डीएचएफएल: दिवालिया याचिका स्वीकार | सुब्रत पांडा / मुंबई December 02, 2019 | | | | |
नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने आवास वित्त कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से दायर दिवालिया याचिका को आज स्वीकार कर लिया। डीएचएफएल ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से ली गई वाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के ब्याज भुगतान में चूक की थी। डीएचएफएल ऐसी पहली वित्तीय सेवा कंपनी है जिसके खिलाफ एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार ने 15 नवंबर को वित्तीय सेवाओं के लिए ऋण शोधन अक्षमता कानून को अधिसूचित किया था।
डीएचएफएल ने ईसीबी के जरिये एसबीआई से 24 करोड़ डॉलर जुटाए थे और यह रकम दो चरणों में जुटाई गई थी। पहले चरण में 11 करोड़ डॉलर और दूसरे चरण में 13 करोड़ डॉलर जुटाए गए थे। डीएचएफएल ने 21.6 लाख डॉलर के ब्याज भुगतान में चूक की थी जिसके बाद उसके खिलाफ दिवालिया याचिका दायर की गई थी। इस आवास वित्त कंपनी ने इसी साल जुलाई में गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) धारकों के पुनर्भुगतान में भी चूक की थी। डीएचएफएल के खिलाफ इस मामले में एसबीआई मुख्य वित्तीय लेनदार है। हालांकि एनसीएलटी ने इस आवास वित्त कंपनी के खिलाफ दिवालिया याचिका को स्वीकार कर लिया है लेकिन ट्रिब्यूनल ने चिंता जताई कि कंपनी के पिछले प्रबंधन का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था क्योंकि आरबीआई ने उसके बोर्ड को निलंबित कर दिया था। ट्रिब्यूनल ने देखा कि डीएचएफएल के खिलाफ आरबीआई की याचिका को चुनौती देने वाला कोई नहीं था।
आरबीआई ने 20 नवंबर को डीएचएफएल के बोर्ड को निलंबित कर इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व सीएमडी आर सुब्रमण्यकुमार को प्रशासक नियुक्त किया था। तीन सदस्यीय सलाहकार समिति भी गठित की गई है। डीएचएफएल की कुल देनदारी सितंबर 2019 के अनुसार 92,715 करोड़ रुपये है जिसमें सुरक्षित ऋण 73,833 करोड़ रुपये और असुरक्षित ऋण 18,881 करोड़ रुपये है।
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