सेबी संग मामला निपटाएगा बैंक | |
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 11 27, 2019 | | | | |
► सेबी ने आईसीआईसीआई बैंक को भेजा नया नोटिस
► हितों के टकराव को लेकर सूचीबद्धता खुलासा नियमों के उल्लंघन का है आरोप
► नोटिस मिलने के 60 दिन के अंदर सहमति याचिका दायर कर सकता है संबंधित पक्ष
► याचिका स्वीकार करने से सख्त कार्रवाई से बच सकता है आईसीआईसीआई बैंक
आईसीआईसीआई बैंक सूचीबद्धता खुलासा नियमों के उल्लंघन से जुड़ी जांच के संबंध में भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ मामले के निपटान के लिए सहमति याचिका दायर कर सकता है। यह मामला बैंक की पूर्व मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोछड़ तथा वीडियोकॉन समूह से जुड़ा हुआ है। बाजार नियामक सेबी द्वारा इस माह की शुरुआत में फिर से कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद निजी क्षेत्र के बैंक द्वारा यह कदम उठाया जा रहा है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा, 'बैंक ने इस मसले पर प्रतिवाद के बजाय सहमति व्यवस्था के तहत निपटाने की इच्छा जाहिर की है। मामले के महत्त्वपूर्ण पहलू को ध्यान में रखते हुए बैंक कानूनी विकल्प को भी तैयार रखना चाह रहा है।'
इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी की जगह अप्रैल में सेबी द्वारा दूसरे अधिकारी को नियुक्त करने के बाद बैंक को यह नया नोटिस सेबी द्वारा अप्रैल में नियुक्त नए निर्णायक अधिकारी द्वारा जारी किया गया है। दरअसल मामले की जांच करने वाले अधिकारी को कार्यमुक्त कर दिया गया था। आम तौर पर सहमति आवेदन तब दायर किए जाते हैं जब असंतुष्ट पक्ष मामले की सुनवाई के बिना ही इसका निपटान करना चाहता है। इसके लिए संबंधित पक्ष को अपेक्षाकृत हल्के आरोप या कम सजा दी जाती है और/या कुछ संबंधित आरोप हटा लिया जाता है।
इसे बिना दोष स्वीकार किए या उससे इनकार के दंड संहिता के तहत स्वीकार किया जाता है। नोटिस मिलने के 60 दिन के अंदर निपटान याचिका दायर करने की अनुमति होती है। इस मामले में यह समयसीमा दिसंबर में खत्म हो रही है। हालांकि सहमति याचिका दायर करने का यह मतलब नहीं है कि संबंधित पक्ष ने दोष स्वीकार कर लिया है। लेकिन इससे ऐसा माना जा सकता है कि बैंक अपने पिछले रुख से पीछे हट रहा है, जिसमें उसने किसी भी तरह की गड़बड़ी होने की बात से स्पष्ट तौर पर इनकार किया था।
सेबी को पहले दी गई जानकारी में बैंक अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा था कि उसे हितों के टकराव के आरोपों के बारे में जानकारी नहीं थी, जिसकी वजह से सूचीबद्धता नियमन के तहत किसी तरह का खुलासा नहीं किया जा सका। इस बारे में पक्ष जानने के लिए आईसीआईसीआई बैंक को ईमेल भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
सूत्रों ने कहा कि सेबी की ओर से इस मामले में सभी संबंधित पक्षों को नया कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। यह नोटिस मोटे तौर पर नियामक द्वारा 23 मई, 2018 को जारी पहले नोटिस में लगाए गए आरोपों के अनुरूप ही है। नया नोटिस ज्यादा व्यापक है और इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। श्रीकृष्ण समिति को आईसीआईसीआई बैंक के लेनदेन में गड़बड़ी की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। नया नोटिस पूर्व सूचीबद्धता समझौते और सेबी (सूचीबद्धता बाध्यता एवं खुलासा अनिवार्यता) नियमन, 2015 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने की वजह से जारी किया गया है। यह नोटिस नई जानकारी और समिति की रिपोर्ट में उठाए गए विभिन्न सवालों एवं जांच के आधार पर भेजा गया है। मामले के एक अन्य जानकार शख्स ने कहा कि सेबी ने नोटिस जारी कर पूछा है कि उन पर मौद्रिक जुर्माना सहित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
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