मोबाइल फोन और कपड़ों पर बढ़ेगा जीएसटी! | |
दिलाशा सेठ / नई दिल्ली 12 11, 2019 | | | | |
► उल्टे कर ढांचे के कारण सरकार को चुकाना पड़ रहा है मोटा रिफंड
► तैयार उत्पाद की तुलना में इनपुट पर अधिक कर से बड़ी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट का करना पड़ रहा भुगतान
► मोबाइल, कपड़ों, जूतों और ट्रैक्टरों जैसे उत्पादों में है कर का उल्टा ढांचा
► मोबाइल फोनों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी है, जबकि फोन के कलपुर्जों और बैटरियों पर दर 18 फीसदी
► इसी तरह कपड़े पर जीएसटी की दर पांच फीसदी है, जबकि अलग-अलग तरह के धागों पर 12 फीसदी लगता है कर
जीएसटी परिषद अगले सप्ताह मोबाइल फोन और कपड़े पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर बढ़ा सकती है। परिषद राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए उल्टे कर ढांचे को सही करने की कोशिश कर रही है। तैयार उत्पाद की तुलना में इनपुट पर कर की अधिक दर के ढांचे के कारण बड़ी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट जा रहा है। वे अन्य उत्पाद जिनमें उल्टा कर ढांचा है, उनमें कपड़े के थैले, जूते, ट्रैक्टर आदि शामिल हैं। मोबाइल फोनों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी है, जबकि फोन के कलपुर्जों और बैटरियों पर दर 18 फीसदी है। इसकी वजह से इनमें उल्टा कर ढांचा है। इससे अनुपयोगी इनपुट टैक्स क्रेडिट का मामला पैदा होता है और इसलिए सरकार को रिफंड जारी करना पड़ता है। पिछले साल एक फोन विनिर्माता ने ही करीब 4,100 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा किया था।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'उल्टे कर ढांचे के मसले को हल किया जाना जरूरी है। इससे रिफंड के रूप में बड़ी धनराशि का भुगतान करना पड़ रहा है। मोबाइल फोन, कपड़े और अन्य चीजों पर दरों में संशोधन किया जा सकता है।' एक पंजीकृत करदाता इनपुट पर ज्यादा कर और तैयार उत्पाद पर कम कर के चलते बिना दावा किए गए आईटीसी के रिफंड का दावा कर सकता है। इसी तरह कपड़े पर जीएसटी की दर पांच फीसदी है, जबकि अलग-अलग तरह के धागों पर 12 फीसदी कर लगता है।
शुरुआत में सरकार ने कपड़ा विनिर्माताओं को आईटीसी रिफंड का दावा करने की मंजूरी नहीं दी थी। लेकिन बाद में जुलाई 2018 की बैठक में रिफंड को मंजूरी दे दी। एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'आईटीसी रिफंड को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। उस समय राजनीति की वजह से यह फैसला लिया गया। अब इसे सही किया जाना चाहिए।'
अगर सभी वित्त मंत्री सहमत हो जाते हैं तो उल्टे कर ढांचे को सही करने के लिए कपड़े पर जीएसटी की दर पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी की जा सकती है। दरअसल केंद्र और कुछ राज्यों के अधिकारियों की एक उप समिति गठित की गई है। यह समिति उन उत्पादों की सूची तैयार करेगी, जिनमें कर का ढांचा उल्टा है। जूतों के मामले में 1,000 रुपये से कम कीमत के जूतों पर कर की दर पांच फीसदी है। वहीं नहीं बुने और चमड़े पर कर 12 फीसदी है। इसी तरह ट्रैक्टर के कलपुर्जों पर कर 28 फीसदी और ट्रैक्टर पर 12 फीसदी है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एम एस मणि ने कहा कि उल्टे कर ढांचे को सही करना आवश्यक है। यह स्थिति पिछले दो वर्षों में कई बार दरों में बदलाव के कारण कुछ क्षेत्रों में पैदा हुई है क्योंकि तैयार उत्पादों की दरों में बदलाव को हमेशा इनपुट दरों के साथ समायोजित नहीं किया गया। इसके विपरीत पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि ज्यादातर मामलों में उल्टे कर ढांचे की समस्या का समाधान तैयार उत्पादों की दरों को बढ़ाना नहीं है क्योंकि पांच फीसदी और 12 फीसदी के स्लैब में उत्पादों को उनकी अहमियत और आम आदमी पर असर को ध्यान में रखते हुए रखा गया है। उन्होंने कहा, 'अगर संभव है तो इनपुट उत्पादों की दरों को कम किया जाए। इसके अलावा इनपुट सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी के रिफंड को मंजूरी देना भी एक विकल्प है, जिस पर विचार किया जा सकता है। इस समय रिफंड केवल इनपुट तक सीमित है।'
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