भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी रॉकेट ने अपने 50वें अभियान (पीएसएलवी-सी48) के तौर पर भारत के टोही उपग्रह रीसैट-2बीआर1 के साथ नौ अन्य विदेशी उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित कर दिया। रीसैट-2बीआर1 के सभी 108 हिस्से या तो इसरो या भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित हैं। इसरो के एक अधिकारी ने कहा, यह पूरी तरह से स्वदेशी अभियान है। इसरो प्रमुख के शिवन ने कहा, 'मैं इस समय काफी खुश हूं कि पीएसएलवी की 50वीं उड़ान के साथ ही रीसैट-2बीआर1 के साथ नौ विदेशी उपग्रह भी सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हो गए।' उन्होंने बताया कि पीएसएलवी की 50वीं उड़ान के साथ साथ इस अभियान ने एक और कीर्तिमान भी स्थापित किया और यह श्रीहरिकोटा से होने वाला 75वां प्रक्षेपण था। शिवन ने कहा, 'फिलहाल पीएसएलवी रॉकेट के पांच वैरियंट हैं और फिलहाल ये 850 किलोग्राम से लेकर 1.9 टन वजन तक के साथ उड़ान भर सकता है। अभी तक रॉकेट ने कुल 52.7 टन वजन के पेलोड अंतरिक्ष में पहुंचा दिए हैं जिनमें से 17 प्रतिशत ग्राहक उपग्रह थे।' रॉकेट ने बुधवार को दोपहर 3:25 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी। क्यूएल वैरियंट वाले इस पीएसएलवी रॉकेट की यह दूसरी उड़ान रही। उड़ान के 16 मिनट बाद ही रॉकेट ने रीसैट-2बीआर1 को उसकी कक्षा में पहुंचा दिया। इसरो ने बताया कि शेष सभी उपग्रहों को भी उनकी संबंधित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है। भारत वर्ष 1999 से कुल 319 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित कर चुका है। इसरो के तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक वी नारायणन ने कहा कि 96 प्रतिशत सफलता अनुपात के साथ पीएसएलवी अब विश्व मानक के बराबर या उससे बेहतर है। पीएसएलवी के मुख्य पेलोड के तौर पर शामिल 628 किलोग्राम वजनी रीसैट-2बीआर1 एक रडार इमेजिंग भू-निगरानी उपग्रह है जिसे इसरो ने विकसित किया है। इसका जीवनकाल 5 वर्ष का होगा। इसरो का कहना है कि यह कृषि, वानिकी एवं आपदा प्रबंधन में मदद करेगा लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि रीसैट-2बीआर1 रीसैट-2बी श्रेणी का दूसरा उपग्रह है और कार्टोसैट-3 के साथ मिलकर यह भारत के अनौपचारिक 'खोजी' उपग्रह समूह का हिस्सा होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी मदद से अंतरिक्ष द्वारा धरती पर सैन्य निगरानी क्षमता में बढ़ोतरी होगी। रीसैट-2बी सीरीज का पहला उपग्रह इस वर्ष की शुरुआत में लॉन्च किया गया था जिसने सेवानिवृत हुए रीसैट-2 को प्रतिस्थापित किया था। रीसैट-2बीआर1 के बाद इस सीरीज का एक और उपग्रह कक्षा में स्थापित किया गया था। रीसैट-2बी सीरीज का चौथा उपग्रह कुछ समय बाद प्रक्षेपित किया जाएगा जिससे धरती की निगरानी करने के लिए एक पूरा तंत्र तैयार किया जा सके। विशेषज्ञों ने कहा कि ये उपग्रह सीमा पार चौबीसों घंटे निगरानी बनाए रखने में मदद करेंगे और घुसपैठ तथा अवैध रूप से प्रवेश की भी जांच करेंगे। ये उपग्रह एक सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) से लैस हैं जो पूरे दिन और बादलों या खराब रोशनी वाली परिस्थितियों में भी धरती की तस्वीरें ले सकते हैं। रीसैट-2बीआर1 के साथ भेजे गए नौ विदेशी उपग्रहों में अमेरिका के छह और इजराइल, इटली तथा जापान का एक-एक उपग्रह शामिल था। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस सोमनाथ ने कहा, 'अगली चुनौती आने वाले 5 वर्षों में 50 प्रक्षेपण करने के लक्ष्य पर पहुंचना है। हम इसे पूरा कर लेंगे।' शिवन ने कहा, 'पीएसएलवी अंतरिक्ष में ध्रुवीय कक्षा से लेकर जियोस्टेशनरी कक्षा, चंद्रमा और मंगल तक लगभग सभी जगहों तक पहुंच गया है और अब जल्द ही सूर्य के अपने सफर पर भी निकलेगा।'
