बैंकों, एनबीएफसी ने कार्वी से पूछा, पुनर्भुगतान के लिए क्या योजना बना रहा समूह
देव चटर्जी और अनूप रॉय / मुंबई 11 26, 2019
► लेनदारों को कमजोर वित्तीय प्रोफाइल कर रहा है चिंतित ► क्रिसिल ने कार्वी डेटा मैनेजमेंट सर्विसेज एनसीडी को किया डाउनग्रेड ► कार्वी की इकाइयों में बैंकों का निवेश 2,900 करोड़ रुपये है ► अभी तक बैंकों ने कार्वी की तरफ से किसी डिफॉल्ट की जानकारी नहीं दी है
कार्वी समूह की इकाइयों में निवेश करने वाले कई बैंक व एनबीएफसी ने अपने वकीलों और कार्वी समूह के अधिकारियों से इस पर चर्चा शुरू कर दी है कि हैदराबाद के इस समूह से रकम की वसूली कैसे हो सकती है। इसके अलावा बैंक इस खाते के लिए उस समय प्रावधान में तेजी लाने पर भी विचार कर रहे हैं जब मामला और गंभीर हो जाएगा। अभी बातचीत कार्वी समूह की कंपनियों की तरफ से दी गई जमानत के आसपास केंद्रित है, जिसने आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक समेत कई बैंकों से करीब 2,900 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। एक सूत्र ने कहा, अभी वकीलों के साथ यह पता लगाने के लिए बातचीत हो रही है कि कार्वी की वित्तीय परेशानी की प्रकृति और उसकी गहराई कितनी है। एक बैंकर ने कहा, हम कार्वी से यह जानने की कोशिश भी कर रहे हैं कि हमारी रकम वापस करने के लिए वह क्या कदम उठा रही है।
बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि कार्वी ने अभी तक भुगतान में चूक नहीं की है और प्रबंधन ने आश्वस्त किया है कि समूह के पास पर्याप्त रकम है और भुगतान में किसी तरह की चूक नहीं होगी। लेकिन बैंक कोई जोखिम लेना नहींं चाहता और वह इस खाते पर प्रावधान में इजाफा कर सकता है और वह भी सबसे अच्छे नियम के आधार पर। यह जानकारी निजी बैंक के एक वरिष्ठ बैंकर ने दी, जिनका कार्वी में निवेश है।
बैकर ने कहा, कुछ कर्ज पर्याप्त जमानत के साथ सुरक्षित है और इस पर चिंता की बात नहीं है। एक बैंकर ने कहा, सामान्य स्थिति में हमने प्रावधान के बारे में शायद नहीं सोचा होगा, लेकिन आरबीआई के अंकेक्षकों की राय अलग हो सकती है। अगर किसी एक बैंक के साथ कार्वी भुगतान में चूक करती है तो सभी बैंकों को इसे एनपीए के तौर पर दिखाना होगा। बेसल के नियमों में इस पर काफी कुछ है और बैंक अब बहुत ज्यादा जोखिम नहीं लेते।
कार्वी की बढ़ती पूंजीगत जरूरतों को देखते हुए बैंक कार्वी के प्रोफाइल में कमजोरी से भी चिंतित हैं, जो मुख्य रूप से रिसीवेबल्स में देरी के अलावा फंड जुटाने में देरी के कारण है। क्रिसिल ने सोमवार को कहा था, मुख्य रूप से प्राप्तियों (रिसिवेबल) के अलावा रकम जुटाने में देरी के कारण कार्यशील पूंजी की बढ़ती दरकार से प्रोफाइल कमजोर हुआ है। खास तौर से आंध्र प्रदेश सरकार से प्राप्तियों में देरी और सहायक कंपनियों के कॉन्ट्रेक्ट सेंटर बिजनेस के बड़े ग्राहक से प्राप्तियों में देरी का समूह की नकदी पर असर पड़ेगा।
शुक्रवार को सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड को स्टॉक ब्रोकिंग के लिए नए क्लाइंट शामिल करने से रोक दिया था और यह रोक क्लाइंट की प्रतिभूतियों के कथित दुरुपयोग पर लगाई गई। सेबी ने अपने आदेश में कहा था, प्रथम दृष्टया पाया गया है कि कार्वी ब्रोकिंग ने शुद्ध रूप से 1,096 करोड़ रुपये समूह की कंपनियों कार्वी रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड को अप्रैल 2016 से अक्टूबर 2019 के बीच हस्तांतरित किए।
इसके अलावा सेबी ने कहा है, कार्वी ने डीपी खाते में प्रतिभूतियां न होते हुए भी 31 मई 2019 तक नौ क्लाइंटों के खाते से 485 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां बेच दी। साथ ही इन क्लाइंटों में से छह के खाते से 162 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रतिभूतियां हस्तांतरित की।
सेबी ने पाया कि चार क्लाइंटों की 257 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां गिरवी रख दी गई और यह काम 1 जून 2019 से 22 अगस्त 2019 के बीच हुआ। साथ ही ऐसे चार क्लाइंटों की 217 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां कार्वी ने रिकवर की। आईसीआईसीआई बैंक के आधिकारिक प्रवक्ता ने क्लाइंट से संबंधित पूछताछ पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। इस बैंक का कार्वी समूह की सभी इकाइयों में सबसे ज्यादा निवेश है और यह 875 करोड़ रुपये है। लेकिन एक आंतरिक सूत्र ने कहा कि यह 600 करोड़ रुपये है। आदित्य बिड़ला फाइनैंस का कार्वी में निवेश 109 करोड़ रुपये है। उसने कहा कि उसके पास पर्याप्त जमानत है। आदित्य बिड़ला फाइनैंस के आधिकारिक प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।
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