नए साल की दूसरी छमाही तक सुस्त रहेगी डीजल की मांग | रॉयटर्स / नई दिल्ली/मुंबई December 04, 2019 | | | | |
भारत में डीजल की मांग 2020 की दूसरी छमाही तक सुस्त बनी रहेगी। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि उसके बाद औद्योगिक गतिविधियों को गति देने के लिए किए गए तमाम नीतिगत उपायों के परिणाम आने लगेंगे और अधिक ईंधन की खपत होगी। भारत की आर्थिक वृद्घि दर की रफ्तार घटकर छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में जब तक भारत में खपत जोर नहीं पकड़ती है रिफाइनर कभी कभी होने वाले डीजल निर्यातों के हालिया खंड को और आगे बढ़ा सकते हैं जिससे इस क्षेत्र में रिफाइनिंग मार्जिन पर असर पड़ा है।
भारत में रिफाइंड ईंधन की मांग में डीजल की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है जो वित्त वर्ष 2014 से इस साल तक सबसे कम रफ्तार से बढ़ी है। इसकी वजह सख्त क्रेडिट मार्केट, वाहनों की घटती बिक्री और रेल व हवाई यातायात में आ रही कमी है।
सरकारी रिफाइनर के एक अधिकारी ने कहा कि 2019-20 वित्त वर्ष में डीजल निर्यात में 80 लाख टन तक की उछाल आ सकती है जबकि एक वर्ष पहले 2.8 करोड़ टन का निर्यात हुआ था। जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने वाली कंपनी रिफाइनिटीव की ओर से संग्रहीत डेटा से पता चलता है कि अप्रैल 2018 से इस साल अप्रैल में वित्त वर्ष की शुरुआत तक भारत के डीजल निर्यात में 8.9 फीसदी की उछाल आ चुकी है और यह 1.77 करोड़ टन हो गई है। यह 2015 के बाद से उस दौरान सर्वाधिक रहा।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018-19 वित्त वर्ष में भारत ने रिकॉड 8.35 करोड़ टन डीजल का उपभोग किया और यह उसके पिछले वर्ष से 3 फीसदी अधिक है। मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा लिमिटेड में कॉर्पोरेट खंड रेटिंग्स के समूह प्रमुख के रविचंद्रण के मुताबिक 2019-20 में मांग की वृद्घि दर सपाट या 1 फीसदी रह सकती है।
फिच की स्थानीय यूनिट इंडिया रेटिंग्स में तेल और गैस विश्लेषक भानू पाटनी ने कहा कि अगले कई महीनों तक डीजल की खपत में कमी आती रहेगी। उन्होंने कहा, '2020 की पहली छमाही से पहले डीजल की खपत में सुधार नहीं होगा।' सरकार ने उत्पादन और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सितंबर में कॉर्पोरेट कर की दरों में कटोती की घोषणा की थी, वहीं केंद्रीय बैंक ने भी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के मद्ïदेनजर ब्याज दरों में कटौती की लेकिन इनसे अभी तक मांग में वृद्घि नहीं हुई है।
भारत सरकार ने अक्टूबर महीने के लिए फैक्टरी उत्पादन के आंकड़े जारी नहीं किए हैं लेकिन उस महीने डीजल खपत में आई 7.4 फीसदी की गिरावट से पता चलता है कि देश का औद्योगिक इंजन लगातार सुस्त पड़ा हुआ है। उस महीने डीजल खपत तीन साल में सबसे कम रहा। मॉनसूनी बारिश का समय लंबा खिंचने से भी डीजल की मांग को धक्का लगा है। मॉनसूनी बारिश होने से खेती के लिए डीजल की खपत में कमी आई और सितंबर से ग्रामीण निर्माण कार्य बाधित हो गया।
सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पंपों के अधिक इस्तेमाल ने भी कृषि क्षेत्र में डीजल की मांग को चोट पहुंचाई है, वहीं डीजल के बजाय गैसोलीन से चलने वाले कारों के इस्तेमाल के प्रति लगातार बढ़ते रुझान से भी डीजल की खपत मंद पड़ी है। भारत में छाई आर्थिक सुस्ती के कारण भी तेल की मांग घटी है।
|