डीएचएफएल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया | सुब्रत पांडा / मुंबई November 29, 2019 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि उसने संकटग्रस्त आवास वित्त कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के खिलाफ दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू की है और उसके करीब 83,873 करोड़ रुपये के दायित्व के समाधान के लिए मामले को दिवालिया ट्रिब्यूनल में भेज दिया है। डीएचएफएल ऐसी पहली वित्तीय सेवा कंपनी है जिसे वित्तीय सेवा ऋण शोधन अक्षमता नियम जारी होने के बाद ऋण समाधान के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) भेजा गया है। केंद्र सरकार द्वारा 15 नवंबर को ये नियम जारी किए गए थे।
आरबीआई की इस पहल के साथ ही डीएचएफएल की परिसंपत्तियों पर अंतरिम स्थगनादेश भी लागू हो गया है क्योंकि उसके खिलाफ एनसीएलटी में याचिका दायर की गई है। दिवालिया ट्रिब्यूनल द्वारा उस याचिका को स्वीकार अथवा खारिज किए जाने तक यह स्थगन जारी रहेगा। इसका मतलब साफ है कि अपने बकाये की वसूली के लिए बॉन्डधारकों द्वारा डीएचएफएल के खिलाफ दायर सभी मामले फिलहाल रुक जाएंगे। अन्य दिवालिया मामलों में वित्तीय लेनदारों की सिफारिश पर अदालत द्वारा एक अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति की जाती है। लेकिन डीएचएफएल के मामले में बैंक नियामक द्वारा नियुक्त प्रशासक ही रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की भूमिका भी निभाएंगे और वह तीन सदस्यीय सलाहकार समिति की मदद से कंपनी का संचालन करेंगे।
आरबीआई ने 20 नवंबर को डीएचएफएल के बोर्ड को बर्खास्त करते हुए इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व एमडी एवं सीईओ आर सुब्रमण्यकुमार को इस आवास वित्त कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया था। साथ ही आरबीआई ने प्रशासक की मदद के लिए तीन सदस्यीय सलाहकार समिति का भी गठन किया था। इस समिति के सदस्यों में आईडीएफसी फस्र्ट बैंक के गैर-कार्यकारी चेयरमैन राजीव लाल, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एनएस कन्नन और एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्ïस ऑफ इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी एनएस वेंकटेश शामिल हैं। डीएचएफएल का कुल बकाया ऋण बोझ जुलाई तक 88,873 करोड़ रुपये है और जुलाई के अंत में उसके ऋण खाते का आकार 96,615 करोड़ रुपये है।
इस आवास वित्त कंपनी के लिए संकट की शुरुआत पिछले साल आईएलऐंडएफएस संकट के बाद हुई थी। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में डीएचएफएल ने नया ऋण देना लगभग बंद कर दिया था। जून 2019 में उसने अपने ऋण पुनर्भुगतान में चूक की और उसके बाद रेटिंग एजेंसियों ने उसके वाणज्यिक पत्रों की रेटिंग घटा दी थी। हालांकि लेनदारों ने प्रबंधन के साथ मिलकर कंपनी के लिए एक समाधान योजना भी तैयार की थी। उसी क्रम में आरबीआई की ओर से 7 जून को जारी प्रपत्र के प्रावधानों के अनुसार इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट (आईसीए) पर हस्ताक्षर भी किए गए। लेकिन सभी बॉन्डधारक उस समय मौजूद नहीं थे और इसलिए आईसीए पर उनका हस्ताक्षर नहीं हो पाया।
कंपनी के प्रबंधन द्वारा प्रस्तावित समाधान योजना का मसौदा भी तैयार किया गया था। मसौदे के तहत प्रबंधन ने विभिन्न श्रेणी के लेनदारों- बैंक, बॉन्डधारकों, नैशनल हाउसिंग बैंक, बाहरी उधारी, वाणिज्यिक पत्र आदि- के 2.3 फीसदी निवेश को 54 रुपये प्रति शेयर मूल्य पर इक्विटी में बदलते की बात कही थी। उसके बाद लेनदारों की एकीकृत हिस्सेदारी 51 फीसदी हो जाती। लेकिन लेनदार इसके लिए राजी नहीं हुए और आरबीआई को दखल देनी पड़ी। हाल में डीएचएफएल ने दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे को टाल दिया था। पहली तिमाही में उसने 242.5 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था जबकि एक साल पहले की समान अवधि में उसे 431.7 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। कंपनी की कुल आय 3,154 करोड़ रुपये से घटकर 2,400 करोड़ रुपये रह गई।
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