आर्सेलरमित्तल व निप्पॉन ने किया एस्सार का अधिग्रहण | ईशिता आयान दत्त और सोमेश झा / कोलकाता/नई दिल्ली December 16, 2019 | | | | |
विश्व की सबसे बड़ी स्टील निर्माता आर्सेलरमित्तल ने निप्पॉन स्टील के साथ मिलकर एस्सार स्टील के लेनदारों के साथ 42,000 करोड़ रुपये का सौदा पूरा कर लिया। आर्सेलरमित्तल ने एक बयान में कहा कि निप्पॉन स्टील कॉरपोरेशन के साथ स्थापित संयुक्त उद्यम आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड के पास एस्सार स्टील का स्वामित्व होगा और वही इस कंपनी का परिचालन करेगी। इस कंपनी में आर्सेलरमित्तल की हिस्सेदारी 60 फीसदी होगी जबकि निप्पॉन स्टील के पास बाकी हिस्सेदारी होगी।
आर्सेलरमित्तल ने ऐलान किया कि आर्सेलरमित्तल के अध्यक्ष व सीएफओ आदित्य मित्तल को आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड का चेयरमैन नियुक्त किया गया है जबकि दिलीप उम्मेन को कंपनी का मुख्य कार्याधिकारी बनाया गया है। मित्तल की नियुक्ति से हालांकि उद्योग की कंपनियों को आश्चर्य नहीं हुआ है। एस्सार के अधिग्रहण में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और अदालत में हो रही सुनवाई के दौरान भी उन्हें देखा गया था। उम्मेन अभी एस्सार स्टील के प्रबंध निदेशक हैं। परिचालन पर नियंत्रण हासिल करने के लिए मित्तल व निप्पॉन के अधिकारी मंगलवार को हजीरा प्लांट का दौरा कर सकते हैं। यह सौदा पूरा होना दिवालिया संहिता के लिए काफी अहम है, हालांकि यह 865 दिन बाद हासिल हुआ और वित्तीय लेनदारों को उनके दावे का 90 फीसदी से ज्यादा मिल रहा है।
वित्तीय लेनदारों के कुल स्वीकार्य दावे 49,473 करोड़ रुपये हैं, जिसमें से भारतीय स्टेट बैंक का कर्ज सबसे ज्यादा 13,226 करोड़ रुपये है। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक एस्सार स्टील का निपटान आज हो गया। यह तीसरी तिमाही में बैंक का लाभ मजबूत बनाएगा और अर्थव्यवस्था के लिए यह काफी सकारात्मक होगा। हजीरा संयंत्र और मित्तल के लिए यह समाधान नए अध्याय की शुरुआत का संकेत दे रहा है। आर्सेलरमित्तल के चेयरमैन व सीईओ लक्ष्मी मित्तल ने कहा, एस्सार स्टील का अधिग्रहण आर्सेलरमित्तल के लिए अहम रणनीतिक कदम है। भारत को हमारी कंपनी काफी समय से आकर्षक बाजार मानती रही है और हम अच्छे मौके की तलाश कर रहे थे।
उन्होंने कहा, भारत और एस्सार की अपील स्थायी है। एस्सार का परिचालन लाभकारी है और साइट अच्छी जगह पर है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवसस्था के लिए लंबी अवधि की बढ़त की क्षमता भी है, इसलिए भारतीय स्टील की मांग केबारे में अच्छी तरह से पता है। लक्ष्मी मित्तल ने यह भी कहा कि निप्पॉन की संयुक्त ताकत नए मौके लाएगी, जो हमें साल 2030 तक 30 करोड़ टन सालाना स्टील उत्पादन क्षमता के लक्ष्य में सकारात्मक योगदान देने की अनुमति देगा। यह अधिग्रहण नई कंपनी को भारत का चौथा सबसे बड़ा स्टील उत्पादन बना देगा और पश्चिम भारत की सबसे बड़ी स्टील कंपनी। इसकी मौजूदा सालाना क्रूड स्टील उत्पादन क्षमता 75 लाख टन है। इसके अतिरिक्त पूवी$ भारत में आयरन ओर पैलेट संयंत्र है और उसकी मौजूदा सालाना क्षमता 1.4 करोड़ टन है।
आने वाले समय में यानी मध्यम अवधि में उत्पादन क्षमता 85 लाख टन करने और लंबी अवधि में तैयार स्टील का ीनिर्यात 1.2 करोड़ टन से 1.5 करोड़ टन करने का लक्ष्य है। एस्सार की समाधान योजना ने 18,697 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च का भी संकेत दिया है, जो अगले छह साल में दो चरणों में लागू की जाएगी। आर्सेलरमित्तल के अध्यक्ष और सीएफओ आदित्य मित्तल ने कहा, यह अधिग्रहण हमें आगामी दशकों में भारत में होने वाले बुनियादी ढांचे के विस्तार और शहरीकरण में योगदान का मौका देगा। उन्होंने कहा, इसके लिए हमें लक्षित पूंजीगत खर्च की योजना लागू करनी होगी।
निप्पॉन स्टील के निदेशक और अध्यक्ष ई हासिमोतो ने कहा, निप्पॉन स्टील और आर्सेलरमित्तल नई कंपनी को अपने-अपने अनुभव मुहैया कराएगी और तकनीक भी उपलब्ध कराएगी ताकि वह समाधान योजना को तेजी से लागू कर करे और कारोबारी विस्तार कर सके।
दिवालिया संहिता को मिलेगी ताकत
आईबीसी के तहत आरबीआई की अनिवार्य समाधान वाली पहली 12 कंपनियों की सूची में एक एस्सार थी। इसका समाधान पूरा होने के साथ ही आरबीआई की पहली सूची की छह कंपनियों के समाधान के तहत कुल मिलाकर वित्तीय लेनदारों को स्वीकार्य दावे का 56.86 फीसदी मिला है जबकि औसत 42 फीसदी का है। लक्ष्मी मित्तल ने कहा, यह लेनदेन बताता है कि भारत को किस तरह से दिवालिया संहिता से फायदा मिला है। यह ऐसा सुधार है जिसका सकारात्मक असर भारतीय अर्थव्यवस्था में हर तरफ महसूस किया जाएगा।
एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि एस्सार के मामले ने आईबीसी प्रक्रिया के तहत करीब-करीब हर मसले का निपटान किया है। इस मामले में काफी मुकदमेबाजी हुई, जिसने दिवालिया संहिता की धाराओं की परख पिछले दो वर्षों में की। कुमार ने हालांकि कहा कि आईबीसी प्रक्रिया का शुरुआती फायदा लेने के मामले में अभी भी देनदार और लेनदार के बीच असमंजस देखा जा रहा है।
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