महज 60 प्रतिशत मकानों में रसोई गैस का इस्तेमाल | |
शाइन जैकब और सोमेश झा / नई दिल्ली 11 25, 2019 | | | | |
► सरकार ने दावा किया था कि देश भर के 95 प्रतिशत घरों में रसोई गैस पहुंच गई है, लेकिन एनएसओ के आंकड़े सरकार के दावों के विपरीत
► सर्वे के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 48.3 प्रतिशत जबकि शहरों में 86.6 प्रतिशत परिवार रसोई गैस इस्तेमाल कर रहे हैं
► विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा संभव है कि परिवारों ने रसोई गैस कनेक्शन लिए हों, लेकिन वे अब भी खाना पकाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करते हों
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में भारत के कुल परिवारों में से करीब 61 प्रतिशत रसोई गैस (एलपीजी) का इस्तेमाल करते हैं। पिछले साल सरकार ने दावा किया था कि दिसंबर 2018 तक करीब 90 प्रतिशत परिवारों तक रसोई गैस पहुंच गई है। एनएसओ की ओर से शनिवार को जारी 76वें दौर के सर्वे के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 48.3 प्रतिशत परिवार, जबकि शहरों में 86.6 प्रतिशत लोग रसोई गैस इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सर्वे जुलाई से दिसंबर 2018 के बीच कराया गया था। एनएसओ के सर्वे में पहली बार रसोई गैस कनेक्शन को शामिल किया गया है, इसलिए तुलना करने के लिए पिछले सर्वे के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए एनएसओ ने देश के 1,00,000 से ज्यादा परिवारों से उनके ईंधन के प्राथमिक स्रोत के बारे में आंकड़े जुटाए हैं।
दिलचस्प है कि गांवों में अभी भी 44.5 प्रतिशत परिवार लकड़ी, फसल के अवशेष, चिपरी का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए प्राथमिक ईंधन के रूप में करते हैं, वहीं 2018 में शहरों में इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या 5.6 प्रतिशत है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने इस साल अक्टूबर में दावा किया था कि रसोई गैस 96.5 प्रतिशत परिवार में पहुंच गई है। सरकार ने इसे अपनी प्रमुख योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की सफलता के रूप में पेश किया था।
पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनलिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2018 तक देश में 89.5 प्रतिशत घरों में रसोई गैस पहुंच गई है। रसोई गैस का कम इस्तेमाल करने वाले राज्यों में ओडिशा (32.6 प्रतिशत), झारखंड (32.9 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (42.8 प्रतिशत) राजस्थान (48.1 प्रतिशत) मध्य प्रदेश (48.3 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (50.2 प्रतिशत) शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मई 2016 में शुरू की गई पीएमयूवाई पर बहुत ज्यादा जोर दिए जाने के बावजूद महज 11 प्रतिशत परिवारों को सर्वे के काल से पिछले 3 साल के दौरान रसोई गैस से जुड़ा सरकारी लाभ मिला है।
सर्वे में कहा गया है कि करीब 13 प्रतिशत मकानों को रसोई गैस कनेक् शन से जुड़ा सरकारी लाभ कभी न कभी मिला है। इसमें से 88 प्रतिशत (करीब 11 प्रतिशत) को रसोई गैस योजना का लाभ पिछले 3 साल में मिला है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विकास रावल ने कहा, 'एनएसओ के आंकड़े में देश में रसोई गैस का इस्तेमाल करने वालों की संख्या है और सरकार का दावा रसोई गैस कनेक्शन को लेकर उज्ज्वला योजना की सफलता को लेकर है। इसकी संभावना ज्यादा है कि बहुत से लोगों ने उज्ज्वला योजना का लाभ लिया हो और वे वित्तीय समस्या की वजह से उसके बाद गैस भराने में सफल न रहे हों और इसकी वजह से वे रसोई गैस का इस्तेमाल न कर रहे हों।' एनएसओ के सर्वे में कहा गया है कि रसोई गैस का इस्तेमाल कम होने की एक बड़ी वजह इसके बढ़े दाम हैं।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि पीएमयूवाई से सिलेंडर लेने वाले करीब 87 प्रतिशत ग्राहक कम से कम दूसरी बार गैस भराने पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के लाभार्थियों को विकल्प दिया गया है कि 14.2 किलो की जगह पर अपनी जरूरत के मुताबिक 5 किलो का सिलेंडर ले सकते हैं। तेल विपणन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहुंच की परिभाषा को लेकर बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा, 'समस्या पहुंच की परिभाषा को लेकर हो सकती है। तेल कंपनियों के मार्केटिंग नेटवर्क की पहुंच 96.5 प्रतिशत परिवारों तक हो गई है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि जिन लोगों तक रसोई गैस पहुंच गई है, वे इसका इस्तेमाल भी करते हों।'
एक अन्य सूत्र ने कहा कि सर्वे में प्राथमिक ईंधन का मसला भी हो सकता है। उन्होंने कहा, 'संभव है कि तमाम परिवारों के पास रसोई गैस सिलेंडर हो, लेकिन उन्होंने लकड़ी को इस्तेमाल होने वाला प्राथमिक ईंधन बताया हो।' तीन तेल विपणन कंपनियों के अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) के कुल मिलाकर 27.36 करोड़ सक्रिय रसोई गैस उपभोक्ता हैं, जिनके कुल 24,127 रसोई गैस डिस्ट्रीब्यूटर हैं। यह पहला मौका है जब सरकार की योजनाओं का लाभ परिवारों तक पहुंचने को लेकर सर्वे कराया गया है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य ध्यान यह अनुमान लगाना नहीं था कि सरकार की योजनाओं से कितने परिवारों को लाभ पहुंचा है।
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