15वें वित्त आयोग को विस्तार | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली November 27, 2019 | | | | |
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया। अब आयोग वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अंतरिम रिपोर्ट और वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-25 के लिए पूर्ण रिपोर्ट पेश करेगा। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी सरकार की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग को पहले वित्त वर्ष 2020-21 की पहली रिपोर्ट प्रस्तुत करने को मंजूरी दी है। साथ ही 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल बढ़ाने को मंजूरी दी है, जिससे वह वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए पर 30 अक्टूबर 2020 तक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके। वक्तव्य में कहा गया है, 'वित्त आयोग का कार्यकाल बढऩे से उसे 2020- 2026 की अवधि के लिए रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में सहूलियत होगी। इस दौरान आयोग नए आर्थिक सुधारों और वास्तविकताओं के मद्देनजर वित्तीय अनुमानों के लिए विभिन्न तुलनात्मक अनुमानों का परीक्षण कर सकेगा।'
यह करने में वक्त लगेगा, जिसके लिए 15वें वित्त आयोग को सामान्य 5 साल के कार्यकाल की जगह 6 वित्त वर्ष दिया गया है। बहरहाल मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूत्रों ने साफ किया कि यह भारत के संविधान के प्रावधानों के विपरीत नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 280 में कहा गया है कि राष्ट्रपति वित्त आयोग का गठन करेगा और इसकी अवधि हर 5 साल में या राष्ट्रपति के आवश्यक समझने के मुताबिक पहले समाप्त होगी। एक अधिकारी ने साफ किया कि इसका मतलब यह हुआ कि 15वां वित्त आयोग दो रिपोर्टों के माध्यम से 6 साल के लिए (2020-21 से 2025-26) अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कर सकेगा, जब 16वें वित्त आयोग का गठन होगा तो वह 2025-26 से 2029-30 की अवधि के लिए कर के बंटवारे पर विचार करेगा, न कि 2026-27 वित्त वर्ष से। इसके कारण 15वें वित्त आयोग की अवधि 5 सल होगी।
अधिकारी ने कहा, 'संविधान में यह अनिवार्य है कि हर 5 साल पर वित्त आयोग का गठन होगा। आग का मंत्रिमंडल का फैसला संविधान का उल्लंघन नहीं है।' हालांकि यह विज्ञप्ति में नहीं कहा गया है, लेकिन सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कैबिनेट की बैठक के बाद दो नए केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए अतिरिक्त वक्त दिया गया है। जैसा कि पहले खबर दी गई थी, आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अंतरिम रिपोर्ट सौंपने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त मांगा है। अंतरिम रिपोर्ट से वितत्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके नौकरशाहों को 2020-21 का बजट तैयार करने में मदद मिलेगी। यह कदम पहले के तीन वित्त आयोगों से ली गई नजीर के मुताबिक उठाया गया है।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख के मामले में मसला यह है कि तकनीकी रूप से देखें तो केंद्र शासित प्रदेशों को बंटवारे वाले कर पूल में से हिस्सा नहीं मिलता है और उन्हें बंटवारे वाले कर पूल से केंद्र को मिलने वाले धन में से पैसे मिलते हैं। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि 15वां वित्त आयोग उसे केंद्र शासित प्रदेश मानते हुए भी बंटवारे वाले पूल में से भुगतान करे और उसे राज्य की तरह माना जाए। वहीं यह उम्ीद की जा रही है कि लद्दाख को अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह ही केंद्र के हिस्से में से धन मिलेगा।
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