वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा के भुगतान का भरोसा दिया है। हालांकि उन्होंने इसके लिए काई समयसीमा नहीं बताई है। राज्यों को अगस्त और सितंबर महीने के जीएसटी मुआवजा का भुगतान किया जाना है। पंजाब, केरल, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के वित्त मंत्रियों ने बुधवार को सीतारमण से मुलाकात कर अगस्त से बकाये चार महीनों के जीएसटी मुआवजा शीघ्र जारी करने का आग्रह किया। दिल्ली में 17 और 18 दिसंबर को होने जा रही जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में यह मामला सबसे अधिक विवादित हो सकता है।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि सीतारमण ने उन्हें भरोसा दिया कि पैसा शीघ्र ही जारी किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने फंड जारी किए जाने की कोई समयसीमा नहीं दी। अगस्त और सितंबर महीने की क्षतिपूर्ति अभी तक नहीं की गई है और अब अक्टूबर तथा नवंबर महीने की क्षतिपूर्ति भी दिसंबर में की जानी है।
अगस्त और सितंबर के लिए राजस्थान का क्षतिपूर्ति बकाया 4,400 करोड़ रुपये, पंजाब का 2,100 करोड़ रुपये, दिल्ली का 2,355 करोड़ रुपये, केरल का 1,600 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल का 1,500 करोड़ रुपये है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वित्त मंत्री ने इसका कोई कारण नहीं बताया कि राज्यों की क्षतिपूर्ति रकम को किस लिए रोक कर रखा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र को तीन महीनों- अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के लिए दिल्ली को 3,600 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।
राज्यों को राजस्व हानि के लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान करने की खातिर जीएसटी के तहत उपकर संग्रह चालू वित्त वर्ष में जरूरत से कम है। इसकी वजह मांग में आई कमी है। कानून के मुताबिक यदि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कम से कम 14 फीसदी की वृद्घि नहीं होती है तो केंद्र सरकार उन्हें प्रत्येक दो महीने बाद उसके अंतर का भुगतान करती है।
मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री ब्रजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि मध्य प्रदेश का केंद्र पर जीएसटी मुआवजा बकाया अगस्त से नवंबर महीने तक का करीब 3,000 करोड़ रुपये है। भारत के नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक की वेबसाइट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019-20 में मध्य प्रदेश का जीएसटी संग्रह सबसे खराब रहा है और वह वार्षिक लक्ष्य का 30 प्रतिशत ही संग्रह कर सका। केरल, पंजाब और तमिलनाडु ने करीब 33 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है।
केंद्र ने राज्यों को लिखे पत्र में यह जानकारी दी है कि राज्यों के मुआवजा की जरूरतें संग्रह किए गए उपकर से पूरा नहीं किया जा सकेगा और उसने मुआवजा उपकर व जीएसटी दरों की समीक्षा करने के लिए राज्यों से सलाह मांगी है।
सीतारमण ने बुधवार को कहा कि केंद्र इन दायित्वों से बंधा हुआ है कि वह राज्यों के हितों की रक्षा करे। इस साल पहले 6 महीने में जहां केंद्र ने मुआवजा उपकर महज 46,000 करोड़ रुपये एकत्र किया है, वहीं राज्यों को दिया जाने वाला वास्तविक मुआïजा 66,000 करोड़ रुपये हो गया है। संग्रह के हिसाब से जहां वाहनों की बिक्री में गिरावट से संग्रह घटा है, वहीं राज्यों के जीएसटी राजस्व में कुल मिलाकर संकट की स्थिति है, जिससे मुआवजा जारी करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
जीएसटी आयुक्तों को भेजे गए पत्र को बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखा है, जिसमें कहा गया है कि पिछले कुछ महीने से जीएसटी और मुआवजा उपकर संग्रह कम होना चिंता का विषय रहा है और मुआवजा उपकर से मुआवजे की जरूरत पूरी हो पाना संभव नहीं लगता।
इसके अलावा राजस्व बढ़ाने के लिए अनुपालन व दरों को लेकर सुझाव मांगे गए हैं। इसमें छूट की श्रेणी में शामिल वस्तुओं की समीक्षा शामिल है। छूट की सूची में आवश्यक जिंस जैसे अनाज, सब्जियां फल आदि शामिल हैं।
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