जो शेयर घटे, विश्लेषक उनसे हटे | सुंदर सेतुरामन / मुंबई November 26, 2019 | | | | |
कारोबारी अनिश्चितता, भारी-भरकम कर्ज और कंपनी प्रशासन के मसलों का सामना कर रही फर्मों के शेयरों का कवरेज विश्लेषक छोड़ रहे हैं। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, अग्रणी 500 कंपनियों में से एक तिहाई से ज्यादा ने उनके शेयरों को कवर करने वाले विश्लेषकों की संख्या में कमी देखी है। जिन फर्मों से सबसे ज्यादा विश्लेषक दूर हुए उनमें डिश टीवी, येस बैंक और जेएसडब्ल्यू एनर्जी शामिल है। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि विश्लेषक किसी शेयर का कवरेज तब छोड़ते हैं जब उन्हें कंपनी की किस्मत में नाटकीय बदलाव के कारण आय का अनुमान जाहिर करना मुश्किल हो जाता है।
एनबीएफसी, दूरसंचार और ज्यादा पूंजी वाले अन्य क्षेत्र की कंपनियों का उस सूची में वर्चस्व है जिनका कवरेज एक साल पहले की तुलना में कम विश्लेषक कर रहे हैं। नुकसान उठाने वाली कंपनियों की बढ़ती संख्या के साथ शेयरों का कवरेज छोडऩे वाले विश्लेषकों की संख्या बढ़ रही है। बीएसई-500 में शामिल कंपनियों में से 48 ने वित्त वर्ष 2018-19 में नुकसान दर्ज किया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, प्रदर्शन के मोर्चे पर बार-बार निराशा से विश्लेषक ऐसे शेयरों का कवरेज छोडऩे के लिए बाध्य होंगे। अगर मिडकैप या स्मॉलकैप का आकर्षण घट जाता है या ऐसे शेयरों में संस्थागत बिकवाली होती है तो विश्लेषक उसकी जगह अन्य सुर्खियां बनाने वाले शेयरों पर कवरेज शुरू करने के बारे में सोचेंगे। कंपनी या समूह पर असर डालने वाले कॉरपोरेट गवर्नेंस के मसले से भी कवरेज में कमी आती है। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि विश्लेषकों से बातचीत करते रहने वाली ज्यादा पारदर्शिता और अच्छे कंपनी प्रशासन के मानकों वाली कंपनियों को ज्यादा विश्लेषक कवर करते हैं। इससे अक्सर ज्यादा संस्थागत निवेशकों की भागीदारी व बेहतर मूल्यांकन देखने को मिलता है।
विश्लेषक के कवरेज में गिरावट इसका संकेत भी है कि उस शेयर में खास तौर से संस्थागत निवेशकों की रुचि घट रही है। स्वतंत्र विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, अगर कोई विशिष्ट शेयर बेहतर नहींं कर रहा है और संस्थागत दिलचस्पी घट रही है तो उस शेयर के कवरेज का मतलब नहीं बनता। शोध को ब्रोकिंग आय का सहारा मिलना चाहिए। दिलचस्पी का अभाव आय में परिवर्तित नहीं होगा। कोई भी ऐसे शेयर का कवरेज महज प्रशंसा के लिए नहीं करना चाहता। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा, नए क्षेत्रों मसलन जीवन बीमा और संपत्ति प्रबंधन में कवरेज बढ़ाने के लिए विश्लेषक कुछ क्षेत्र में कवरेज बंद कर रहे हैं और उनकी जगह नए क्षेत्र को तवज्जो दे रहे हैं।
पिछली कुछ तिमाहियों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयरों में विश्लेषकों का कवरेज ज्यादा देखने को मिलता है। ज्यादातर विश्लेषक हालांकि कंपनी विशेष के घटनाक्रम को कवरेज में गिरावट की वजह बताते हैं, लेकिन कुछ का कहना है कि इसकी तकनीकी वजह भी हो सकती है। उद्योग के एक प्रतिभागी ने कहा, किसी खास ब्रोकरेज की तरफ से किसी क्षेत्र का कवरेज छोडऩा और विलय की घटनाएं भी उस शेयर में विश्लेषकों के कवरेज में गिरावट की वजह हो सकती है। विगत मेंं कुछ यूरोपीय निवेश बैंक अपना इक्विटी डेस्क बंद कर चुके हैं। साथ ही कुछ छोटे व मध्यम आकार वाले देसी ब्रोकरेज ने लागत घटाने के लिए अपना परिचालन कम किया है।
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