'सावधानी से लागू हो नई कर रिटर्न व्यवस्था' | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली December 15, 2019 | | | | |
उद्योग जगत चाहता है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत नए कर रिटर्न को सावधानीपूर्वक लागू किया जाए। यह व्यवस्था अगले वित्त वर्ष से पेश की जानी है। सरकार के सामने नए रिटर्न को लेकर रखे गए अपने पक्ष मेंं कारोबारियों ने यह भी कहा है कि मौजूदा हार्मोनाइज्ड सिस्टम आफ नामनक्लेचर (एचएसएन) कोड को 4 अंकों के स्तर तक ही रखा जाए। जीएसटी परिषद ने इसके पहले फैसला किया था कि इन रिटर्न को लागू करने की तिथि बढ़ाई जाए, जो इस साल अक्टूबर से लागू किया जाना था। मौजूदा फॉर्मों के जटिल होने की शिकायतें मिलने के बाद नया रिटर्न आसान कर दिया गया है।
नए रिटर्न में एक मुख्य फॉर्म जीएसटी आरईटी-1 होगा, जिसमें सभी आपूर्तियों, इनपुट टैक्स क्रेडिट और करों के भुगतान का ब्योरा होगा। इस रिटर्न में दो एनेक्सचर जीएसटी एएनएक्स-1 और जीएसटी एएनएक्स-2 होंगे। फॉर्म जीएसटी एएनएक्स-1 में सभी भेजी जाने वाली आपूर्तियों और जीएसटी एएनएक्स-2 में सभी आवक आपूर्तियों का ब्योरा शामिल होगा।
इस समय करदाता दो रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। जीएसटीआर-1 में भेजी जाने वाली आपूर्तियां और जीएसटीआर-3बी में मासिक स्वघोषित भेजी जाने वाली आपूर्तियां, इनपुट टैक्स क्रेडिट और कर भुगतान का ब्योरा होता है। शुरुआत में कारोबारियों को डर था कि उनकी नकदी फंस जाएगी। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने जीएसटीआर-3बी की घोषणा के मुताबिक शुरुआती महीनों का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का प्रस्ताव किया। उद्योग ने यह मांग की है कि शुरुआत में सिर्फ एएनएक्स-1 और एएनएक्स-2 फॉर्मों को जीएसटीआर-3बी के साथ दाखिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उद्योग जब इन फॉर्मों का इस्तेमाल करते हैं तो जीएसटीआर-3वी खत्म कि ए जाने के साथ आरईटी-1 अनिवार्य किया जाना चाहिए।
एचएसएन कोड को लेकर प्रावधान है कि 1.5 करोड़ रुपये से लेकर 5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वालों को इस समय एचएसएल कोड की जरूरत 2 अंकों के स्तर पर होती है, जबकि 5 करोड़ रुपये से ऊपह के लिए 4 अंकों के एचएसएन कोड की जरूरत होती है। बहरहाल रिटर्न के नए प्रारूप में कारोबारियों के लिए 6 अंकों के स्तर के एचएसएन कोड का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है। ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि कंपनियों को अपनी सभी आपूर्तियों के लिए एचएसएन कोड की समीक्षा करने, ईआरपी विन्यास के उन्नयन की जरूरत होगी, जिसमें बहुत वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि एचएसएन कोड रिपोर्टिंग की मौजूदा व्यवस्था जारी रखी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, 'करदाताओं को अपने ईआरपी और बिजनेस प्रॉसेस से बहुत तेजी से तालमेल करने की जरूरत है, जिससे कि इन जरूरतों को पूरा किया जा सके और सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2020 से प्रस्तावित रिटर्न के नए प्रारूप के मुताबिक रिटर्न दाखिल किया जा सके।' इसके बाद एचएसएन के मुताबिक आयातों व निर्यातों की रिपोर्टिंग होगी।
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि एचएसएन के ब्योरे के बगैर एंट्री के मुताबिक एकीकृत बिल का विकल्प होना चाहिए। यह व्यवस्था जीएसटीएन पोर्टल के इंडियन कस्टम्स इलेक्ट्रॉनिक गेटवे (आइसगेट) से जुडऩे तक के लिए होनी चाहिए, जो सीमा शुल्क विभाग का पोर्टल है। इस पोर्टल से इलेक्ट्रॉनिक कारोबार की ई फाइलिंग सुविधा मिलती है।
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