बैंकों के फंसे ऋण बढ़ेंगे: मूडीज | अभिजित लेले / मुंबई December 13, 2019 | | | | |
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि भारतीय बैंकों को ऋणग्रस्त वित्त कंपनियां और झटके दे सकती हैं। मुश्किल दौर से गुजर रहे रियल एस्टेट क्षेत्र को दिए हुए ऋणों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की खुदरा एवं एसएमई कर्जदारों को ऋण देने की क्षमता कमजोर होने से बैंकों की परिसंपत्ति गुणïवत्ता पर दबाव बढ़ेगा। मूडीज ने कहा कि बैंकों ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और रियल एस्टेट क्षेत्र को बड़ी मात्रा में कर्ज दिया हुआ है, इसलिए उन पर जोखिम है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बैंक क्षेत्र के अहम मानकों में सुधार का रुझान पलटने या धीमा पडऩे के प्रबल आसार हैं क्योंकि एनबीएफसी क्षेत्र मुश्किल दौर से गुजर रहा है।
भारत की एनबीएफसी के पास धन की कमी की चुनौतियों से बैंकों के लिए परिसंपत्ति जोखिम बढ़ रहा है। ऐसा उस अर्थव्यवस्था में हो रहा है, जिसकी बीते वर्षों में गैर-बैंक ऋणदाताओं पर निर्भरता लगातार बढ़ी है। यह बैंकों के कर्ज के लिए नकारात्मक है। भारत की एनबीएफसी और बैंक नकारात्मक फीडबैक की सुरंग में फंस गए है। उन्हें ऋण घटाने, और कर्जदारों पर ऋण लौटाने का दबाव बनाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इसके नतीजतन ऋण डिफॉल्ट हो रहे हैं और एनबीएफसी का संकट और गहरा रहा है। मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ ऋण अधिकारी श्रीकांत वादलामणि ने कहा, 'एनबीएफसी में पैदा होते दबाव का मतलब है कि उन्हें ऋण देने वाले भारतीय बैंकों के फंसे कर्जों में बढ़ोतरी होने के बहुत अधिक आसार हैं।'
रियल एस्टेट क्षेत्र में संकट साफ नजर आ रहा है, जिसमें आम तौर पर डेवलपरों के पास अपने कर्ज चुकाने के लिए नकदी की कमी हो जाती है और वे अपनी कर्ज देनदारी पूरी करने के लिए एनबीएफसी से मिलने वाले कर्ज पर निर्भर हैं। रियल एस्टेट कंपनियां पहले ही दबाव झेल रही हैं। ऐसे में अगर उन्हें फंड मिलने में दिक्कत आती है तो उन पर दबाव और बढ़ेगा और उनका ऋण देने के मामले में प्रदर्शन और कमजोर पड़ेगा। खुदरा और लघु एवं मझोले उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी संकट है। ये दोनों क्षेत्र हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं और एनबीएफसी से मिलने वाले धन पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
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