खराब प्रबंधन नीति भुगत रहे उपभोक्ता! | राजेश भयानी / मुंबई November 28, 2019 | | | | |
मुंबई समेत सभी प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में प्याज के खुदरा दाम प्रति किलोग्राम 100 रुपये पार जा चुके हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को दोषपूर्ण आपूर्ति प्रबंध-आयात नीति और अत्यधिक फसल क्षति के कारण इतने अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं। देश में कई थोक मंडियों में भी बढिय़ा गुणवत्ता वाले प्याज के दाम इस सप्ताह की शुरुआत में 100 रुपये से अधिक बोले जा रहे थे, हालांकि अब इनमें कमी आने लगी है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार मुंबई के खुदरा बाजार में प्याज के दाम प्रति किलोग्राम 120 रुपये, हैदराबाद में 100 रुपये, बेंगलूरु और इंदौर में 90 रुपये, अहमदाबाद में 85 रुपये और दिल्ली में 75 रुपये हैं।
शोधकर्ताओं और बाजार के भागीदारों के अनुसार निकट भविष्य में कोई महत्त्वपूर्ण सुधार दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि दिसंबर के मध्य तक प्याज आपूर्ति में यह कमी बनी रहने की संभावना है तथा दाम कम होकर औसत स्तर तक आने में एक महीना लग जाएगा। बागवानी निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह के अनुसार खरीफ फसल को पहुंचे नुकसान का असर अब भी दिख रहा है। अगले महीने के मध्य से लेकर महीने के अंत तक दामों में कमी आनी शुरू हो जाएगी। चूंकि मॉनसून आने में देर हो गई थी और बाद में अत्यधिक तथा लंबे समय तक हुई बारिश ने प्याज की फसल को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है, इसलिए दामों में अचानक तेजी दिखाई दी और पिछले तीन महीनों से दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
सरकार द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध और देश भर में व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाने के बाद नवंबर से दामों में कमी आने की संभावना दिख रही थी, लेकिन फसल को पहुंची क्षति इस क्षेत्र द्वारा लगाए गए अनुमान की तुलना में बहुत गंभीर थी। इसी वजह से आपूर्ति अब भी उतनी अच्छी नहीं है, जितनी इस समय तक होनी चाहिए थी। अजीत शाह ने कहा कि सरकार ने आयात नियमों में ढील दी है, लेकिन इससे आयातकों को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है और यह अधूरी साबित हुई है तथा आयातित प्याज की आपूर्ति सीमित रही है। अगर आयात नियमों में ज्यादा ढील दी जाती, तो आपूर्ति बढऩे से दाम काबू में लाने में मदद मिल जाती।
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने 30 नवंबर, 2019 तक प्याज आयात के लिए फ्यूमिगेशन (धूम्रीकरण) की शर्त में ढील दी थी। आयातक सीमा शुल्क विभाग की शीघ्र मंजूरी और दुबई जैसे व्यापारिक केंद्रों से आयात करने के लिए और ज्यादा राहत चाहते थे। अब तक व्यापारी मिस्र और तुर्की आदि से आयात का अनुबंध कर चुके हैं लेकिन इनकी मात्रा ज्यादा नहीं हैं क्योंकि भारतीय बंदरगाहों पर खेप पहुंचने में 20 दिन लगते हैं और सभी व्यापारी यह जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं थे। दुबई से एक या दो दिन में खेप आती है। अफगानिस्तान से वाघा सीमा के जरिये प्याज आना शुरू हो चुका है।
हालांकि पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र के संगमनेर और सोलापुर में, गुजरात के गोंडल और महुआ में, राजस्थान के अलवर में और दिल्ली की आजादपुर मंडी में आवक हो रही है तथा अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज के दाम कम होकर 65 रुपये से 75 रुपये तक हो चुके हैं। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अनुसार कई मंडियों में औसत दाम गिरकर तकरीबन 50 रुपये से 55 रुपये प्रति किलोग्राम तक तथा कुछ जगहों में इससे भी नीचे आ चुके हैं।
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