गिरावट के बाद धान में सुधार | वीरेंद्र सिंह रावत / लखनऊ December 01, 2019 | | | | |
निर्यात परिदृश्य में कमजोरी के साथ मौजूदा खरीद सत्र में घरेलू धान की कीमतों में कुछ सुधार दिख रहा है। ऐसे कई कारक हैं जिनसे आगामी सप्ताहों में धान की कीमतों में मजबूत लेकिन धीमे सुधार का संकेत मिलता है। इन कारकों में कुछ प्रमुख धान उत्पादक इलाकों में हालिया तूफान के अलावा बाढ़ से हुआ फसल नुकसान भी शामिल है। मौजूदा सत्र 2019-20 के लिए केंद्र द्वारा ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा से धान की कीमतों में सुधार दिख रहा है।मुंबई के चावल निर्यातक देवेंद्र वोरा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'बड़ी गिरावट के बाद धान कीमत की स्थिति धीरे धीरे अब बेहतर हो रही है। यह स्टॉकिस्टों और चावल मिलों को आने वाले पूरे वर्ष के लिए माल जमा करने का अच्छा समय है, जिससे अच्छी खरीद और बाजार कारोबारियों द्वारा खरीदारी में दिलचस्पी बढ़ रही है।'
उन्होंने दावा किया कि कारोबारियों में यह धारणा कायम है कि घरेलू चावल बाजार कम से कम इस सीजन में अब कमजोर नहीं पड़ेगा। यही वजह है कि घरेलू स्टॉकिस्ट और मिलें कीमतें बढ़ाने का काम कर रहे हैं। वोरा ने कहा, 'साथ ही निर्यातक इसे लेकर आशान्वित हैं कि ईरान बाजार अगले 2-4 महीनों में फिर से पटरी पर लौटेगा, जिससे कीमत रुझानों में और सुधार आया है।' सालाना बासमती निर्यात में ईरान का 10 लाख टन से ज्यादा का योगदान है, हालांकि अमेरिका-ईरान के बीच तनाव से भारत और ईरान के बीच वस्तु विनिमय व्यापार को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई है।
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आईसीईएक्स) में धान (1121 किस्म) कीमतें 3,260 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रही थीं, जो 3.55 प्रतिशत तक की वृद्घि है, क्योंकि बारिश की वजह से एशिया के सबसे बड़े अनाज बाजार खन्ना (पंजाब) में खरीदारी प्रभावित हुई। धान 1121 की कीमत एक महीने पहले 3,700 रुपये पर थी जो पिछले सप्ताह के अंत में घटकर 3,088 रुपये पर रह गई। जिंस विश्लेषक अजय केडिया ने कहा कि चक्रवात से रबी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। इस चक्रवात से जहां पश्चिम बंगाल और ओडिशा में धान को नुकसान पहुंचा, वहीं तेलंगाना समेत दक्षिण भारत के कुछ बाजारों में धान की कम आवक देखी गई। उन्होंने जोर देकर कहा, 'प्रमुख उत्तरी राज्यों में बाढ़ और दक्षिण-पूर्वी राज्यों में हाल में आए तूफान की वजह से धान की फसल को हुए नुकसान की मात्रा का आकलन अभी नहीं किया गया है, लेकिन यह काफी अधिक है। मौजूदा सीजन में कम आपूर्ति से धान की कीमतों में तेजी आ रही है।' उन्होंने कहा कि इसके अलावा महाराष्टï्र में बेमौसम बारिश से 70 लाख हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। भारतीय निर्यातक एमएसपी व्यवस्था के तहत खरीद लागत में लगातार वृद्घि से दीर्घावधि चावल निर्यात नीति के अभाव की समस्या से जूझ रहे हैं और वैश्विक बाजारों में गैर-प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान पाकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम एशियाई और अफ्रीकी क्षेत्रों में मजबूती के साथ उभरे हैं, जिससे भारतीय चावल निर्यात का परिदृश्य प्रभावित हो रहा है।
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