हम भारतीय इक्विटी बाजारों पर आशान्वित बने हुए हैं | बीएस बातचीत | | पुनीत वाधवा / December 15, 2019 | | | | |
जूलियस बेयर के मुख्य कार्याधिकारी आशिष गुमाश्ता ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि वृद्घि की रफ्तार धीमी पडऩे के बावजूद वह भारतीय इक्विटी बाजारों पर आशान्वित बने हुए हैं और निवेशकों को धीरे धीरे अपना निवेश पोर्टफोलियो तैयार करने की सलाह दे रहे हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
नकदी में सुधार और बुनियादी आधार में किसी तरह के सुधार के बगैर सितंबर से बाजार चढ़े हैं। इसे लेकर आप कितने चिंतित हैं?
भारतीय इक्विटी बाजारों में पिछले कुछ महीनों से अच्छी तेजी दिखी है, खासकर सरकार द्वारा सितंबर के मध्य में कॉरपोरेट कर दर में कटौती और वृद्घि को मजबूती प्रदान करने की योजनाओं के बाद से बाजार में यह तेजी आई है। तब से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के खरीदार बनने से धारणा में बदलाव आया है। घरेलू प्रवाह (डीआईआई) प्रवाह अस्थिर बना हुआ है, एसआईपी प्रवाह में मजबूती आई है। बाजार की गति को अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव घटने और वैश्विक केंद्रिीय बैंकों द्वारा अनुकूल मौद्रिक नीतिगत रुख अपनाने से तेजी को मदद मिली। इक्विटी बाजार के प्रदर्शन और प्रमुख आर्थिक संकेतकों के बीच स्पष्ट रूप से बड़ा अंतर दिखा है और यह कुछ हद तक असहज स्थिति है। इसलिए हमें मध्यावधि में निफ्टी-50 में बड़ी तेजी आने की उम्मीद नहीं है। हालांकि बाजार धारणा में सुधार आएगा।
आप अपने ग्राहकों को क्या सलाह दे रहे हैं?
कुल मिलाकर, हम भारतीय इक्विटी बाजारों पर आशान्वित बने हुए हैं और निवेशकों को अगली दो तिमाहियों के दौरान अपना निवेश पोर्टफोलियो धीरे धीरे बनाने का सुझाव दे रहे हैं। उच्च गुणवत्ता में वृद्घि वाले और महत्वपूर्ण शेयरों में अंतर को देखते हुए हम कारगर रणनीति बनाने का सुझाव दे रहे हैं।
क्या आप मानते हैं कि मिड-, स्मॉल-कैप सेगमेंट्स अब अपने लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों के अनुरूप प्रदर्शन करेंगे?
पिछले दो वर्षों के दौरान, मिड-कैप और स्मॉल-कैप श्रेणी के शेयरों में कीमत के साथ मूल्यांकन में भी कमी देखी गई है और अब वे अपने लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले भारी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। यदि मौजूदा वैश्विक रुझान बरकरार रहता है तो ये शेयर वर्ष 2020 में अच्छी तेजी दर्ज कर सकते हैं। इस क्षेत्र में, हमारा ध्यान बॉटम-अप रणनीति पर रहेगा जिसमें कंपनी अपने सेगमेंट में अग्रणी हो या विशिष्टï स्थिति में हो, उसमें परिचालन दक्षता हो और शेयर ऐसे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा हो जो दीर्घावधि औसत से नीचे कारोबार कर रहा हो।
क्या 6 महीने पहले की तुलना में अब बाजार में भारी गिरावट की ज्यादा आशंका है?
उच्च गुणवत्ता की वृद्घि और वैल्यू के बीच अंतर में कुछ कमी आ सकती है और इससे वैल्यू द्वारा 2020 में वृद्घि/गति को मात दिए जाने की संभावना है।
आपको वृद्घि की दर में कब तक सुधार की संभावना है?
हम आर्थिक चक्र के कठिन दौर से गुजर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान, देश में खपत वृद्घि काफी मजबूत थी, जिससे ऐसे समय में अर्थव्यवस्था को मदद मिली जब खासकर निजी क्षेत्र में निवेश घट गया था। राजकोषीय दबाव ने भी सरकार को बड़े निवेश करने से रोके रखा है। हालांकि क्षमता उपयोग स्तर धीरे धीरे बढ़ रहा है और जब मांग के स्तर में सुधार शुरू हो जाएगा, वृद्घि की संभावना बेहतर होगी और इससे अगला पूंजीगत खर्च चक्र मजबूत हो सकेगा। हालांकि इसमें 12-18 महीने का समय लग सकता है और इसका असर पिछले चक्र के समान नहीं रह सकता है।
ताजा वृहद-आर्थिक आंकड़े को विदेशी निवेशक किस नजरिये से देख रहे हैं। उनकी प्रमुख चिंताएं क्या हैं?
एफआईआई के लिए कुछ पिछली चिंताएं (जैसे करों में वृद्घि और आर्थिक वृद्घि को लेकर सरकार की उदासीनता) अब समाप्त हो चुकी हैं। कुल मिलाकर, भारत अपने अनुकूल भौगोलिक एवं वृद्घि के अवसरों के साथ एक आकर्षक निवेश स्थान बना हुआ है। हालांकि वृद्घि की रफ्तार धीमी पड़ी है, लेकिन भारत वैश्विक रूप से तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
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