राज्यों के साथ कर बंटवारा यथावत | अरूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली December 05, 2019 | | | | |
केंद्र व राज्यों के बीच कर बंटवारे के मामले में माना जा रहा है कि 15वें वित्त आयोग ने यथास्थिति बरकरार रखी है और 2020-21 के लिए मौजूदा 42 प्रतिशत के स्तर को बरकरार रखा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी अंतरिम रिपोर्ट आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दी है और राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशों से अवगत कराया है। एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि वित्त आयोग फिलहाल राज्यों को बंटवारे के प्रतिशत को यथावत रखा है। आयोग अतिरिक्त समय का इस्तेमाल आर्थिक मंदी, केंद्र और राज्यों के अवास्तविक राजकोषीय व वित्तीय लक्ष्यों से निपटने और दिल्ली और पुदुच्चेरी जैसे अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तुलना में जम्मू कश्मीर की स्थिति पर विचार करने के लिए करेगा और अंतिम रिपोर्ट अक्टूबर 2020 में सौंपेगा।
राष्ट्रपति अब अंतरिम रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय को सौंपेंगे और इसके आधार पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम के अधिकारी इसके आधार पर 2020-21 का बजट तैयार करने में सक्षम हो सकेंगे। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अंतरिम रिपोर्ट बजट के महज एक दिन पहले सार्वजनिक की जा सकती है, जब इसे संसद के पटल पर रखा जाएगा। पिछले महीने के आखिर में मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल 11 महीने बढ़ा दिया था। आयोग वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए अपनी पूर्ण रिपोर्ट पेश करेगा। इस तरह से 15वें वित्त आयोग को 6 वित्त वर्षों के लिए अपनी रिपोर्ट देनी होगी, जो सामान्यतया 5 साल होती है। बहरहाल यह भारत के संविधान के प्रावधानों के विपरीत नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 280 में प्रावधान है कि वित्त आयोग का कार्यकाल 5 साल या राष्ट्रपति के द्वारा तय अवधि के मुताबिक होगा। सामान्य शब्दों मेंं कहें तो इसका मतलब यह है कि 15वां वित्त आयोग दो रिपोर्टों के माध्यम से 6 साल के लिए सिफारिश कर सकता है, जब 16वें वितत्त आयोग का गठन होगा तो वह 2025-26 से 2029-30 के लिए कर के बंटवारे पर विचार करेगा, न कि 2026-27 से। इसकी वजह से 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल 5 साल रहेगा।
15वें वित्त आयोग को अतिरिक्त समय नए केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख पर विचार करने के लिए दिया गया है। जम्मू कश्मीर का मसला यह है कि तकनीकी रूप से जहां केंद्र शासित प्रदेशों को बंटवारे वाले कर पूल में हिस्सा नहीं मिलता है और उनके संसाधन केंद्र के हिस्से से आते हैं, वहीं जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि 15वां वत्ति आयोग जम्मू कश्मीर के मामले में बंटवारे वाले पूल से हिस्सेदारी देने पर विचार करेगा, यानी उसे राज्य के रूप में देखा जाएगा।
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