एफआरबीएम सीमा में मिले ढील | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली December 18, 2019 | | | | |
राज्यों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से राज्यों के राजकोषीय घाटे की सीमा मौजूदा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किए जाने की मांग की है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष में महंगाई को समायोजित करने पर उनके खर्च में कमी आएगी। केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ सीतारमण की बजट पूर्व बैठक के बाद ट्वीट किया, 'बजट पूर्व बैठक में हुई सबसे अहम बात बिहार व केरल की ओर से वित्त मंत्री को राजकोषीय घाटे की सीमा बढ़ाकर 4 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव है।' इस सुझाव से तमाम राज्यों ने सहमति जताई। इसाक ने आगे ट्वीट में कहा, 'चालू साल में राज्योंं का वास्तविक व्यय कम होगा। मंदी के समय में इसका व्यापक असर होगा।' राज्यों को बाजार से उधारी लेने की जरूरत होगी, जिससे उनका राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 प्रतिशत की सीमा को न पार करे। इसे वित्तीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) सीमा कहा जाता है।
राज्यों ने यह भी कहा कि उन्हें अगस्त और सितंबर का जीएसटी मुआवजा मिला है और केंद्र को अब अगले 2 महीने का मुआवजा देना चाहिए। राज्य के वित्त मंत्रियों ने अपने एरियर से जुड़े मसले भी उठाए। महाराष्ट्र के नव नियुक्त वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि राज्य के आपदा प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्यों के ळिए 14,400 करोड़ रुपये दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने अगस्त व सितंबर के लिए केंद्र ने 4,400 करोड़ रुपये दिए हैं और अभी अक्टूबर और नवंबर का 4,200 करोड़ रुपये मिलना बाकी है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने केंद्र से कम धन आवंटन का मसला उठाया और कहा कि उन्हें राज्य नहीं बल्कि इस मामले में केंद्र शासित प्रदेश माना जाता है।
सिसोदिया ने केंद्र प्रायोजित परियोजनाओं के वित्तपोषण का मसला भी उठाया। उन्होंने कहा कि समिति ने जहां विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र की परियोजनाओं के 100 प्रतिशत वित्तपोषण की सिफारिश की है, नीति आयोग अपने ज्ञापन में ऐसा कहने से बच रहा है। मध्य प्रदेश के वाणिज्य कर मंत्री ब्रजेंद्र सिंह राठौर ने भी केंद्र की योजनाओं का धन घटाए जाने का मसला उठाया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने सुझाव दिया कि व्यक्तिगत आयकर पर लगने वाले विभिन्न उपकर व अधिभार को खत्म कर एक कर लगाया जाना चाहिए, जिससे राज्यों को भी अतिरिक्त राजस्व में हिस्सेदारी मिल सके।
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