रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक पिछली कुछ तिमाहियों से सुस्त हो रही भारत की आर्थिक रफ्तार से पुनर्भुगतान की पारिवारिक इकाई की क्षमता प्रभावित होगी और खुदरा कर्ज की गुणवत्ता पर चोट पहुंचेगी। निजी क्षेत्र के बैंकों ने ज्यादा खुदरा कर्ज दिया है और ये बैंक ज्यादा जोखिम के दायरे में हो सकते हैं। हालांकि गैर-निष्पादित कर्ज में इजाफा धीरे-धीरे होगा। मूडीज ने एक बयान में कहा कि भारत की बढ़त की रफ्तार घटी है क्योंकि निवेश की अगुआई में यह मंदी अब व्यापक होकर उपभोग को कमजोर कर रही है। ग्रामीण परिवारों के बीच वित्तीय दबाव और नौकरियों के सृजन में सुस्ती इस मंदी को आगे बढ़ाने वाले अहम संकेतक हैं। हाल के वर्षों में खुदरा कर्ज मुहैया कराने वाले अहम गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) में नकदी संकट ने कमजोर हालात में और इजाफा किया है। हालांकि परिवारों के लिए आय का झटका कई वर्षों में कम हुआ है, लेकिन बढ़त पर इसका असर तब तक स्पष्ट नहींं दिकेगा जब तक कि परिवार कर्ज न ले। उधारी की आपूर्ति को लेकर मामला ठीक होने से अब ऐसे दोहरे संकट का बढ़त पर असर स्पष्ट दिख गया है। रेटिंग एजेंसी को अगले साल चक्रीय सुधार की उम्मीद है, हालांकि बढ़त की रफ्तार विगत के मुकाबले कमजोर रहेगी। परिवारों के बीच मांग में नरमी का असर प्रतिभूति जारी करने वाली विभिन्न क्षेत्र की कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। देसी मांग में इजाफे के लिए सरकार ने कई कदमों का ऐलान किया है और इस तरह से आर्थिक मंदी से निपट रही है। सरकार ने किसानों व कम आय वाले परिवारों के लिए आय के सहारे का ऐलान किया हैा
