आरसेप में जाते तो होता किसानों पर असर: गोयल | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली December 10, 2019 | | | | |
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया है कि भारत हाल-फिलहाल प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) में शामिल होने नहीं जा रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज संसद में कहा कि यह सौदा भारत के हित के लिए नुकसानदेह था। गोयल ने कहा कि उन्होंने बातचीत खत्म होने से पहले भी इस समझौते का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि वह आरएसएस समर्थित स्वदेशी जागरण मंच के सदस्य हैं जो 2012 से ही आरसेप के विरोध में सबसे आगे रहा है। मंत्री ने जोर देकर कहा, 'यह अपने आप में हास्यास्पद है कि कुछ लोग आरसेप बहस में तब कूद पड़े जब यह खबर आई की भारत उस समूह से जुडऩे नहीं जा रहा है।'
उन्होंने तर्क दिया कि पिछली कांग्रेस सरकार को ही काफी पहले आरसेप पर बातचीत बंद कर देनी चाहिए थी क्योंकि अन्य देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा काफी नुकसानदेह स्तर पर पहुंच रहा था। गोयल ने कहा, 'हमने बातचीत जारी रखी क्योंकि भारत इस पर लंबे समय से चर्चा कर रहा था।' लेकिन उन्होंने इस पर जोर दिया कि आगे चलकर भारत व्यापार के मोर्चे पर अन्य देशों से बातचीत जारी रखेगा बशर्ते बदले में भारत को फायदा मिले। हालांकि, विपक्ष के सदस्यों ने सौदे पर सरकार के रुख में अचानक आए बदलाव पर सवाल उठाए। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने याद दिलाया कि गोयल बैंकॉक शिखर बैठक तक इस सौदे के पक्ष में खड़े थे और कई बार यह तर्क दिया था कि भारत इस कारोबारी समूह से बाहर रहने का नुकसान नहीं झेल सकता।
हालांकि गोयल ने कहा कि अंतिम निर्णय साझेदारों के साथ व्यापक चर्चा के बाद लिया गया था। उन्होंने कहा कि आरसेप में शामिल अन्य देश धीरे धीरे इस बात को समझ सकते हैं कि कैसे भारत इस समझौते से बाहर जा रहा था। भारत ने लगातार भेदभाव पूर्ण तरीके पर आपत्ति जताई थी। रमेश से पहले पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि आरसेप से बाहर रहने का असर साझेदार देशों से पाम तेल, सोना और दाल जैसे जरूरी सामानों के आयात पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इस समूह से बाहर रहने से दक्षिण पूर्व एशिया में भारत के रणनीतिक हितों पर असर पड़ेगा।
|