आरपीए फर्मों का घटेगा मूल्यांकन! | देवाशिष महापात्र / बेंगलूरु November 29, 2019 | | | | |
रोबोटिक्स प्रॉसेस ऑटोमेशन (आरपीए) कंपनियां अपने ऊंचे मूल्यांकन को अधिक समय तक शायद ही बरकरार रख पाएंगी क्योंकि तमाम कारणों से उनकी वृद्धि प्रभावित हो सकती है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी दिग्गज वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के अलावा आईटी सेवा कंपनियों से मिल रही तगड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण आरपीए कंपनियों का परिदृश्य बदल सकता है। ऐसे में उनके मूल्यांकन को तगड़ा झटका लगेगा। ग्रेहाउस रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) संचित वीर गोगिया ने कहा, 'शुरू में प्रौद्योगिकी तेजी के दौर से गुजरती है और उस दौरान आमतौर पर मूल्यांकन बढ़ जाता है। यह किसी नई प्रौद्योगिकी के विकास की प्रक्रिया के अलावा कुछ भी नहीं है।' उन्होंने कहा, 'आरपीए वेंडर जब ग्राहकों के पास जाते हैं तो कारोबार की मुश्किलें और सीमाएं भी सामने आती हैं।' पिछले सप्ताह आरपीए फर्म ऑटोमेशन एनीव्हेयर (एए) और चार भारतीय उद्यमियों द्वारा स्थापित चैटबॉट कंपनी के मूल्यांकन में ताजा दौर के वित्त पोषण के दौरान एक साल के भीतर करीब तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई।
अमेरिका के सैन जोस की कंपनी ने बी शृंखला के वित्त पोषण के तहत 6.8 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर सेल्सफोर्स वेंचर्स, सॉफ्टबैंक और गोलडमैन सैक्स से 29 करोड़ डॉलर जुटाए। हालांकि इस निजी कंपनी ने अपने राजस्व आंकड़ों का खुलासा नहीं किया है लेकिन रिसर्च फर्म गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में उसका राजस्व करीब 10.9 करोड़ डॉलर था। इसी प्रकार, एए की करीबी प्रतिस्पर्धी यूआईपाथ ने 2018 में 11.5 करोड़ डॉलर का राजस्व दर्ज किया। इस आरपीए कंपनी का मूल्यांकन इस साल अप्रैल में डी शृंखला के वित्त पोषण के समय करीब 7 अरब डॉलर था। उस दौरान कंपनी ने 56.8 करोड़ डॉलर जुटाए थे।
उद्योग के जानकारों के अनुसार, पारंपरिक उत्पाद कंपनियों का मूल्यांकन उनके राजस्व का करीब 10 गुना होता है। इसलिएराजस्व के मुकाबले 60 से 70 गुना अधिक मूल्यांकन काफी अधिक दिखता है। पारीख कंसल्टिंग के संस्थापक एवं आउटसोर्सिंग सलाहकार पारीख जैन ने कहा, 'एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर उत्पाद कंपनियों का मूल्यांकन आमतौर पर उनके राजस्व का 10 गुना होता है। लेकिन आरपीए के बारे अधिक चर्चा होने से मूल्यांकन पारंपरिक उत्पाद कंपनियों के मुकाबले बढ़ जाता है।' उन्होंने कहा कि आरपीए कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे सहायक स्वचालन मुहैया कराती है जिसमें मैनुअल दखल की जरूरत होती है।
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