। मित्तल ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं आज यहां सिर्फ एक विषय पर चर्चा करने आया हूं। देश के भीतर कारोबार करना सुगम बनाया जाए। यह मेरी प्रमुख बात थी।' मित्तल ने कहा, 'उद्योगों के लिए ज्यादा आजादी का विचार उनके बेहतर प्रदर्शन को लेकर आया है। मेरा माना है कि वित्त मंत्री इस पर अपने सहयोगियोंं व सचिवों के साथ विचार करेंगी। हम बजट में यह देखना चाहेंगे कि भारत के उद्योगपतियों को उनकी क्षमता के इस्तेमाल का उचित अवसर दिया गया है।'
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष बालकृष्ण गोयनका ने कहा कि कारोबार को सुगम बनाने में राज्यों की अहम भूमिका है और अंतिम समय के मसले बने हुए हैं, जिसके समाधान की जरूरत है। बैठक के बारे में पूछे जाने पर किर्लोस्कर ने कहा, 'हमने कारोबार सुगमता पर बात की, जो तमाम उद्योगों के लिए चिंता का विषय है।' आरपी संजीव गोयनका समूह के संजीव गोयनका ने कहा कि चर्चा इस पर केंद्रित रही कि वृद्धि को गति देने के लिए कारोबार सुगमता की सुविधा दी जानी चाहिए।
गोयनका ने कहा, 'मुझे लगता है कि वित्त मंत्री और उनकी टीम सभी सुझावोंं को लेकर बहुत उदार हैं।' उन्होंने आगे कहा कि यह पहला मौका है, जब सरकार की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है। तमाम उद्योगों में मौजूदा मंदी और क्षमता के इस्तेमाल पर इसके असर के बारे में गोयनका ने कहा कि उद्योग जगत ने पाया है कि क्षमता उपयोग शीर्ष पर पहुंचने में 4 तिमाही तक लग सकती है। उन्होंने कहा, 'हम इसे समझते हैं और यह स्थिति की हकीकत है।' उद्योग के प्रतिनिधियों ने यह भी सिफारिश की है कि 20 लाख रुपये सालाना से कम कमाई वालों का आयकर घटाया जाना चाहिए, जिससे ग्राहकों के हाथ में इस्तेमाल आने वाली राशि ज्यादा हो और ब्याज दरें घटाने की प्रक्रिया को जल्द उपभोक्ता के स्तर पर लाया जाए। सरकार ने बैठक के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा, 'दो घंटे तक चली बैठक में उद्योगपतियों ने नियामकीय माहौल में सुधार के माध्यम से कारोबार सुगमता, निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, निजी निवेश बहाल करने, वृद्धि को गति देने के सिलसिले में बात हुई।' इसके पहले मजदूर संगठनों ने सरकार से अपील की कि न्यूनतम वेतन 21,000 रुपये और कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन 6,000 रुपये महीने की जानी चाहिए और सालाना 10 लाख आमदनी को कर मुक्त किया जाना चाहिए।
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