इंडियाबुल्स को मिली फौरी राहत | रुचिका चित्रवंशी / नई दिल्ली November 28, 2019 | | | | |
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस की तरफ से पांच कंपनियों को आवंटित ऋणों में अब तक कोई अनियमितता नहीं पाई है। हालांकि मंत्रालय ने अभी तक इंडियाबुल्स के खिलाफ जांच बंद नहीं की है और दो महीनों के भीतर नया हलफनामा जमा करने की इजाजत मांगी है। मंत्रालय ने कहा है कि गड़बड़ी पाए जाने पर इंडियाबुल्स के खिलाफ नियमों के मुताबिक कार्यवाही की जाएगी। मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में आज दायर एक हलफनामे में आवंटित ऋणों की जांच के बारे में यह जानकारी दी। न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में इंडियाबुल्स को दिए गए कर्जों पर सवाल खड़े किए गए थे। गैर-सरकारी संगठन 'सिटिजंस व्हिसल ब्लोअर फोरम' ने यह याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर के पीठ के समक्ष यह हलफनामा दायर किया गया है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होगी।
रियल एस्टेट कंपनियों को कर्ज देने वाली कंपनी इंडियाबुल्स को बांटे गए कर्जों की जांच अभी जारी रहेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अभी कोई क्लीनचिट नहीं दी गई है और निरीक्षण रिपोर्ट की पुष्टि के बाद हम एक और हलफनामा दायर करेंगे।' बहरहाल इस सकारात्मक हलफनामे की खबर आते ही शेयर बाजार में इंडियाबुल्स के शेयरों के भाव 347.65 रुपये के स्तर तक पहुंच गए। बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ फिर भी इसके शेयर 24.7 फीसदी के उछाल के साथ 334.20 के भाव पर बंद हुए।
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंध निदेशक गगन बंगा ने कहा कि यह हलफनामे उनके दावे की ही पुष्टि कर रहा है। बंगा ने कहा, 'जनहित याचिका में जिन पांच कर्जों को लेकर सवाल उठाए गए हैं, उनके बारे में कंपनी मंत्रालय की तरफ से दायर हलफनामा उसी बात की पुष्टि करता है जिसे हम छह महीनों से कह रहे थे। हम मंत्रालय एवं नियामकीय संस्थाओं के साथ पूरी तरह पारदर्शी रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि तथ्यों के दम पर हमारी जीत होगी।' कंपनी मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है कि इंडियाबुल्स से कर्ज लेने वाली पांच कंपनियों में से डीएलएफ, रिलायंस एडीएजी और एम्रीकॉर्प ने समूची राशि का पुनर्भुगतान कर दिया है जबकि वाटिका एवं चोर्डिया समूह नियमित तौर पर कर्ज की किस्तें भर रहे हैं। गत 27 सितंबर को अदालत में दाखिल एक जनहित याचिका में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस पर पैसे इधर-उधर करने के आरोप लगाए गए थे। हालांकि कंपनी ने इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए कहा था कि मामला अदालत में लंबित रहने से उसे नुकसान हो रहा है। कंपनी मामलों के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तरी क्षेत्र) का कार्यालय इस मामले से संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हम इस मामले से जुड़े दो ट्रक कागजात की जांच कर चुके हैं। लेकिन हमारी जांच अब भी जारी है।'
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