राज्य उठाएंगे क्षतिपूर्ति का मुद्दा | |
हंगामेदार रह सकती है बुधवार को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली 12 16, 2019 | | | | |
► संग्रह बढ़ाने के उपाय सुझाएगी राजस्व वृद्धि समिति
► लॉटरी पर जीएसटी दरों की समीक्षा
► जीएसटी ई-वे बिल सिस्टम और फास्टैग क्रियान्वयन की समीक्षा
► 1 अप्रैल से नई रिटर्न व्यवस्था, इंटिग्रेटेड रिफंड सिस्टम
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बुधवार को होने वाली बैठक के हंगामेदार रहने की आशंका है। राज्य अगस्त से लंबित क्षतिपूर्ति उपकर के बकाये की मांग कर सकते हैं। शनिवार को जारी किए बैठक के एजेंडे में यह मुद्दा शामिल नहीं है जिससे राज्यों में रोष है। इस बारे में उन्हें अब तक केंद्र से गोलमोल जवाब मिला है।
इस बीच राजस्व वृद्धि समिति कर का आधार बढ़ाने, अतिरिक्त संसाधन जुटाने और कर संग्रह बढ़ाने के लिए कर अनुपालन को बेहतर बनाने के उपायों के बारे में एक प्रस्तुति देगी। समिति अहम उत्पादों पर कर ढांच को दुरुस्त करने, कर श्रेणियों को संशोधित करने और कुछ वस्तुओं पर उपकर बढ़ाने की सिफारिश कर सकती है।
एक राज्य के वित्त मंत्री ने कहा, 'बैठक के आधिकारिक एजेंडे में क्षतिपूर्ति उपकर का मुद्दा शामिल नहीं है। लेकिन यह राज्यों खासकर गैर भाजपा शासित राज्यों की ओर से शीर्ष एजेंडा रहेगा। जब तक हमें इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं मिल जाता है, हम परिषद की बैठक शुरू नहीं होने देंगे।' उन्होंने कहा कि राज्यों का करीब 50 हजार करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति बकाया लंबित है जिससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर भारी दबाव है।
एक अन्य वित्त मंत्री ने कहा, 'अगर हमें इस फंड के भुगतान के बारे में स्पष्टï समयसीमा नहीं मिली तो हम बैठक से चले जाएंगे।' यहां तक कि भाजपा शासित राज्य भी इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब से खुश नहीं हैं। सीतारमण ने पिछले सप्ताह राज्य सभा में कहा कि केंद्र ने मौजूदा वित्त वर्ष में अक्टूबर अंत जितना उपकर एकत्र किया है, उससे अधिक वह राज्यों को जारी कर चुका है। उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर तक केंद्र ने 9,783 करोड़ रुपये जारी किए जो उपकर से मिली राशि से अधिक है।
भाजपा शासित एक राज्य के वित्त मंत्री ने कहा, 'यह कैसे संभव है? पिछले दो वर्षों का अतिरिक्त उपकर कहां गया? क्या वित्त मंत्री यह कहने की कोशिश कर रही हैं कि केंद्र ने राज्यों को भारत के समेकित कोष से अतिरिक्त पैसा दिया है।' नियम के मुताबिक अगर राज्यों का जीएसटी राजस्व कम से कम 14 फीसदी नहीं बढ़ा तो केंद्र हर दो महीने के बाद उन्हें अंतर की राशि का भुगतान करेगा।
बैठक के एजेंडा दस्तावेज में जीएसटी संग्रह में कमी के कारण बताए गए हैं। इनमें दरों में बार-बार कमी और दरों के 15 फीसदी राजस्व तटस्थ दर से नीचे जाना शामिल है। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने इस तटस्थ दर की सिफारिश की थी। साथ ही ज्यादा छूट और कंपोजिशन योजना से भी जीएसटी संग्रह प्रभावित हुआ है। अधिकारी ने कहा, 'राजस्व वृद्धि समिति जीएसटी संग्रह में कमी और इस समस्या से निपटने के उपायों के बारे में एक व्यापक प्रस्तुति देगी। इसके बाद दरों में संशोधन के बारे में चर्चा होगी।'
जीएसटी के तहत उपकर संग्रह राज्यों की क्षतिपूर्ति जरूरतों के मुताबिक नहीं रहा है। यही वजह है कि जीएसटी की दरों में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। विलासितापूर्ण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक 34 वस्तुओं पर 28 फीसदी कर लगता है। वाहन, सिगरेट और एरेटेड ड्रिंक पर अतिरिक्त उपकर लगता है जिससे राज्यों के राजस्व की कमी की क्षतिपूर्ति होती है। छोटी कारों पर एक फीसदी और एसयूवी पर 22 फीसदी उपकर लगता है। केरल और पंजाब ने इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जाने की धमकी दी है।
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