बैंकिंग प्रणाली है सुरक्षित अर्थव्यवस्था में हो रहा सुधार | |
अनूप रॉय / मुंबई 11 24, 2019 | | | | |
भारतीय अर्थव्यवस्था निश्चित तौर पर नरमी के दौर से गुजर रही है, लेकिन निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। पिछले शुक्रवार को बिजनेस स्टैंडर्ड के वार्षिक फोरम में बेबाक चर्चा के दौरान देश के दो सबसे बड़े बैंकों के शीर्ष अधिकारियों ने यह भरोसा दिलाया। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार और और निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी के अनुसार कंपनियां अब नए कर्ज के बारे में पूछताछ कर रही हैं और अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं।
कुमार ने कहा, 'मांग में कमी हकीकत है। लेकिन यह भी सच है कि हर कोई अक्टूबर और नवंबर में कारोबार अगस्त की तुलना में बेहतर रहने की बात कह रहा है। कारोबारियों, उद्योगपतियों और विनिर्माताओं के साथ अपनी सामान्य चर्चा में हमें पहली बात यही समझ आती है कि हम सुधार की राह पर हैं और हालात दुरुस्त हो रहे हैं।' कुमार ने कहा, 'पिछले दस दिन में हमने कई परियोजनाओं पर बात की, जबकि पिछले तीन-चार महीने से परियोजनाओं पर बात नहीं हो रही थी। उस समय कोई हमारे पास कर्ज मांगने आ ही नहीं रहा था। कम से कम अब उन्होंने आना शुरू कर दिया है और वे संकेत दे रहे हैं कि उन्हें किसी न किसी परियोजना के लिए रकम की जरूरत पड़ सकती है।' लेकिन वृद्घि अचानक जोर नहीं पकड़ेगी। इसमें धीरे-धीरे तेजी आएगी। पुरी ने कहा, 'सितंबर के आंकड़े शायद उतने अच्छे नहीं हैं, लेकिन उम्मीद लगा सकते हैं? लेकिन जरूरत से ज्यादा उम्मीद न लगाएं। सुधार होगा। हमें लगता है कि कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही से हम धीरे-धीरे सुधार देखेंगे।'
एसबीआई के लिए कर्ज की मांग खास तौर पर सड़क, सौर ऊर्जा परियोजनाओं, तेल एवं गैस क्षेत्र, खासतौर पर सिटी गैस परियोजनाओं कर ओर से बढ़ रही है। ऋण की मांग ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में देखी जा रही है तथा कारोबारी भुगतान प्रणाली से जुड़ी मांग बढ़ा रहे हैं। छोटी-बड़ी कंपनियों की कार्यशील पूंजी की जरूरत पूरी करने के लिए भी कर्ज की मांग आ रही है। पुरी ने कहा, 'सुधार धीमी रफ्तार से हो रहा है, लेकिन याद रखिए कि जब हाथी बैठ जाता है तो उसे उठाने में थोड़ा वक्त लगता है।' दोनों बैंकरों ने आश्वस्त किया कि भारतीय बैंकों की स्थिति निराशाजनक नहीं है। गैर-निष्पादित आस्तियों के मामले में पुरी ने कहा, 'निश्चित तौर पर बुरा दौर खत्म हो गया है।' एस्सार स्टील मामले में उच्चतम न्यायालय का हालिया आदेश महत्त्वपूर्ण है, जिसमें वित्तीय लेनदारों और परिचालन ऋणदाताओं के अधिकारों को निपटा दिया गया है।
रजनीश कुमार ने कहा, 'मुझे उम्मीद है और ऐसा लगता है कि उच्चतम न्यायालय ने जिस तरह का फैसला सुनाया है, उससे आईबीसी प्रक्रिया पर छिड़ी बहस खत्म हो गई है।' उन्होंने कहा, 'सभी मसलों पर स्पष्टता आने से समाधान की प्रक्रिया में अब तेजी आएगी।' पुरी ने कहा, 'मुझे लगता है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में व्यवस्थागत जोखिम नहीं है।' उन्होंने कहा, 'क्या भारतीय बैंकिंग प्रणाली सुरक्षित और ठीक है? मैं यही मानता हूं। भारतीय रिजर्व बैंक सहित सभी ने कहा है कि भारतीय बैंकों को डूबने नहीं दिया जाएगा। या तो उन्हें पूंजी दी जाएगी या विलय कर दिया जाएगा।'
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की वजह से बैंकों को नुकसान हुआ है लेकिन रजनीश कुमार ने उन्हें कर्ज दिए जाने को सही ठहराते हुए कहा कि बैंकों ने उन्हें एएए रेटिंग और वित्तीय आंकड़े देखकर कर्ज दिया था, जो जोखिम के हिसाब से सही थे। कुमार के अनुसार सबसे बड़ा बैंक होने के नाते एसबीआई ऋण देने से किनारा नहीं कर सकता। लेकिन हर कोई कर्ज देने लायक नहीं हो सकता। एसबीआई के चेयरमैन ने कहा, 'जो कर्ज लेने के पात्र हैं, उनके लिए कर्ज है। लेकिन जो इस लायक नहीं हैं, उन्हें कर्ज नहीं मिलेगा।'
परियोजना को कर्ज देने में नुकसान झेलने के बाद भी एसबीआई ऐसा कर्ज देने से इनकार नहीं कर सकता। कुमार ने कहा, 'लंबी अवधि के लिए कर्ज देने वाली सभी संस्थाएं अब बंद हो चुकी हैं। परियोजनाओं को ऋण देने में हमें भी नुकसान हुआ, लेकिन बदले में देश को कुछ हासिल हुआ है।' उदाहरण के तौर पर 2008 से 2016 के दौरान हजारों मेगावाट बिजली क्षमता स्थापित की गई, जो पिछले 65 साल में स्थापित क्षमता की करीब 35 फीसदी है। ऐसा ही हवाई अड्डों, सड़कों और राजमार्गों में भी देखा गया है।
पुरी ने भी राष्ट्र निर्माण में बैंक के योगदान की बात करते हुए कहा कि एसबीआई की तरह ही उनके बैंक की ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में व्यापक मौजूदगी है। भारतीय बैंकिंग प्रणाली उन्नत है और शीर्ष तीन में शुमार है। कई मामलों में तो यह सबसे बेहतर है। उदाहरण के लिए यूनिफाइड पेमेंट सिस्टम (यूपीआई) में कोई भी देश भारत के बराबर नहीं हो सकता है। कुमार ने कहा, 'इस मामले में हम यूरोप से भी उन्नत हैं। वह यूरोप में ओपन बैंकिंग प्रणाली शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमने यूपीआई के जरिये एक तरह से इसकी शुरुआत पहले ही कर दी है।' पुरी ने कहा, 'भारतीय बैंक अच्छा कर रहे हैं। यहां ओपन बैंकिंग है, प्रतिस्पद्र्घा है और हमारे बैंकों द्वारा लिया जाने वाला शुल्क दुनिया में सबसे कम है।'
एसबीआई प्रमुख ने बचत दर घटाकर 3 फीसदी करने के कदम को सही बताया। उन्होंने कहा, 'बचत खाता बैंक को यह सबसे महंगा पड़ता है। यह लेनदेन खाता होता है। इसे रिटर्न के लिहाज से नहीं देखना चाहिए। बचत खाते के प्रबंधन के लिए हमें सभी शाखाओं, एटीएम नेटवर्क, कर्मचारियों, भुगतान प्रणाली और साइबर सुरक्षा...पर काफी खर्च करना होता है।'
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