डेटा संरक्षण नियमों से स्टार्टअप को मिल सकती है छूट | युवराज मलिक / December 11, 2019 | | | | |
सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि सार्वजनिक हित के लिए नवीन प्रौद्योगिकी विकसित करने वाली कंपनियां सीमित अवधि के लिए नए डेटा गोपनीयता संबंधी नियमों से छूट प्राप्त कर सकती हैं। पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी प्राप्त डेटा संरक्षण विधेयक 2019 के मसौदे के एक हिस्से के तौर पर केंद्र ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक नियामकीय ढांचे (सैंडबॉक्स) को बनाने का प्रस्ताव दिया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि गोपनीयता कानून से कंपनियों की क्षमता कम न हो, खासकर उभरती हुई तकनीकों के सहारे नवाचार के क्षेत्र में आ रहे स्टार्टअप अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।
दरअसल सैंडबॉक्स एक ऐसा परीक्षण वातावरण होता है जहां नए सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम को बड़े स्तर पर लागू करने से पहले एक अलग स्थान पर उसका परीक्षण किया जा सके। मसौदा विधेयक में कहा गया है, 'कृत्रिम मेधा (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) या दूसरी नवीन तकनीक की मदद से जनहित में होने वाले नवोन्मेष को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्राधिकरण को सैंडबॉक्स विकसित करना चाहिए।' इसमें कहा गया, 'आंकड़ों को जमा या प्रसंस्करण करने वाली कोई भी कंपनी, जिसका प्रारूप धारा 22 की उप-धारा (3) के तहत प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित है, उप-धारा (1) के तहत बनने वाले सैंडबॉक्स के लिए आवेदन करने की पात्र होगी।'
कानूनी फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास के अरुण प्रभु का कहना है कि सैंडबॉक्स संबंधी प्रावधान के तहत सरकार ने व्यक्तिगत गोपनीयता के साथ नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संतुलन बनाए रखा है। उन्होंने कहा, 'एआई, एमएल और बिग डेटा जैसे क्षेत्रों में नई प्रौद्योगिकी विकसित करने वाली कंपनियों को सैंडबॉक्स का लाभ दिया जा सकता है।' विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, सैंडबॉक्स को डेटा संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रबंधित किया जाएगा और प्राधिकरण ही इससे संबंधित अनुरोध पर निर्णय करेगा। कंपनियां सैंडबॉक्स में शामिल करने के लिए तकनीक के नवीन उपयोग तथा इससे होने वाले लाभ का विवरण प्रस्तुत करके आवेदन कर सकती हैं। इसमें शामिल की जाने वाली पात्र कंपनियों को विधेयक के तहत आंकड़ों का संग्रह, भंडारण तथा उपयोग संबंधी सीमा से बाहर रखा जाएगा, जिससे कंपनियां तकनीक विस्तार पर ध्यान दे सकें। फिलहाल यह छूट 12 महीने के लिए दी जाएगी जिसे दो बार विस्तारित किया जा सकता है। इस तरह कंपनी कुल 36 महीनों के लिए संबंधित प्रावधानों से छूट प्राप्त कर सकती है।
|