दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहीं अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली तीन कंपनियों के लिए भारती एयरटेल ने करीब 3,000 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान करने की पेशकश की है। एयरटेल की बोली एवं अन्य पेशकश पर चर्चा के लिए इन कंपनियों के लेनदारों की समिति की बैठक जल्द होने वाली है। इन तीन कंपनियों में रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल शामिल हैं। रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस टेलीकॉम के पास स्पेक्ट्रम एवं कुछ अन्य कारोबार हैं जबकि रिलायंस इन्फ्राटेल के पास टावर एवं फाइबर परिसंपत्तियां हैं। इस रकम में बकाया स्पेक्ट्रम भुगतान शामिल नहीं है जिसके लिए उन्हें कई वर्षों तक सरकार को भुगतान करना है।
सूत्रों के अनुसार, भारती ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस टेलीकॉम के लिए करीब 1,050 करोड़ रुपये की पेशकश की है। इनके पास विभिन्न बैंड में करीब 122 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध है। साथ ही 4जी सेवाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले मूल्यवान 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में भी इनके पास 58 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मौजूद है लेकिन फिलहाल उसका इस्तेमाल रिलायंस जियो 21 सर्किल में स्पेक्ट्रम साझेदारी अनुबंध के तहत कर रही है। इसके अलावा भारती ने रिलायंस इन्फ्राटेल के लिए 1,900 करोड़ रुपये की बोली लगाई है।
सूत्रों ने बताया कि इस रकम के एक हिस्से का इस्तेमाल परिचालन लेनदारों के बकाये के भुगतान, कार्यशील पूंजी और कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया की लागत में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत लेनदारों को करीब 1,750 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। भारती एयरटेल ने इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।
सूत्रों के अनुसार, रिलायंस जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल को खरीदने के लिए 60 दिनों में 3,600 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान करने की पेशकश की है। सूत्रों के अनुसार, वर्दे पार्टनर्स और यूवीएआरसीएल ने भी इन तीनों कंपनियों के लिए अपनी बोली जमा कराई है लेकिन उन्होंने अग्रिम भुगतान के लिए कोई वादा नहीं किया है। उन्होंने स्पेक्ट्रम सहित अन्य परिसंपत्तियों को भुनाने से प्राप्त रकम लेनदारों को देने की पेशकश की है।
हाल में 29 नवंबर को हुई सचिवों की समिति की बैठक में एसबीआई कैप ने बोलियों का अध्ययन करने के लिए समय मांगा था। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल एक ऐसे खरीदार की तलाश कर रहा है जो ताकि 32,000 करोड़ रुपये के बकाये के भुगतान के लिए रकम जुटाई जा सके जो केवल एक कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस पर लेनदारों का बकाया है। सूत्रों का कहना है कि प्राप्त बोलियो के आधार पर बैंकों को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
रिलायंस जियो केवल रिलायंस इन्फ्राटेल के लिए बोली लगा रही है ओर यह पेशकश उसकी कारोबारी योजना के अनुकूल है। पिछले साल जियो ने 43,000 रिलायंस इन्फ्रा टावर परिसंपत्ति की खरीदारी के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसके अलावा वह अपनी फाइबर टु होम परियोजना को चालू करने के लिए 1,78,000 किलोमीटर फाइबर का भी इस्तेमाल कर रही थी। उस समय रिलायंस ने 25,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी जिसमें स्पेक्ट्रम का उपयोग भी शामिल था। लेकिन दूरसंचार विभाग के दबाव के कारण वह सौदा नहीं हो सका। दूरसंचार विभाग का कहना था कि पिछले बकाये के भुगतान के लिए जियो अथवा रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रवर्तक वादा करे। लेकिन जियो ने वादा करने से इनकार कर दिया। बाद में रिलायंस कम्युनिकेशंस नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल चली गई।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि जियो ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जटिलताओं से बचने के लिए स्पेक्ट्रम के लिए बोली न लगाने का निर्णय लिया है।
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