देश की प्रमुख आर्थिक वृद्धि और औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार के बीच की कड़ी लगातार कमजोर हो रही है। दरअसल अगर वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में 2008 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की मौजूदा धारणा संकेत मानें तो इन दो व्यापक आंकड़ों के बीच अंतर लीमन ब्रदर्स संकट के बाद सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकता है। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक तीसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 5.5 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकी तीसरी तिमाही के पहले महीने अक्टूबर 2019 में आईआईपी 3.8 प्रतिशत था।
इससे पता चलता है कि स्थिर मूल्य पर जीडीपी में वृद्धि आईआईपी द्वारा आए औद्योगिक विस्तार के आंकड़ोंं की तुलना में करीब 900 आधार अंक ज्यादा रहेगा। आईआईपी की गणना मासिक आधार पर की जाती है, जबकि जीडीपी के आंकड़े 3 महीने पर आते हैं।
वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत थी, जो इस दौरान आईआईपी से 0.3 प्रतिशत कम है। आईआईपी वृद्धि अक्टूबर 2019 में 3.8 प्रतिशत रह गई। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक जून 2012 के बाद पहली बार लगातार तीन महीने कम आईआईपी कम हुआ है। प्रमुख जीडीपी और औद्योगिक उत्पादन में इस तरह का विचलन दुर्लभ है और ऐतिहासिक रूप से ये दोनों आंकड़े साथ साथ चलते हैं।आईडीएफसी सिक्योरिटीज के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, 'आईआईपी में हाल में आई गिरावट से विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्र के दर्द का पता चलता है। इसका जीडीपी वृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जब तक कि सरकार सार्वजनिक व्यय बढ़ा न दे। जुलाई सितंबर 2019 तिमाही की आर्थिक वृद्धि में सार्वजनिक व्यय अहम रहा है।'
एक अर्थशास्त्री ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'अगर आप हाल के औद्योगिक उत्पादन और खुदरा या उपभोक्ता महंगाई दर की तुलना जीडीपी वृद्धि से नॉमिनल या मौजूदा भाव के आधार पर करें, वृद्धि अनुमान 400 आधार अंक तक के उच्च स्तर पर पहुच सकता है।' एक आधार अंक एक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है। उनके मुताबिक पहले जीडीपी की गणना नॉमिनल या मौजूदा भाव पर होती है और उसके बाद हम स्थिर मूल्य पर जीडीपी के आंकड़े प्राप्त करते हैं, जो प्रमुख वृद्धि के आंकड़े बनते हैं। उदाहरण के लिए नॉमिनल जीडीपी वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही के दौरान 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जबकि प्राइस डिफ्लेटर 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जिससे वास्तविक जीडीपी वृद्धि 4.5 प्रतिशत आई।
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